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🌸 *सेवा के साथ साधना ही हो सेवा साधक श्रेणी की पहचान : आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸 *-अभातेमम के राष्ट्रीय अधिवेशन में संभागी बने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत* आज के अपने प्रवचन मे आचार्य श्री महाश्रमणजी ने कहा कि अच्छी सेवा व गतिविधियों के संचालन में सक्षम प्रतीत हो रही है अभातेमम ….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेस, सूरत (गुजरात) जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री की मंगल सन्निधि तथा अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के तत्त्वावधान में शुक्रवार को अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के 49वें राष्ट्रीय अधिवेशन ‘संरक्षणम्’ का शुभारम्भ हुआ। इस शुभारम्भ सत्र का आयोजन महावीर समवसरण में किया गया, जिसमें गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने मंचासीन आचार्यश्री को वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के शुभारम्भ सत्र में समुपस्थित महिला शक्ति को संबोधित करते हुए सशक्त महिला शक्ति के जागरण व विकास की बात कही। शुभारम्भ सत्र में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भी समुपस्थित महिला संभागियों को पावन पाथेय प्रदान करने के साथ ही राज्यपाल महोदय को भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। साध्वीप्रमुखाजी ने भी इस अवसर पर उपस्थित महिलाओं को अभिप्रेरणा प्रदान की। शनिवार को महावीर समवसरण में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनमेदिनी को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि दो शब्द हैं-अनुश्रोत और प्रतिश्रोत। संसार के प्रवाह में बहना, इन्द्रिय विषयों में आसक्त रहना अनुश्रोत तथा त्याग, संयम और साधना के पथ पर चलना प्रतिश्रोतगामिता होती है। जिस दिशा में पानी का प्रवाह हो उस दिशा में तिनका भी बहता है, पानी की धारा के विपरित चलना, आगे बढ़ना प्रतिश्रोतगामिता होती है, जीवित होने की निशानी होती है। सामान्य आदमी अनुश्रोत में चलने वाला होता है। इन्द्रियों विषयों में आसक्त रहने वाला हो सकता है। साधु, साधक श्रोत के प्रतिकूल चलने वाला होता है। अध्यात्म का मार्ग श्रोत के विपरित चलने वाला पथ है। मेरा, मेरा का भाव, ममत्व, पदार्थों में आसक्ति, पदार्थों का आसक्ति के साथ उपभोग करना सामान्य आदमी की चर्या हो सकती है। जो साधु है, जो अनगार है, वह द्रष्टा है, पदार्थों के प्रति ज्ञाता-द्रष्टा भाव रखता है। जीवन को चलाने के लिए यदि किसी पदार्थ का उपयोग भी करता है तो उसका भाव होता है, और वह परिग्रह की आसक्ति से स्वयं को बचाने का प्रयास करता है। गृहस्थ अपने घर को चलाने का प्रयास करता है, शादी-विवाह, भरण-पोषण, परिवार की चिकित्सा, सुरक्षा, भोजन-पानी आदि की व्यवस्था करनी होती है और वह स्वयं आसक्त भाव से आसेवन करता है। गृहस्थ आदमी अपने जीवन में यह प्रयास रखे कि अपने जीवन में साधु नहीं भी बन पाए तो समयानुसार निवृत्ति की दिशा में आगे बढ़ जाए। सेवा साधक श्रेणी की बात है। इसका शिविर भी चल रहा है। यह भी साधना का अंग है। परिवार और समाज में रहते हुए भी अनासक्त भाव में रहने का प्रयास है। धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा के साथ अपनी साधना भी चले, कुछ निवृत्ति और कुछ प्रवृत्ति हो। ज्यादा मूर्च्छा, आसक्ति न हो। जितना हो सके, कषाय से मुक्त व्यवहार करने का प्रयास करना चाहिए। कषाय और आसक्ति जितना प्रतनु बन सके, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने विशेष प्रेरणा करते हुए सेवा साधक के श्रेणी के लोग हैं तो सेवा निष्काम भाव से हो तो सेवा में शुद्धता रह सकती है। सेवा करके नाम कमाने का प्रयास सेवा में शुद्धता की कमी हो सकती है। सेवा में शुद्धता के लिए सेवा के साथ कामना न जुड़े। सेवा के साथ साधना करने वाला सेवा साधक हो सकता है। कार्यक्रम में साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के 49वें राष्ट्रीय अधिवेशन ‘संरक्षणम्’ के दूसरे दिन तेरापंथ महिला मण्डल-सूरत ने मंगलाचरण को प्रस्तुति दी। