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October 6, 2024

Key line times

Key Line Times राष्ट्रीय हिंदी पाक्षिक समाचार पत्र है जो राजधानी दिल्ली से प्रकाशित होता है एंव भारत सरकार के सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आर.एन.आई. से रजिस्ट्रड है। इसका आर.एन.आई.न. DELHIN/2017/72528 है। यह समाचार पत्र 2017 से लगातार प्रकाशित हो रहा है।
आचार्यश्री महाश्रमणजी ने दान की गतियों को भी किया व्याख्यायित….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), ताप्ती नदी के तट पर बसा सूरत शहर भारत के पश्चिम भाग में होने के कारण अरब सागर से भी अति निकट है। इस कारण यहां के वातावरण में भी समुद्रता की निकटता वाली स्थिति सहज ही देखने को मिलती है। बरसात न हो तो उमस भरी गर्मी लोगों को बेहाल करती है और बरसात हो जाए तो वह सामान्यतया लोगों को परेशान करती है। गत दो-तीन दिनों से बरसात का दौर जारी है। कभी तीव्र तो कभी मंद और कभी पूरी तरह बंद होने वाली बरसात लोगों को उमस वाली गर्मी से राहत प्रदान कर रही है। शुक्रवार को भी प्रायः पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहे और यदा-कदा वर्षा का क्रम जारी रहा, किन्तु जन-जन का कल्याण करने वाले युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल प्रवचन ही नहीं, श्रद्धालुओं व बाहर से आने वाले संघबद्ध लोगों को दर्शन, सेवा, उपासना पर मंगल आशीष देने का क्रम यथावत रहा। मानवता के मसीहा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि गृहस्थ के जीवन काम और अर्थ दो तत्त्व होते हैं। धर्म और मोक्ष तत्त्व भी प्राप्त हो सकते हैं। काम और अर्थ रूपी मानव जीवन की दुपहिया गाड़ी पर धर्म और मोक्ष का अंकुश रहता है तो मानव जीवन की दुपहिया गाड़ी अच्छे ढंग से चल सकती है। अगर निरंकुश हो जाए, इस पर किसी प्रकार का नियंत्रण न हो तो मानव दुःखों के गर्त जाकर गिर सकता है। काम मानव जीवन का साध्य बन जाता है और उसका साधन बनता है अर्थ। ये दोनों आदमी के जीवन की सांसारिक बातें हो जाती हैं। गृहस्थ जीवन में आदमी अर्थ का अर्जन करता है और उसका उपयोग भी करता है। कोई भोग में उपयोग करता है तो कोई दान में भी उपयोग करता है। संस्कृत साहित्य में धन की तीन गतियां बताई गई हैं- दान, भोग और नाश। जो आदमी धन का न तो दान देता है और न ही भोग करता है तो उस अर्थ का नाश भी हो सकता है। मानव दान कहां देता है, यह विवेक की बात होती है। कोई सामाजिक कार्य में यथा विद्यालयों में, चिकित्सालयों में, गरीबों को, गौशाला, प्याऊ, रुग्णोें आदि की सेवा आदि में दान देना लौकिक दान है और सामाजिक क्षेत्र का दान होता है। इसमें आदमी की दयालुता प्रकाशित होती है। कहीं कोई आपराधिक गतिविधियों को चलाने में अर्थ को देता है। कोई-कोई आदमी धर्म आदि के कार्यों में दान करता है। धार्मिक गतिविधियों में दान देना बहुत अच्छी बात होती है। धार्मिक साहित्य के प्रकाशन आदि में भी दान दिया जाता है। आदमी खुद के जीवन को अच्छे ढंग से चलाने के लिए अर्थ का खर्च करता है, वह उसका भोग करता है। जो आदमी न दान करता है न ही भोग करता है, उसके अर्थ अर्थात् धन का कभी नाश भी हो सकता है। जो आदमी स्वयं को अमर के समान मानकर काम और अर्थ में आसक्ति करता है, उसके जीवन की दुपहिया गर्त की ओर जा सकती है। इसलिए अर्थ और काम पर धर्म व मोक्ष का अंकुश रखने का प्रयास करे, ताकि जीवन सुगति को प्राप्त हो सके। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया। अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी तपस्या का प्रत्याख्यान किया।

आचार्यश्री महाश्रमणजी ने दान की गतियों को भी किया व्याख्यायित….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), ताप्ती नदी के तट पर बसा सूरत शहर भारत के पश्चिम भाग में होने के कारण अरब सागर से भी अति निकट है। इस कारण यहां के वातावरण में भी समुद्रता की निकटता वाली स्थिति सहज ही देखने को मिलती है। बरसात न हो तो उमस भरी गर्मी लोगों को बेहाल करती है और बरसात हो जाए तो वह सामान्यतया लोगों को परेशान करती है। गत दो-तीन दिनों से बरसात का दौर जारी है। कभी तीव्र तो कभी मंद और कभी पूरी तरह बंद होने वाली बरसात लोगों को उमस वाली गर्मी से राहत प्रदान कर रही है। शुक्रवार को भी प्रायः पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहे और यदा-कदा वर्षा का क्रम जारी रहा, किन्तु जन-जन का कल्याण करने वाले युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल प्रवचन ही नहीं, श्रद्धालुओं व बाहर से आने वाले संघबद्ध लोगों को दर्शन, सेवा, उपासना पर मंगल आशीष देने का क्रम यथावत रहा। मानवता के मसीहा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि गृहस्थ के जीवन काम और अर्थ दो तत्त्व होते हैं। धर्म और मोक्ष तत्त्व भी प्राप्त हो सकते हैं। काम और अर्थ रूपी मानव जीवन की दुपहिया गाड़ी पर धर्म और मोक्ष का अंकुश रहता है तो मानव जीवन की दुपहिया गाड़ी अच्छे ढंग से चल सकती है। अगर निरंकुश हो जाए, इस पर किसी प्रकार का नियंत्रण न हो तो मानव दुःखों के गर्त जाकर गिर सकता है। काम मानव जीवन का साध्य बन जाता है और उसका साधन बनता है अर्थ। ये दोनों आदमी के जीवन की सांसारिक बातें हो जाती हैं। गृहस्थ जीवन में आदमी अर्थ का अर्जन करता है और उसका उपयोग भी करता है। कोई भोग में उपयोग करता है तो कोई दान में भी उपयोग करता है। संस्कृत साहित्य में धन की तीन गतियां बताई गई हैं- दान, भोग और नाश। जो आदमी धन का न तो दान देता है और न ही भोग करता है तो उस अर्थ का नाश भी हो सकता है। मानव दान कहां देता है, यह विवेक की बात होती है। कोई सामाजिक कार्य में यथा विद्यालयों में, चिकित्सालयों में, गरीबों को, गौशाला, प्याऊ, रुग्णोें आदि की सेवा आदि में दान देना लौकिक दान है और सामाजिक क्षेत्र का दान होता है। इसमें आदमी की दयालुता प्रकाशित होती है। कहीं कोई आपराधिक गतिविधियों को चलाने में अर्थ को देता है। कोई-कोई आदमी धर्म आदि के कार्यों में दान करता है। धार्मिक गतिविधियों में दान देना बहुत अच्छी बात होती है। धार्मिक साहित्य के प्रकाशन आदि में भी दान दिया जाता है। आदमी खुद के जीवन को अच्छे ढंग से चलाने के लिए अर्थ का खर्च करता है, वह उसका भोग करता है। जो आदमी न दान करता है न ही भोग करता है, उसके अर्थ अर्थात् धन का कभी नाश भी हो सकता है। जो आदमी स्वयं को अमर के समान मानकर काम और अर्थ में आसक्ति करता है, उसके जीवन की दुपहिया गर्त की ओर जा सकती है। इसलिए अर्थ और काम पर धर्म व मोक्ष का अंकुश रखने का प्रयास करे, ताकि जीवन सुगति को प्राप्त हो सके। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया। अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी तपस्या का प्रत्याख्यान किया।

