
सुरेंंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
Key Line Times
लाम्बोड़ी, राजसमंद (राजस्थान) ,जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी तेरापंथ के आद्य अनुशास्ता आचार्यश्री भिक्षु की महाप्रयाण स्थली सिरियारी, जन्मभूमि कंटालिया, अभिनिष्क्रमण भूमि बगड़ी आदि की ओर गतिमान हैं। आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष में वर्तमान अनुशास्ता ने आद्य अनुशास्ता व तेरापंथ की व्युतपत्ति से जुड़े समस्त स्थानों को मानों स्पर्श करने का संकल्प ले चुके हैं। आचार्यश्री ने अभी तक राजनगर, केलवा आदि क्षेत्रों में पधार चुके हैं। गुरुवार को प्रातःकाल युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए धानिन से गतिमान हुए। प्रातःकाल मौसम में सर्दी का प्रभाव नजर आ रहा था। धानिनवासियों ने अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त कर किया। आचार्यश्री जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, आसमान में चढ़ते सूर्य के कारण सर्दी का प्रभाव भी कम होता जा रहा था। आज आचार्यश्री लाम्बोड़ी की ओर गतिमान थे। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी लाम्बोड़ी गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं व ग्रामीण जनता ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया। विद्यालय परिसर में प्रातःकालीन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम स्थानीय तेरापंथी सभा व लाम्बोड़ी पंचायत समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में विशाल किसान सम्मेलन के रूप में आयोजित था। इस कारण पूरा विद्यालय परिसर ही मानों प्रवचन पण्डाल बन गया था। उपस्थित श्रद्धालुओं व किसानों को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य जन्म को दुर्लभ बताया गया है। चौरासी लाख जीव योनियों में मानव जीवन को प्राप्त करना दुर्लभ है। वर्तमान यह मानव जीवन हम सभी को प्राप्त है और सुलभ है। इस मानव जीवन में जो मनुष्य धर्म करता है, अध्यात्म की साधना करता है, उसके लिए यह जीवन धन्य हो जाता है, उसका जीवन कृतार्थ हो जाता है। इस प्रकार मानव जीवन से बहुत बड़ा लाभ प्राप्त हो सकता है। इस मानव जीवन को प्राप्त करने के बाद भी यदि कोई हिंसा-हत्या, चोरी, लूट, आदि-आदि गलत कार्यों में डूबा रहता है, उसका फिर कब कल्याण होगा, यह कहना कठिन हो सकता है। मनुष्य के पास इन्द्रियां भी हैं और मस्तिष्क भी है। मनुष्य जीवन के माध्यम से आदमी जो उत्कृष्ट कोटि की साधना कर सकता है, वह अन्य किसी भी प्राणी के लिए संभव नहीं है। जो इस जीवन में साधु बन जाता है, वह दुनिया का बड़ा आदमी हो जाता है। जो सद्गुणों से भरा हुआ हो, वह बड़ा आदमी होता है। आज लाम्बोड़ी में कितने साधु-साध्वियों का समागम हुआ है। साथ में समणीवृंद भी हैं। किसान सम्मेलन का आयोजन है। किसान भी तो इंसान भी हैं। भारत कृषि प्रधान देश है। किसान के जीवन में धर्म की धनाढ्यता रहे। जीवन नशामुक्त रहे। किसान को अन्नदाता भी कहा जाता है। अन्न का बहुत महत्त्व है। धरती का रत्न है अन्न। अन्न के महत्त्व को ध्यान में रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने चतुर्दशी के संदर्भ में हाजरी के क्रम को संपादित कर चारित्रात्माओं को मंगल प्रेरणएं प्रदान कीं। उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखत्र का उच्चारण किया। आचार्यश्री ने विशाल किसान सम्मेलन के संदर्भ में उपस्थित किसान भाइयों को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए किसान भाइयों को मदिरापान का त्याग कराया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री पारसमल बाफना ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-लाम्बोड़ी ने आचार्यश्री के स्वागत में गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने विद्यार्थियों को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का संकल्प भी स्वीकार कराते हुए मंगल संबोध प्रदान किया। स्थानीय विधायक श्री सुरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि आज बड़े सौभाग्य की बात है कि हम सभी के बीच में आचार्यश्री महाश्रमणजी का शुभागमन हुआ है। मैं आपको सादर नमन करता हूं। आप मेवाड़ क्षेत्र में 14 वर्षों के बाद पधारे हैं। आप राम के रूप में पधारे हैं तो हम सभी अयोध्यावासी के रूप में आपका स्वागत करते हैं। कुछ समय बाद सायंकाल महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने लाम्बोड़ी से मंगल प्रस्थान किया तथा जन-जन को आशीष प्रदान करते हुए कितेला गांव में रात्रिकालीन प्रवास हेतु पधारे।

