
सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय उपसंपादक
Key Line Times
पीसांगन,पीसांगन में बस्सी मौहल्ला निवासी परिवार ने जीवन की सबसे बड़ी पीड़ा को सहके मानवता की मिसाल पेशकर अपने दिवंगत हुए स्वजन के नेत्रदान के संकल्प को निभाकर समाज से भी नेत्रदान की अपील की। कहावत है इंसान की पहचान उसके अच्छे कर्मो से होती है। जब कोई अपने जीवन में ऐसा कुछ कर जाए। जिससे उसके जाने के बाद भी लोग उसे याद रखें। तो वही इंसान असली मायने में अमर हो जाता है। सोचिए अगर हमारी आंखें हमारे मरने के बाद भी किसी नेत्रहीन को रोशनी दे। तब इससे बड़ा पुण्य का कार्य क्या हो सकता है। इस नेक प्रेरणा की शुरुआत हुई अशोक कुमार मेहता से जो इस परिवार के तारणहार थे। 28 शुक्रवार शाम को 63 वर्षीय व्यवसायी अशोक कुमार मेहता का आकस्मिक निधन हो गया। लेकिन उनके जाने के बाद भी उनकी आंखें दो नेत्रहीनों को रोशनी दे गईं। उन्होंने अपने जीवनकाल में नेत्रदान करने का संकल्प लिया था। मेहता के निधन पर उनकी पत्नी सुशीलादेवी व परिजनों ने मेहता के द्वारा जीवनकाल में लिए गए नेत्रदान के संकल्प की जानकारी चिकित्सको को दी। तब जेएलएन अस्पताल अजमेर से चिकित्साधिकारी भरत कुमार के नेतृत्व में पीसांगन पहुंची मेडिकल टीम ने नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी कर वज्र से इस दुःख की घड़ी में रुंदे गले,द्रवित ह्रदय से मेहता की पत्नी सुशीलादेवी के करकमलों से नेत्रदान प्राप्त किया। अब कल सवेरे 9 बजे नेत्रदाता अशोक कुमार मेहता का मांगलियावास रोड़ स्थित मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया जायेगा। इस दौरान डॉ.भरत कुमार ने कहा कि यह कदम न केवल समाज में अंधकार मिटाने का प्रतीक है। बल्कि रूढ़िवादिता और परंपरागत सोच से ऊपर उठकर किया गया साहसिक निर्णय है। उन्होंने परिजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यों से समाज को नई दिशा के साथ और लोगों को देहदान और नेत्रदान की प्रेरणा मिलती है। “नेत्रदान से बड़ा कोई दान नहीं। जब आपकी आंखें किसी और को देखने की शक्ति देती हैं, तब जीवन मृत्यु के पार भी अमर हो जाता है। इस दौरान दिवंगत मेहता के भाई प्रेमराज,ज्ञानचंद,नोरतमल,रमेशचंद,कन्हैयालाल,निहालचंद,गौतमचंद,पुत्र नवीन,प्रवीण,अश्विन,अविनाश,अंकित,अभिषेक,निखिल,अखिल,मेहुल,यश,ऋषभ व शुभम वैष्णव,राजकुमार सोनी समेत ग्रामीण मौजूद रहे।