अमृतवाणी स्वर संगम 2024 के EAST ZONE FINALE हुआ कोलकाता में….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times कोलकाता, अमृतवाणी स्वर संगम 2024 के इस्ट जोन फिनाले 22-09-2024 को कोलकाता मे आयोजित हुआ। आयोजन मे सहयोगी के रूप में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा (कलकत्ता पूर्वांचल) ट्रस्ट का महनीय सहयोग मिला। पूर्वांचल सभा के मुख्य न्यासी श्री बाबुलाल जी गंघ, अध्यक्ष श्री संजय जी सिंघी के साथ उनकी पूरी टीम उपस्थित थीं। EAST ZONE के संयोजक श्री पंकज डोसी एवं श्री आलोक बरमेचा के साथ पूर्वांचल सभा की पूरी टीम का श्रम मुखर रहा। म्यूजिक टीम, साउण्ड सिस्टम बहुत अच्छा था। निर्णायक के रूप में संगीत विशेषज्ञ व्यक्तियों का सहयोग रहा। श्री सुशील जी हीरावत, श्री सुबोध जी छाज़ेड एवं श्री जगत जी कोठारी का उदारभाव सहयोग मिला। आप सबके सुंदर सहयोग ने आयोजन को सफलता प्रदान की। सबके प्रति हार्दिक आभार। समाज के महानुभावों की गरिमामय उपस्थिति ने आयोजन को सफल बनाया। अमृतवाणी स्वर संगम के सभी प्रतिभागियों की शानदार प्रस्तुति रही। सबके प्रति मंगलकामना। परिणाम इस प्रकार रहा- श्रद्धा गुजरानी, नौगाँव सलोनी आँचलिया, सलकिया अरिहन्त शामसुखा, कोलकाता, इन तीनों ने GRAND FINALE के लिए प्रवेश किया। कार्यक्रम में अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश जी डागा, महामंत्री श्री अमित जी नाहटा, महासभा के कोषाध्यक्ष श्री मदन जी मरोठी, जैन विश्व भारती के सहमंत्री श्री नवीन जी बेंगानी, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान की ट्रस्टी श्रीमती संगीता शामसुखा, अमृतवाणी के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रकाश जी बैद, ट्रस्टी श्री रतन दूगड़, श्रीमती संगीता जी सेखानी, कोलकाता महानगर की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों की गरिमामय उपस्थिति रही। व्यवस्थाओं में श्री नवीन बैंगानी का अच्छा सहयोग रहा। प्रत्यक्ष परोक्ष सभी सहयोगी महानुभावों के प्रति हार्दिक आभार। कार्यक्रम का कुशल संचालन स्वर संगम के राष्ट्रीय संयोजक श्री पन्ना लाल जी पुगलिया ने किया। अमृतवाणी परिवार

अमृतवाणी स्वर संगम 2024 के EAST ZONE FINALE हुआ कोलकाता में….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times कोलकाता, अमृतवाणी स्वर संगम 2024 के इस्ट जोन फिनाले 22-09-2024 को कोलकाता मे आयोजित हुआ। आयोजन मे सहयोगी के रूप में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा (कलकत्ता पूर्वांचल) ट्रस्ट का महनीय सहयोग मिला। पूर्वांचल सभा के मुख्य न्यासी श्री बाबुलाल जी गंघ, अध्यक्ष श्री संजय जी सिंघी के साथ उनकी पूरी टीम उपस्थित थीं। EAST ZONE के संयोजक श्री पंकज डोसी एवं श्री आलोक बरमेचा के साथ पूर्वांचल सभा की पूरी टीम का श्रम मुखर रहा। म्यूजिक टीम, साउण्ड सिस्टम बहुत अच्छा था। निर्णायक के रूप में संगीत विशेषज्ञ व्यक्तियों का सहयोग रहा। श्री सुशील जी हीरावत, श्री सुबोध जी छाज़ेड एवं श्री जगत जी कोठारी का उदारभाव सहयोग मिला। आप सबके सुंदर सहयोग ने आयोजन को सफलता प्रदान की। सबके प्रति हार्दिक आभार। समाज के महानुभावों की गरिमामय उपस्थिति ने आयोजन को सफल बनाया। अमृतवाणी स्वर संगम के सभी प्रतिभागियों की शानदार प्रस्तुति रही। सबके प्रति मंगलकामना। परिणाम इस प्रकार रहा- श्रद्धा गुजरानी, नौगाँव सलोनी आँचलिया, सलकिया अरिहन्त शामसुखा, कोलकाता, इन तीनों ने GRAND FINALE के लिए प्रवेश किया। कार्यक्रम में अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश जी डागा, महामंत्री श्री अमित जी नाहटा, महासभा के कोषाध्यक्ष श्री मदन जी मरोठी, जैन विश्व भारती के सहमंत्री श्री नवीन जी बेंगानी, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान की ट्रस्टी श्रीमती संगीता शामसुखा, अमृतवाणी के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रकाश जी बैद, ट्रस्टी श्री रतन दूगड़, श्रीमती संगीता जी सेखानी, कोलकाता महानगर की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों की गरिमामय उपस्थिति रही। व्यवस्थाओं में श्री नवीन बैंगानी का अच्छा सहयोग रहा। प्रत्यक्ष परोक्ष सभी सहयोगी महानुभावों के प्रति हार्दिक आभार। कार्यक्रम का कुशल संचालन स्वर संगम के राष्ट्रीय संयोजक श्री पन्ना लाल जी पुगलिया ने किया। अमृतवाणी परिवार