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सरिता डागा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आज के कार्यक्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा सुश्री कमला कठौतिया को श्राविका गौरव अलंकरण प्रदान किया। अभिनंदन पत्र का वाचन अभातेममम की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा बैद ने किया। सीतादेवी सरावगी प्रतिभा पुरस्कार डॉ. तारा दुगड़ व सुश्री नीतू चौपड़ा को प्रदान किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन क्रमशः संरक्षिका श्रीमती शांता पुगलिया तथा उपाध्यक्षा श्रीमती सुमन नाहटा ने किया। पुरस्कार व सम्मान प्राप्तकर्ताओं ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। साध्वीप्रमुखाजी ने अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल व पुरस्कार व सम्मान प्राप्तकर्ताओं को पावन प्रतिबोध प्रदान किया। आचार्यश्री ने इस अवसर पर पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि किसी भी संस्था के निर्माण का अपना उद्देश्य होता है। तेरापंथ महिला मण्डल के अधिवेशन का प्रसंग है। कल भी राज्यपाल महोदय की उपस्थिति में अच्छा व सुव्यवस्थित कार्यक्रम हुआ। यह अच्छा महिलाओं का संगठन है। कहीं तेरापंथ समाज की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करना है तो अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल वह नेतृत्व करने में सक्षम प्रतीत हो रही है। जितना हो सके धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा देने का गतिविधियों को व्यवस्थित रूप में संचालित करने का प्रयास होता रहे। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की मंत्री श्रीमती नीतू ओस्तवाल ने किया।
आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रवचन मे कहा कि गृहस्थ भी करे समतारस का आसेवन…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), भारत का पश्चिम भाग में स्थित भारत का सबसे समृद्ध राज्य गुजरात और गुजरात राज्य का सबसे समृद्ध तथा विश्व में हीरे और कपड़े के व्यवसाय के लिए सुविख्यात सूरत शहर वर्तमान में धर्म और अध्यात्म नगरी के रूपी में भी ख्यापित हो रहा है। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी इस नगरी में अपना भव्य चतुर्मास कर रहे हैं। इस अवसर का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और हजारों श्रद्धालु संयम विहार में रहकर इस अवसर का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में विविध आयोजनों, सम्मेलनों व अधिवेशनों का दौर भी अनवरत जारी है। शुक्रवार को भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में एक नए प्रकल्प सेवा साधक श्रेणी का प्रथम त्रिदिवसीय शिविर का शुभारम्भ हुआ तो दूसरी ओर अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल का वार्षिक अधिवेशन का क्रम भी प्रारम्भ हुआ। शुक्रवार को महावीर समवसरण में समुपस्थित जनता को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मानव जीवन में लाभ और अलाभ की बात होती है। साधु को भी लाभ की स्थिति में ज्यादा प्रसन्नता तथा अलाभ में बहुत ज्यादा शोक नहीं करना चाहिए। साधु को मद और शोक दोनों से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। साधु को दोनों ही परिस्थितियों में समता का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। हमारे धर्मसंघ में दो बार अर्हत वंदना होती है, जिसके पाठ में लाभ और अलाभ में भी समता भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, निंदा-प्रशंसा, मान और अपमान इन द्वंदात्मक स्थितियों में सम रहने की प्रेरणा दी गई है। साधु को समतामूर्ति, क्षमामूर्ति, त्यागमूर्ति, अहिंसामूर्ति, दयामूर्ति, यथार्थमूर्ति, महाव्रतमूर्ति होना चाहिए। गृहस्थ को भी अपने जीवन में समतारस का आसेवन