आचार्य महाश्रमणजी ने अपने प्रवचनों मे कहा कि अच्छी गति-प्रगति कर रहा है जैन विश्व भारती …सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात) डामण्ड सिटि सूरत में भव्य चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अभी भी निरंतर संस्थाओं के अधिवेशन का क्रम भी जारी है तो उसके साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु जनता संघबद्ध रूप में उपस्थित होकर पावन आशीर्वाद प्राप्त कर रही है। गुरुवार को आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में एक ओर जहां जैन विश्व भारती के द्विदिवसीय वार्षिक अधिवेशन का उपक्रम रहा तो दूसरी ओर सूरत के लगभग 28 विद्यालयों के विद्यार्थियों ने उपस्थित होकर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुवार को महावीर समवसरण से भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आयारो आगम में कहा गया है कि आदमी कामासक्त होता है, कामनाओं से ग्रस्त होता है। ऐसा आदमी वैर को बढ़ाने वाला होता है। अपने आपको दुःखी बनाना, पाप कर्मों का बंधन करना भी स्वयं के प्रति वैर बढ़ा लेने की बात होती है। कामनाओं की पूर्ति होते ही आगे की कामना हो जाती है। यदि कामनाओं की पूर्ति नहीं होती आदमी के मन में आक्रोश भी आ सकता है। किसी आदमी में सत्ता प्राप्ति की कामना, किसी को धन प्राप्ति की कामना, किसी को यश-ख्याति की कामना आदि-आदि अनेक प्रकार की कामनाएं पनपती रहती हैं। कामनाओं का होना ही दुःख का कारण होता है। कामनाओं के कारण होने वाले दुःख से बचने व उसे कम करने के लिए मानव को अपनी कामनाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने जीवन में अच्छे कार्य में पुरुषार्थ करे और उन अच्छे कार्यों के द्वारा भौतिक पदार्थों की कामना नहीं करना चाहिए। कई बार पुरुषार्थ के बाद भी प्रतिफल प्राप्त हो जाए, यह कोई जरूरी नहीं होता। इससे भी आदमी को दुःखी नहीं बनना चाहिए। कर्म करने के बाद भी यदि मनोनुकूल फल नहीं भी मिले तो भी आदमी को समता व शांति में रहने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने पुरुषार्थ में कमी नहीं रखना चाहिए, परिणाम हाथ की बात नहीं। साधु-साध्वी भी यदि कई लोगों पर ध्यान देने के बाद भी एक भी मुमुक्षु तैयार नहीं कर सके तो सोचना चाहिए कि सबको जोड़ लेना और धर्म से जोड़ देना मेरे क्षेत्र की बात नहीं। इसलिए आदमी को अनपेक्षित कामनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को जीवन में पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। कामना भी हो तो आत्मकल्याण की कामना हो तो जीवन का अच्छा क्रम बन सकता है। आचार्यश्री की अनुज्ञा से मुनि उदितकुमारजी ने तेरापंथ दर्शन और तत्त्वज्ञान के संदर्भ में साध्य और साधन पर अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती का द्विदिवसीय वार्षिक अधिवेशन का आज मंचीय उपक्रम भी था। इस क्रम में जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए गत दो वर्ष में हुए जैन विश्व भारती के गति-प्रगति का विवरण वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया। जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। जैन विश्व भारती के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि कीर्तिकुमारजी ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ से संबद्ध विविध संस्थाएं हैं, उनमें एक है जैन विश्व भारती। इस संस्था का जन्म आचार्यश्री तुलसी के समय हुआ था। यह संस्था अपनी शताब्दी के उत्तर्राध में चल रही है। इस संस्था ने विकास किया है। कई बार भौतिक सहयोग आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए आवश्यक होता है। गुरुदेव तुलसी तो वहां लगातार दो-दो चतुर्मास करते थे। इसमें मान्य विश्वविद्यालय विकसित हुआ है। वहां एक आश्रम का-सा रूप है। वहां योगक्षेम वर्ष का आयोजन हुआ था। आचार्यश्री तुलसी ने जैन विश्व भारती को कामधेनु कहा था। शिक्षा, शोध, साधना, साहित्य आदि गतिविधियां खूब आगे बढ़ती रहें। मैंने तो वहां योगक्षेम वर्ष का निर्धारण भी कर दिया है। खूब अच्छा विकास होता रहे। आचार्यश्री के मंगल आशीर्वचन के उपरान्त साध्वी स्तुतिप्रभाजी ने गीत का संगान किया। सूरत के लगभग 28 स्कूल के विद्यार्थियों ने ‘बदले युग की धारा’ गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में आशीष प्रदान करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी विद्यार्थियों को प्रदान किया जाता रहे। विद्यार्थियों के जीवन में अच्छे गुणों और संस्कारों का विकास होता रहे।

आचार्य महाश्रमणजी ने अपने प्रवचनों मे कहा कि अच्छी गति-प्रगति कर रहा है जैन विश्व भारती …सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात) डामण्ड सिटि सूरत में भव्य चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अभी भी निरंतर संस्थाओं के अधिवेशन का क्रम भी जारी है तो उसके साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु जनता संघबद्ध रूप में उपस्थित होकर पावन आशीर्वाद प्राप्त कर रही है। गुरुवार को आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में एक ओर जहां जैन विश्व भारती के द्विदिवसीय वार्षिक अधिवेशन का उपक्रम रहा तो दूसरी ओर सूरत के लगभग 28 विद्यालयों के विद्यार्थियों ने उपस्थित होकर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुवार को महावीर समवसरण से भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आयारो आगम में कहा गया है कि आदमी कामासक्त होता है, कामनाओं से ग्रस्त होता है। ऐसा आदमी वैर को बढ़ाने वाला होता है। अपने आपको दुःखी बनाना, पाप कर्मों का बंधन करना भी स्वयं के प्रति वैर बढ़ा लेने की बात होती है। कामनाओं की पूर्ति होते ही आगे की कामना हो जाती है। यदि कामनाओं की पूर्ति नहीं होती आदमी के मन में आक्रोश भी आ सकता है। किसी आदमी में सत्ता प्राप्ति की कामना, किसी को धन प्राप्ति की कामना, किसी को यश-ख्याति की कामना आदि-आदि अनेक प्रकार की कामनाएं पनपती रहती हैं। कामनाओं का होना ही दुःख का कारण होता है। कामनाओं के कारण होने वाले दुःख से बचने व उसे कम करने के लिए मानव को अपनी कामनाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने जीवन में अच्छे कार्य में पुरुषार्थ करे और उन अच्छे कार्यों के द्वारा भौतिक पदार्थों की कामना नहीं करना चाहिए। कई बार पुरुषार्थ के बाद भी प्रतिफल प्राप्त हो जाए, यह कोई जरूरी नहीं होता। इससे भी आदमी को दुःखी नहीं बनना चाहिए। कर्म करने के बाद भी यदि मनोनुकूल फल नहीं भी मिले तो भी आदमी को समता व शांति में रहने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने पुरुषार्थ में कमी नहीं रखना चाहिए, परिणाम हाथ की बात नहीं। साधु-साध्वी भी यदि कई लोगों पर ध्यान देने के बाद भी एक भी मुमुक्षु तैयार नहीं कर सके तो सोचना चाहिए कि सबको जोड़ लेना और धर्म से जोड़ देना मेरे क्षेत्र की बात नहीं। इसलिए आदमी को अनपेक्षित कामनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को जीवन में पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। कामना भी हो तो आत्मकल्याण की कामना हो तो जीवन का अच्छा क्रम बन सकता है। आचार्यश्री की अनुज्ञा से मुनि उदितकुमारजी ने तेरापंथ दर्शन और तत्त्वज्ञान के संदर्भ में साध्य और साधन पर अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती का द्विदिवसीय वार्षिक अधिवेशन का आज मंचीय उपक्रम भी था। इस क्रम में जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए गत दो वर्ष में हुए जैन विश्व भारती के गति-प्रगति का विवरण वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया। जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। जैन विश्व भारती के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि कीर्तिकुमारजी ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ से संबद्ध विविध संस्थाएं हैं, उनमें एक है जैन विश्व भारती। इस संस्था का जन्म आचार्यश्री तुलसी के समय हुआ था। यह संस्था अपनी शताब्दी के उत्तर्राध में चल रही है। इस संस्था ने विकास किया है। कई बार भौतिक सहयोग आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए आवश्यक होता है। गुरुदेव तुलसी तो वहां लगातार दो-दो चतुर्मास करते थे। इसमें मान्य विश्वविद्यालय विकसित हुआ है। वहां एक आश्रम का-सा रूप है। वहां योगक्षेम वर्ष का आयोजन हुआ था। आचार्यश्री तुलसी ने जैन विश्व भारती को कामधेनु कहा था। शिक्षा, शोध, साधना, साहित्य आदि गतिविधियां खूब आगे बढ़ती रहें। मैंने तो वहां योगक्षेम वर्ष का निर्धारण भी कर दिया है। खूब अच्छा विकास होता रहे। आचार्यश्री के मंगल आशीर्वचन के उपरान्त साध्वी स्तुतिप्रभाजी ने गीत का संगान किया। सूरत के लगभग 28 स्कूल के विद्यार्थियों ने ‘बदले युग की धारा’ गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में आशीष प्रदान करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी विद्यार्थियों को प्रदान किया जाता रहे। विद्यार्थियों के जीवन में अच्छे गुणों और संस्कारों का विकास होता रहे।

फारबिसगंज तेरापंथ भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन…मीनू धाडेंवा, जिला संवाददाता, Key LINE TIMES फारबिसगंज, फारबिसगंज के तेरापंथ भवन मे आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ठाणा चार की सन्निधि में नेपाल बिहार झारखंड स्तरीय एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। तेरापंथ धर्म संघ की मुख्य संस्था है जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा। इसी संस्था शिरोमणि महासभा के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन स्थानीय फारबिसगंज सभा के द्वारा करवाया गया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि महासभा के अध्यक्ष मनसुखदास जी सेठिया, सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं पंच मंडल के सदस्य सुरेश जी गोयल उपाध्यक्ष बसंत जी सुराणा, उपाध्यक्ष विजयराज जी चोपड़ा एवं उनकी टीम थी। इस कार्यशाला में नेपाल बिहार झारखंड तीनो क्षेत्रों से करीबन 34 शहरो के अध्यक्ष मंत्री एवं अन्य पदाधिकारी गण के साथ लगभग 150 व्यक्तियों ने इसमें भाग लिया। कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का कार्यक्रम तीन सत्रों में चला साध्वी श्री स्वर्णरेखाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में बताया कि कार्यकर्ता के गुणो की व्याख्या करते हुए बताया कि कार्यकर्ता में केकड़ावृति नहीं जटायु वृत्ति होनी चाहिए। कार्यकर्ता को पदलिप्सा त्याग कर संघसेवा में हमेशा तैयार रहना चाहिए। आचार्य श्री भिक्षु ,आचार्य श्री तुलसी ,आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी सभी ने सफल कार्यकर्ता होने के लिए एक ही मंत्र दिया है वह है अंग्रेजी के पांच शब्द।एक सफल कार्यकर्ता “आई “को त्याग कर “वी “में आए और “ईगो” को अपने जीवन से हटाते हुए “लव ” की “लाईट” से दुनिया को प्रकाशित करें। एक कार्यकर्ता अपना कार्य सुरंग से करके निकल जाता है। और किसी को पता भी नहीं चलता है यही एक सच्चे कार्यकर्ता की पहचान है। फारबिसगंज समाज की तरफ से एक बहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। जिसमें स्थानीय सभा ने स्वागत गीतिका का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद में फूलों के माध्यम से कार्यकर्ता में क्या गुण होने चाहिए इस पर एक परिसंवाद प्रस्तुत किया स्थानीय महिला मंडल एवं कन्या मंडल ने सांची कहूं तोरे आवन से हमारी नगरी में आई बहार अध्यक्ष जी ….स्वागत गीतिका के द्वारा सभी का मन मोह लिया। महासभा के अध्यक्ष मनसुख दास जी सेठिया ने सभा के करणीय कार्यों के बारे में चर्चा की। । संघ निर्देशिका पुस्तक का पठन करके हम सभा के सभी नियमों को भलीभांति से जान सकते हैं। महासभा के संवाहक अनूप जी बोथरा ने बिहार क्षेत्र में महासभा के कार्यों की जानकारी दी। महासभा के संवाहक नेमचंदजी ने सभा की नियमावली का वाचन किया।साध्वी श्रीस्वर्ण रेखा जी ने मंगल पाठ के द्वारा इस कार्यशाला का समापन करवाया। संवाददाता मीनू धाड़ेवा