करने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन में व्यापार, धंधा आदि कार्य करते हैं। किसी वर्ष बहुत अच्छी इनकम हो जाए, कभी घाटा भी लग जाए, कभी सामान्य-सी स्थिति भी हो जाए तो ऐसी परिस्थितियों में गृहस्थ अपना मानसिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में कभी प्रिय का वियोग हो जाए तो भी मानसिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास होना चाहिए। मन को दोनों ही स्थितियों में समता भाव में रखने का प्रयास होना चाहिए। ज्यादा राग और ज्यादा द्वेष भी विषमता की स्थिति ही होती है। आदमी को दोनों स्थितियों में सम भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए आदमी को लाभ होने पर मद न करे और शोक मिल जाने पर ज्यादा दुःखी नहीं बनने का प्रयास करना चाहिए। आज से आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में त्रिदिवसीय सेवा साधक श्रेणी के शिविर का शुभारम्भ हुआ। इस संदर्भ में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया तथा इस श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक श्री किशनलाल डागलिया ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में सेवा साधक श्रेणी की परियोजना सामने आई है। समाज में अनेक गतिविधियां हैं। जीवन में आदमी साधना करे। मानव जीवन में धार्मिक-आध्यात्मिक अच्छी साधना भी चले और धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा देने का भी प्रयास हो। इस शिविर से संभागियों को अच्छी जानकारी, अच्छा प्रशिक्षण व अच्छा लाभ प्राप्त हो। विकास परिषद के सदस्य श्री बनेचंद मालू ने अपनी भावाभिव्यक्ति थी।
अट्ठाई तप की अनुमोदना कार्यक्रम का हुआ आयोजन….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times कोलकाता,वीरा डॉ मेघा चोरडिया,धर्मपत्नी डॉ अमित चोरडिया,पुत्रवधू श्रीमती सुमन व श्री अनील जी चोरडिया,कोलकाता निवासी,सुपुत्री स्व.नीर्मला जी व श्री सुभाष जी लोढ़ा । आज भव्य भजन संध्या द्वारा तपस्विनी डॉ मेघा चोरडिया के तप अनुमोदन कार्यक्रम का आयोजन, तुलसी वाटिका, लेक् टाउन में किया गया समाज के गणमान्य श्रावक श्रावीका उपस्थिति रहे । वीरा डॉ मेघा चोरडिया महावीर इंटरनैशनल,वी आई पी अंचल,कोलकाता की सदस्या के साथ DR. MEGHA CHORARIA Professor & HOD Kusum Devi Sunder Lal Dugar Jain Dental College & Hospital ( Unit of Shree S .S Jain Sabha ) में कार्यरत है। महावीर इंटरनैशनल,वी आई पी अंचल,कोलकाता के चेयरमैन वीर अनूप कुमार जैन,वीर रतन जैन फलोदिया ने वीरा डॉ मेघा चोरडिया के तप का अनुमोदन महावीर इंटरनैशनल वी आई पी अंचल की तरफ़ से किया व सुखसाता पूछते हुए,वीर प्रभू से स्वस्थ व खुशहाल जीवन की प्रार्थना करी । तेरापंथ संप्रदाय के युवाओं ने मधुर मीठे भजनों की वर्षा से तपस्विनी के तप अनुमोदन कार्यक्रम में प्रस्तुति द्वारा तप अनुमोदन किया । एक दिन घर में भी महिला मंडल द्वारा भाचा रखी गई । उपस्तिथ सभी श्रावक श्राविकाओं ने तप अनुमोदन किया । जय वीर,जय महावीर रतन जैन फलोदिया,कोलकाता
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श्री प्राज्ञ महाविद्यालय में हिंदी दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया….. बिजयनगर सतीशचंद लुणावत श्री प्राज्ञ महाविद्यालय बिजयनगर में आज हिंदी दिवस बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर NSS और NCC इकाइयों की सहभागिता से स्वयंसेवकों, कैडेट्स, छात्रों और शिक्षकों द्वारा विविध सांस्कृतिक और सहशैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी भाषा की महत्ता और उसके विकास पर विशेष जोर दिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ दुर्गा मेवाड़ा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ किया गया। प्राचार्या महोदया ने हिंदी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी न केवल भारत की राजभाषा है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग भी है। उन्होंने छात्रों को हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर छात्रों के बीच *हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता, हिंदी कविता पाठ, भाषण प्रतियोगिता और पोस्टर प्रतियोगिता* का आयोजन भी किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। निबंध लेखन प्रतियोगिता में “हिंदी का बढ़ता महत्व” विषय पर छात्रों ने अपने विचार प्रस्तुत किए, जबकि कविता पाठ में प्रसिद्ध हिंदी कवियों की रचनाओं का सजीव प्रस्तुतीकरण किया गया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित एक विशेष संगोष्ठी में प्रोफेसरों और विद्वानों ने भी हिंदी भाषा के विकास, उसकी चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की। इस अवसर पर हिंदी विभाग के सहायक आचार्य लेफ्टिनेंट गोपाल लाल धेड़ू ने कहा कि डिजिटल युग में हिंदी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने की आवश्यकता है और इसके लिए युवाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के अंत में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। हिंदी दिवस का यह आयोजन छात्रों के बीच हिंदी के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना जागृत करने में सफल रहा। अंत में, कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
जल का उचित दोहन व सरंक्षण सर्वोच्च पुण्य – विधायक कानावत बिजयनगर सतीशचंद लुणावत, जल महोत्सव कार्यक्रम लोरडी बांध पर सम्पन्न -विधायक वीरेन्द्र सिंह कानावत ने मुख्यअतिथि के रूप में की शिरकत – जल महोत्सव कार्यक्रम लोरडी बांध पर *विधायक श्री वीरेंद्र सिंह कानावत के ने कहा की राजस्थान सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में जल महोत्सव कार्यक्रम मनाया जा रहा है अयोध्या में श्री राम के विराजमान होने के बाद पूरे देश में खुशहाली छायी है* इस वर्ष औसत से दुगनी वर्षा हुई है इस जल का कैसे सदुपयोग करके पर्यावरण, सिचाई, पेयजल के लिए उचित उपयोग कर सकते है ऐसा प्रयास हम सभी को करना चाहिए मसुदा विधानसभा क्षेत्र के सभी बांधो , तालाबो की चादर चले ऐसा विभाग के सहयोग से प्रयास जारी है कार्यक्रम में मसुदा विकास अधिकारी मधुसूदन व जल संसाधन के सहायक अभियंता सुरेंद्र गुजर , मण्डल अध्यक्ष प्रभू लाल चौधरी व पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि खुमाण सिंह राठौड़ ने भी अपने विचार व्यक्त किए कार्यक्रम में मण्डल महामन्त्री जगदेव सिंह, ओम प्रकाश पांड्या, पंचायत समिति सदस्य ईश्वर लाल जाट पूर्व जिला परिषद सदस्य कैलास जाट किसान मोर्चा जिला उपाध्यक्ष हरी सिंह, युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष दुर्गा सिंह , दौलतपुरा सरपंच छोटी देवी, लोड़ियाना सरपंच सांवर लाल पुरोहित पूर्व सरंपच शंकर सिंह राठौड़,शक्तिकेंद्र संयोजक रामस्वरुप नील, दीपक नवाल पौलु जाट, बूथ अध्यक्ष लवकुश लोहार व रामरतन जाट, गोदु जाट , गजराज शर्मा, सत्यनारायण वैष्णव सहित सैकड़ों किसान व पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे
भारत विकास परिषद् मुख्य शाखा बिजयनगर द्बारा दशम गुरुवंदन छात्र अभिनन्दन कार्यक्रम….. बिजयनगर सतीशचंद लुणावत भारत विकास परिषद् मुख्य शाखा बिजयनगर द्बारा दशम गुरुवंदन छात्र अभिनन्दन कार्यक्रम सेंट पॉल स्कूल बिजयनगर मे शनिवार को माँ भारती एवं स्वामी विवेकानन्द के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर वन्देमातरम् गायन से प्रारंभ किया गया ।परिषद परिचय प्रान्तीय संरक्षक रतनलाल नाहर ने अपने उद्बोधन मे बच्चों को अनुशासन मे रहते हुए गुरुजनों के प्रति सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा दी । कार्यक्रम मे उपस्थित सेंट पॉल स्कूल के 38 छात्र /छात्राओं का उत्कृष्ट शैक्षिक परिणाम हेतु प्रमाण पत्र व पेन देकर अभिनन्दन किया गया । विद्यालय के 70 शिक्षको को तिलक लगाकर , श्रीफल,ऊपरणा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम में 1295 छात्र/छात्रा उपस्थित रहे।