फारबिसगंज तेरापंथ भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन…मीनू धाडेंवा, जिला संवाददाता, Key LINE TIMES फारबिसगंज, फारबिसगंज के तेरापंथ भवन मे आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ठाणा चार की सन्निधि में नेपाल बिहार झारखंड स्तरीय एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। तेरापंथ धर्म संघ की मुख्य संस्था है जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा। इसी संस्था शिरोमणि महासभा के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन स्थानीय फारबिसगंज सभा के द्वारा करवाया गया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि महासभा के अध्यक्ष मनसुखदास जी सेठिया, सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं पंच मंडल के सदस्य सुरेश जी गोयल उपाध्यक्ष बसंत जी सुराणा, उपाध्यक्ष विजयराज जी चोपड़ा एवं उनकी टीम थी। इस कार्यशाला में नेपाल बिहार झारखंड तीनो क्षेत्रों से करीबन 34 शहरो के अध्यक्ष मंत्री एवं अन्य पदाधिकारी गण के साथ लगभग 150 व्यक्तियों ने इसमें भाग लिया। कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का कार्यक्रम तीन सत्रों में चला साध्वी श्री स्वर्णरेखाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में बताया कि कार्यकर्ता के गुणो की व्याख्या करते हुए बताया कि कार्यकर्ता में केकड़ावृति नहीं जटायु वृत्ति होनी चाहिए। कार्यकर्ता को पदलिप्सा त्याग कर संघसेवा में हमेशा तैयार रहना चाहिए। आचार्य श्री भिक्षु ,आचार्य श्री तुलसी ,आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी सभी ने सफल कार्यकर्ता होने के लिए एक ही मंत्र दिया है वह है अंग्रेजी के पांच शब्द।एक सफल कार्यकर्ता “आई “को त्याग कर “वी “में आए और “ईगो” को अपने जीवन से हटाते हुए “लव ” की “लाईट” से दुनिया को प्रकाशित करें। एक कार्यकर्ता अपना कार्य सुरंग से करके निकल जाता है। और किसी को पता भी नहीं चलता है यही एक सच्चे कार्यकर्ता की पहचान है। फारबिसगंज समाज की तरफ से एक बहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। जिसमें स्थानीय सभा ने स्वागत गीतिका का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद में फूलों के माध्यम से कार्यकर्ता में क्या गुण होने चाहिए इस पर एक परिसंवाद प्रस्तुत किया स्थानीय महिला मंडल एवं कन्या मंडल ने सांची कहूं तोरे आवन से हमारी नगरी में आई बहार अध्यक्ष जी ….स्वागत गीतिका के द्वारा सभी का मन मोह लिया। महासभा के अध्यक्ष मनसुख दास जी सेठिया ने सभा के करणीय कार्यों के बारे में चर्चा की। । संघ निर्देशिका पुस्तक का पठन करके हम सभा के सभी नियमों को भलीभांति से जान सकते हैं। महासभा के संवाहक अनूप जी बोथरा ने बिहार क्षेत्र में महासभा के कार्यों की जानकारी दी। महासभा के संवाहक नेमचंदजी ने सभा की नियमावली का वाचन किया।साध्वी श्रीस्वर्ण रेखा जी ने मंगल पाठ के द्वारा इस कार्यशाला का समापन करवाया। संवाददाता मीनू धाड़ेवा

*-आचार्यश्री महाश्रमणजी ने लोभ को बताया पाप का बाप, लोभ को छोड़ने को किया अभिप्रेरित…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात) , सूरत शहर में चतुर्मास करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अनेकानेक कार्यक्रम, अधिवेशन, सेमिनार, गोष्ठी आदि के साथ-साथ अनेक उपक्रम भी संचालित हो रहे हैं। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अंतर्गत स्थानीय तेरापंथ किशोर मण्डल द्वारा दोदिवसीय तेरापंथ हस्तकला उत्सव का समायोजन किया गया। आचार्यश्री के मंगल आशीष से प्रारम्भ हुए इस उत्सव को दो दिनों में सैंकड़ों लोगों ने देखा, जाना व समझा। किशोरों द्वारा सुन्दर ढंग से हाथों से विभिन्न वस्तुओं पर बनाई गई कलाकृति प्रदर्शित की गई थी, जो दर्शकों को काफी आकर्षित कर रही थी। नारियल, अखरोट के छिलको पर कलाकारी, लकड़ी, वस्त्र इत्यादि चीजों पर की गयी चित्रकारी उनके हुनर को दर्शा रही थी। बुधवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अध्यात्मवेत्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने महावीर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को आयारो आगम के माध्यम से पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी में लोभ की वृत्ति होती है। तत्त्वज्ञान के अनुसार दसवें गुणस्थान तक लोभ बना रहता है। मान और माया तो पहले समाप्त हो जाते हैं, किन्तु लोभ सबसे अंत में समाप्त होने वाला होता है। सामान्य आदमी लोभ के कारण माया भी कर सकता है, लोभ के कारण झूठ बोल सकता है और लोभ के कारण ही हिंसा, हत्या जैसा जघन्य पाप भी कर सकता है। इसलिए लोभ को पाप का बाप कहा गया है। लोभ ही समस्त पापों का जनक होता है। लोभ के कारण आदमी कामनाओं से भावित होता है और फिर उसे करने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। जो आदमी लोभ की प्रवृत्ति को छोड़कर अलोभी बन जाए तो उसकी आत्मा कितनी निष्पाप बन सकता है। अलोभ से लोभ को जीतने का प्रयास करना चाहिए। संतोष से लोभ पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। आदमी लोभ को कम करने का प्रयास करना चाहिए। संतोष परम सुख होता है। गृहस्थ जीवन में कोई धनाढ्य हो सकता है। किसी के पास गाड़ी, बंगला, रुपया, पैसा आदि हो सकता है। भवन में एसी आदि की सुविधा हो सकती है, यथा अनेक प्रकार की सुविधाएं हो सकती हैं। इस भौतिक संसाधनों से सुविधा भले प्राप्त हो सकती है, किन्तु शांति की प्राप्ति नहीं हो सकती। मानसिक शांति के लिए जीवन में साधना का होना आवश्यक होता है। मानसिक शांति की प्राप्ति साधना हो सकती है। जहां आकांक्षा, तृष्णा नहीं होती, वहां शांति होती है। अहिंसा, संयम, तप, त्याग की साधना शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इसलिए आदमी को शांति के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। चतुर्मास का यह समय चल रहा है। चतुर्मास का आधा हिस्सा बीत गया है। अब चतुर्मास का उत्तर्राध चल रहा है। जैन साधु इन चार महीने तक एक स्थान पर रहता है। यह स्थिरता से साधना करने का समय होता है। इस दौरान जितना संभव हो सके आदमी को शांति प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ का जीवन जीने वाले जितना संभव हो सके, परिग्रह कम करने, संतोष व अलोभ की चेतना का विकास करने का प्रयास होगा, उतना ही परम सुख की प्राप्ति की दिशा में गति हो सकती है। जैन विश्व भारती द्वारा आचार्य भारमलजी की चित्रकथा को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल-सूरत ने चौबीसी के गीत का संगान किया। प्रोफेसर धर्मचंद जैन ने अपनी पचासवीं कृति ‘भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और राष्ट्रपति के दो भाग’ को पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित करते हुए अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। कच्छ-भुज से समागत श्री झवेरीजी, श्री हितेश खांडोर, श्री कीर्तिभाई ने अपनी अभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया।

*-आचार्यश्री महाश्रमणजी ने लोभ को बताया पाप का बाप, लोभ को छोड़ने को किया अभिप्रेरित…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात) , सूरत शहर में चतुर्मास करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अनेकानेक कार्यक्रम, अधिवेशन, सेमिनार, गोष्ठी आदि के साथ-साथ अनेक उपक्रम भी संचालित हो रहे हैं। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अंतर्गत स्थानीय तेरापंथ किशोर मण्डल द्वारा दोदिवसीय तेरापंथ हस्तकला उत्सव का समायोजन किया गया। आचार्यश्री के मंगल आशीष से प्रारम्भ हुए इस उत्सव को दो दिनों में सैंकड़ों लोगों ने देखा, जाना व समझा। किशोरों द्वारा सुन्दर ढंग से हाथों से विभिन्न वस्तुओं पर बनाई गई कलाकृति प्रदर्शित की गई थी, जो दर्शकों को काफी आकर्षित कर रही थी। नारियल, अखरोट के छिलको पर कलाकारी, लकड़ी, वस्त्र इत्यादि चीजों पर की गयी चित्रकारी उनके हुनर को दर्शा रही थी। बुधवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अध्यात्मवेत्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने महावीर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को आयारो आगम के माध्यम से पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी में लोभ की वृत्ति होती है। तत्त्वज्ञान के अनुसार दसवें गुणस्थान तक लोभ बना रहता है। मान और माया तो पहले समाप्त हो जाते हैं, किन्तु लोभ सबसे अंत में समाप्त होने वाला होता है। सामान्य आदमी लोभ के कारण माया भी कर सकता है, लोभ के कारण झूठ बोल सकता है और लोभ के कारण ही हिंसा, हत्या जैसा जघन्य पाप भी कर सकता है। इसलिए लोभ को पाप का बाप कहा गया है। लोभ ही समस्त पापों का जनक होता है। लोभ के कारण आदमी कामनाओं से भावित होता है और फिर उसे करने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। जो आदमी लोभ की प्रवृत्ति को छोड़कर अलोभी बन जाए तो उसकी आत्मा कितनी निष्पाप बन सकता है। अलोभ से लोभ को जीतने का प्रयास करना चाहिए। संतोष से लोभ पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। आदमी लोभ को कम करने का प्रयास करना चाहिए। संतोष परम सुख होता है। गृहस्थ जीवन में कोई धनाढ्य हो सकता है। किसी के पास गाड़ी, बंगला, रुपया, पैसा आदि हो सकता है। भवन में एसी आदि की सुविधा हो सकती है, यथा अनेक प्रकार की सुविधाएं हो सकती हैं। इस भौतिक संसाधनों से सुविधा भले प्राप्त हो सकती है, किन्तु शांति की प्राप्ति नहीं हो सकती। मानसिक शांति के लिए जीवन में साधना का होना आवश्यक होता है। मानसिक शांति की प्राप्ति साधना हो सकती है। जहां आकांक्षा, तृष्णा नहीं होती, वहां शांति होती है। अहिंसा, संयम, तप, त्याग की साधना शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इसलिए आदमी को शांति के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। चतुर्मास का यह समय चल रहा है। चतुर्मास का आधा हिस्सा बीत गया है। अब चतुर्मास का उत्तर्राध चल रहा है। जैन साधु इन चार महीने तक एक स्थान पर रहता है। यह स्थिरता से साधना करने का समय होता है। इस दौरान जितना संभव हो सके आदमी को शांति प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ का जीवन जीने वाले जितना संभव हो सके, परिग्रह कम करने, संतोष व अलोभ की चेतना का विकास करने का प्रयास होगा, उतना ही परम सुख की प्राप्ति की दिशा में गति हो सकती है। जैन विश्व भारती द्वारा आचार्य भारमलजी की चित्रकथा को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल-सूरत ने चौबीसी के गीत का संगान किया। प्रोफेसर धर्मचंद जैन ने अपनी पचासवीं कृति ‘भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और राष्ट्रपति के दो भाग’ को पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित करते हुए अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। कच्छ-भुज से समागत श्री झवेरीजी, श्री हितेश खांडोर, श्री कीर्तिभाई ने अपनी अभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया।

मदुरै में मोटर चालकों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए किया गया प्रोत्साहित… सतीश जैन,ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times मदूरै,यातायात पुलिस विभाग लगातार वाहन चालकों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रहा है। इसके बाद यातायात नियमों का पालन करने वाले और वाहन चलाने वाले वाहन चालकों को पुरस्कार और सराहना दी जाती है। ऐसे में आज 23.09.24 को अराराडी की बैठक में मदुरै ट्रैफिक पुलिस की डिप्टी कमिश्नर एस वनिता ने कहा. ट्रैफिक सिग्नल पर, उन्होंने वाहन चालकों को स्टॉप लाइन पर ठीक से रुकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पेन, मिठाइयाँ और जागरूकता पुस्तिकाएँ वितरित कीं। उनके साथ सहायक परिवहन आयुक्त श्री इलामरण सर भी थे। नव युवक तिलकर थिटल ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर श्री थंगामणि ने मिलकर काम किया।

मदुरै में मोटर चालकों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए किया गया प्रोत्साहित… सतीश जैन,ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times मदूरै,यातायात पुलिस विभाग लगातार वाहन चालकों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रहा है। इसके बाद यातायात नियमों का पालन करने वाले और वाहन चलाने वाले वाहन चालकों को पुरस्कार और सराहना दी जाती है। ऐसे में आज 23.09.24 को अराराडी की बैठक में मदुरै ट्रैफिक पुलिस की डिप्टी कमिश्नर एस वनिता ने कहा. ट्रैफिक सिग्नल पर, उन्होंने वाहन चालकों को स्टॉप लाइन पर ठीक से रुकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पेन, मिठाइयाँ और जागरूकता पुस्तिकाएँ वितरित कीं। उनके साथ सहायक परिवहन आयुक्त श्री इलामरण सर भी थे। नव युवक तिलकर थिटल ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर श्री थंगामणि ने मिलकर काम किया।