विद्यालय उपप्रधानाचार्य सिस्टर ऐनटोनीया को विद्यालय हेतु भारत को जानों पुस्तक व चेतना के स्वर पुस्तक भेंट की गयी। उन्होने भारत विकास परिषद् की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसा कार्यक्रम जिसमें गुरु और शिष्य के महत्व को बताया गया हो , बच्चों का अभिनन्दन व गुरूजनों का वन्दन किया जिससे हमको बहुत अच्छा लगा ।बुद्धि प्रकाश पारीक द्वारा बच्चों को नशा मुक्ति कि सपथ दिलाई गई। कार्यक्रम मे प्राचार्य फादर क्लेमेन्ट ,उप प्राचार्म सिस्टर ऐनटोनिया, सिस्टर रिटा, सिस्टर अंजली , विपुल कुमार, तथा शाखा अध्यक्ष एस एन जोशी,सचिव बृजेश बाल्दी, वित्त सचिव विमल भंसाली , गुरूवंदन छात्र अभिनन्दन प्रभारी लक्ष्मण लाल शर्मा,प्रहलाद रायसिंघानी ,सिद्वार्थ बोरदिया आदि उपस्थित रहे । सचिव बृजेश बाल्दी ने सभी का आभार प्रकट किया।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से किया गया व कार्यक्रम का संचालन सीए जितेन्द्र पीपाड़ा ने किया।
सुरत मे आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रवचनों मे कहा कि आशा व छंद को छोड़, परम सुख प्राप्ति की ओर हो गति….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times 13.09.2024, शुक्रवार, वेसु, सूरत (गुजरात) :* डायमण्ड सिटि सूरत में वर्ष 2024 का चतुर्मास करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से उपस्थित हो रहे हैं और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। दूसरी ओर नित नए कार्यक्रमों के साथ तेरापंथ धर्मसंघ के विभिन्न संस्थाओं के अधिवेशन का दौर भी जारी है। शुक्रवार को आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के साथ तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा टीपीएफ गौरव सम्मान समारोह का आयोजन भी किया गया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर आशा, लोभ, तृष्णा आदि की वृत्ति होती है। इन्द्रियों सुखों में वर्तन करने की मनोवृत्ति भी हो सकती है। मानव के भीतर अनादिकाल से मोहनीय कर्म है। जो वीतराग बन जाते हैं, उनमें लोभ की चेतना नहीं रहती। सामान्य लोगों में लोभ की वृत्ति रहती है। किसी में ज्यादा और किसी में कम हो सकता है। लोभ के कारण आदमी के मन में गुस्सा और निराशा भी हो सकती है। कामना और दुःख दोनों का संबंध है। दुनिया में दुःख है तो दुःख मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त है। दुःख का कारण लोभ, कषाय, कामना, आश्रव है तो संवर और निर्जरा दुःख मुक्ति का मार्ग है। आदमी को अपने जीवन में भोगों की अभिलाषा का परित्याग का प्रयास करना चाहिए। इन्द्रियों के सुख को छोड़कर आदमी परम सुख को प्राप्त कर सकता है। अलोभ की चेतना को पुष्ट करने के लिए संतोष की भावना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। आयारो में आशा और छंद को छोड़कर अलोभ और संतोष की अनुप्रेक्षा का प्रयास हो। आदमी जितनी कामना करता है, उसके साथ दुःख का भी आगमन होता है। जो असंतोषी होता है, वह मूढ़ होता है, पंडित, साधक लोग संतोष को धारण करने वाले होते हैं। भौतिक दुनिया में पैसे का बड़ा प्रभाव होता है। आवश्यकताओं की पूर्ति और अनुगमन करने वाले लोग भी बन जाते हैं। जीवन में इच्छाओं का परिमाण करने का प्रयास करना चाहिए। रहन-सहन में सादगी रहे। आशा और छन्द को छोड़कर आदमी परम सुख प्राप्ति की दिशा में गति कर सकता है। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर अनेक पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के नामों की घोषणा की। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आज तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के द्वारा गौरव सम्मान समारोह का समायोजन किया गया। यह सम्मान श्री विजय कोठारी को प्रदान किया गया। टीपीएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नवीन चोरड़िया व पुरस्कारप्राप्तकर्ता श्री कोठारी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। इस समारोह का संचालन तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के महामंत्री श्री विमल शाह ने किया।