साउथ हावड़ा मे हुवा पूर्वांचल स्तरीय युवा सम्मेलन का भव्य आयोजन…सुरेंद्र मुनोत ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Timea साउथ हावड़ा, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी ठाणा- 3 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में पूर्वांचल स्तरीय युवा सम्मेलन का आयोजन प्रेक्षा विहार में तेरापंथ युवक परिषद् साउथ हावड़ा द्वारा किया गया। सम्मेलन में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष रमेश डागा, महामंत्री अमित नाहटा, मुख्य वक्ता कल्याण परिषद के संयोजक के. सी. जैन मुख्य अतिथि आई.ए.एस. अफिसर वैभव चैधरी, अ.भा. ते.यु.प. के पूर्व अध्यक्ष रतनजी दुगड़, महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेश जी गोयल, अ.भा.यु.प.के पूर्व सहमंत्री सचेतक अनंत बागरेचा, कार्यकारिणी सदस्य जय चोरडिया,महाप्रज्ञ मेडिकल प्रभारी विकास बोथरा, भिक्षु दर्शन कार्यशाला प्रभारी सूर्यप्रकाश डागा, कार्यकारिणी सदस्य दीप पुगलिया, सुमित छाजेड़, राजीव बोथरा, आदि गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित थे। उद्‌घाटन सत्र में संगठन और युवा विषय पर उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा- सामाजिक एवं धार्मिक चेतना के जागरण का एक सशक्त माध्यम है- संगठन । संगठन में शक्ति होती है। शक्ति-शक्ति को आकर्षित – करती है। शक्ति व दायित्व बोध के अभाव में अच्छे से अच्छा संगठन भी तिनके की तरह बिखर जाता है | उद्देश्य और दायित्व के साथ चलने वाला छोटे से छोटा संगठन भी आकाशव्यापी ऊँचाईयों को प्राप्त हो सकता है। गुरुदेव तुलसी की दूर दर्शिता, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सिंचन से यह बहुत फली और फूली है। संगठन को शक्तिशाली बनाने के लिए समन, अप्रतिबद्ध व शांति साधक व्यक्तियों का होना बहुत जरुरी है। ‘मुनि श्री ने आगे कहा- युवा स्वर्ग की सच्ची अनुभूति है। युवा समाज का यथार्थ प्रतिबिम्ब है। युवा शक्ति का प्रतीक व ऊर्जा का पुंज है। युवा देश की तकदीर व तस्वीर है। युवा पराक्रम का प्रतीक होता है। वह अपने पुरुषार्थ व पराक्रम के द्वारा असंभव प्रतीत होने वाले कार्य को भी संभव बना देता है। युवा शब्द या अर्थ है वायु की तरह गतिशील होना। युवाओं को श्रद्वाशील विचारशील, सहनशील, कर्मशील व चरित्र शील होना चाहिए। सेवा, संस्कार व संगठन के माध्यम से सभी युवा धर्मसंघ की खूब सेवा करते रहें। इस अवसर पर मुनि श्री परमानंद जी ने कहा- संगठन में शक्ति होती है। सेवा, संस्कार के कार्य भी तभी हो सकेंगे जब युवा संगठित, और एकजुट होंगें। इस अवसर पर बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम उद्‌घाटन सत्र का प्रारंभ मुनि श्री के नमस्कार महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। शाखा परिषदों के अध्यक्ष मंत्रियों द्वारा विजय गीत का संगान किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन कल्याण परिषद् के संयोजक के सी. जैन ने किया। अ.भा.ते.यु.प. के अध्यक्ष रमेशजी डागा ने युवा सम्मेलन के उद्‌घाटन की घोषणा की। स्वागत भाषण तेरापंथ युवक परिषद् साउथ हावड़ा के अध्यक्ष गगनदीप बैद ने किया। साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के सहमंत्री कपिल धारीवाल ने सभा की ओर से आगंतुकों का स्वागत करते हुए विचार-व्यक्त किये। राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेशजी डागा ने सेवा संस्कार व संगठन के बारे में जानकारी देते हुए संगठित रहते हुए संस्था के प्रति समर्पित रहकर कार्य करने का आहवान किया मुख्य वक्ता कल्याण परिषद के संयोजक के सी. जैन ने युवाओं को प्रकृति के नियमों व श्वास के प्रति जागरूक रहकर धर्मसंध की सेवा करने की बात कही। मुख्य अतिथि I.A.S. ऑफिसर वैभव चौधरी ने कहा- युवापीढ़ी अपने जीवन में धर्म एवं संघ को सुदृढ़ करें। सभी एकजुट होकर एक दूसरे को सहयोग करें। ते.यु.प. एवं किशोर मंडल के सदस्यों ने सुमधुर गीत का संगान किया। अतिथियों एवं प्रायोजको का ते.यु.प. द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी व मंत्री अमीत बैगवानी ने किया। द्वितीय सत्र संकल्प सत्र (हमारा संकल्प हमारे आयाम) में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने उदबोदन में कहा की 2016 से ही पूर्वांचल की सभी परिषदें अधिक सक्रियता के साथ कार्य कर रही है। आचार्य तुलसी की दूरगामी सोच थी की युवा कुछ भी कार्य कर सकता है । इस संस्था में कार्यकर्ताओं का निर्माण होता है। पूर्वांचल स्तरीय युवा सम्मेलन में भी युवक उपस्थित है सब क्वालिटी है और जो चाहते है की धर्म संघ का विकास हो। युवक परिषद एक मात्र संस्था है जिसके पास तीस आयाम है। अभातेयुप के पूर्व अध्यक्ष श्री रतन लाल दुगड़ ने बताया की जब परिषद का निर्माण हुआ तब आचार्य तुलसी से पूछा गया गुरुदेव हम क्या करें क्योंकि उस समय कोई कार्य करने को नही था और आज बोलते है हम क्या क्या करें। युवकों को अपने समय का नियोजन करना चाहिए। युवा सम्मेलन करने का उद्देश्य है की हम सब को एक दूसरे से प्रेरणा मिले। अभातेयुप संचेतक श्री अनंत बागरेचा , अभातेयुप सदस्य श्री विकास बोथरा, श्री सुमित छाजेड़,श्री दीप पुगलिया, श्री जय चोरड़िया, श्री राजीव बोथरा, श्री सूर्यप्रकाश डागा ने आयामों के विषय में जानकारी प्रदान की। अभातेयुप महामंत्री श्री अमित नाहटा ने कहा की हमारा युवक परिषद से जुड़ने का लक्ष्य है की हम अपने जीवन को और अच्छा कैसे बना सकें। हमारे अंदर बोलने का विकास हो। वर्तमान में फास्ट मनी का चलन आया जिससे हमारे युवकों को बचना चाहिए। छोटे बच्चों को नशे से बचाना है, बिज़नेस का ट्रेंड चेंज हो रहा है हमारे बिज़नेस को एक्सपेंड करने का समय है। स्वस्थ रहे , पैसा कमाएं, शांति का विकास करें आदि अनेक बातो पर प्रकाश डाला। तृतीय सत्र ऊर्जा सत्र में परिषद के उपाध्यक्ष श्री विक्रम भंडारी ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया एवं अपने उदगार व्यक्त किये। मुख्य वक्ता श्री विक्रम जी सेठीया (Life Coach) ने कहा जीवन में हम जो भी पाते है वो धर्म से ही प्राप्त होता है हमे अपने जीवन में धर्म को पकड़ कर रखना चाहिए। विक्रम जी ने युवाओं में जोश एवं ऊर्जा का संचार किया। मुनिश्री ने प्रेरणा पाथेय प्रदान किया। उपस्थित सभी परिषदों का सम्मान किया गया। आभार ज्ञापन सहमंत्री श्री राहुल दुगड़ ने किया एवं संचालन मंत्री श्री अमित बेगवानी ने किया। सम्मेलन को सफल बनाने में उपाध्यक्ष एवं संयोजक श्री विक्रम भंडारी सह संयोजक श्री भानु प्रताप चोरड़िया सहित सम्पूर्ण प्रबंधन समिति एवं कार्यसमिति सदस्यों का विशेष श्रम रहा। युवा सम्मेलन में साउथ हावड़ा, उत्तर कलकत्ता, लिलुआ, साउथ कलकत्ता, पूर्वांचल कोलकाता, हिन्दमोटर, कोलकाता मेन, उत्तर हावड़ा, सेंथिया, मुर्शिदाबाद इस्लामपुर और दिनहट्टा की शाखा परिषदों ने सहभागिता दर्ज की। सम्मेलन में लगभग 200 युवक सहभागी बनें। सम्मेलन प्रारंभ होने से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महामंत्री ने युवा साथियों की उपस्थिति में ध्वजारोहण किया।

साउथ हावड़ा मे हुवा पूर्वांचल स्तरीय युवा सम्मेलन का भव्य आयोजन…सुरेंद्र मुनोत ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Timea साउथ हावड़ा, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी ठाणा- 3 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में पूर्वांचल स्तरीय युवा सम्मेलन का आयोजन प्रेक्षा विहार में तेरापंथ युवक परिषद् साउथ हावड़ा द्वारा किया गया। सम्मेलन में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष रमेश डागा, महामंत्री अमित नाहटा, मुख्य वक्ता कल्याण परिषद के संयोजक के. सी. जैन मुख्य अतिथि आई.ए.एस. अफिसर वैभव चैधरी, अ.भा. ते.यु.प. के पूर्व अध्यक्ष रतनजी दुगड़, महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेश जी गोयल, अ.भा.यु.प.के पूर्व सहमंत्री सचेतक अनंत बागरेचा, कार्यकारिणी सदस्य जय चोरडिया,महाप्रज्ञ मेडिकल प्रभारी विकास बोथरा, भिक्षु दर्शन कार्यशाला प्रभारी सूर्यप्रकाश डागा, कार्यकारिणी सदस्य दीप पुगलिया, सुमित छाजेड़, राजीव बोथरा, आदि गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित थे। उद्‌घाटन सत्र में संगठन और युवा विषय पर उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा- सामाजिक एवं धार्मिक चेतना के जागरण का एक सशक्त माध्यम है- संगठन । संगठन में शक्ति होती है। शक्ति-शक्ति को आकर्षित – करती है। शक्ति व दायित्व बोध के अभाव में अच्छे से अच्छा संगठन भी तिनके की तरह बिखर जाता है | उद्देश्य और दायित्व के साथ चलने वाला छोटे से छोटा संगठन भी आकाशव्यापी ऊँचाईयों को प्राप्त हो सकता है। गुरुदेव तुलसी की दूर दर्शिता, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सिंचन से यह बहुत फली और फूली है। संगठन को शक्तिशाली बनाने के लिए समन, अप्रतिबद्ध व शांति साधक व्यक्तियों का होना बहुत जरुरी है। ‘मुनि श्री ने आगे कहा- युवा स्वर्ग की सच्ची अनुभूति है। युवा समाज का यथार्थ प्रतिबिम्ब है। युवा शक्ति का प्रतीक व ऊर्जा का पुंज है। युवा देश की तकदीर व तस्वीर है। युवा पराक्रम का प्रतीक होता है। वह अपने पुरुषार्थ व पराक्रम के द्वारा असंभव प्रतीत होने वाले कार्य को भी संभव बना देता है। युवा शब्द या अर्थ है वायु की तरह गतिशील होना। युवाओं को श्रद्वाशील विचारशील, सहनशील, कर्मशील व चरित्र शील होना चाहिए। सेवा, संस्कार व संगठन के माध्यम से सभी युवा धर्मसंघ की खूब सेवा करते रहें। इस अवसर पर मुनि श्री परमानंद जी ने कहा- संगठन में शक्ति होती है। सेवा, संस्कार के कार्य भी तभी हो सकेंगे जब युवा संगठित, और एकजुट होंगें। इस अवसर पर बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम उद्‌घाटन सत्र का प्रारंभ मुनि श्री के नमस्कार महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। शाखा परिषदों के अध्यक्ष मंत्रियों द्वारा विजय गीत का संगान किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन कल्याण परिषद् के संयोजक के सी. जैन ने किया। अ.भा.ते.यु.प. के अध्यक्ष रमेशजी डागा ने युवा सम्मेलन के उद्‌घाटन की घोषणा की। स्वागत भाषण तेरापंथ युवक परिषद् साउथ हावड़ा के अध्यक्ष गगनदीप बैद ने किया। साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के सहमंत्री कपिल धारीवाल ने सभा की ओर से आगंतुकों का स्वागत करते हुए विचार-व्यक्त किये। राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेशजी डागा ने सेवा संस्कार व संगठन के बारे में जानकारी देते हुए संगठित रहते हुए संस्था के प्रति समर्पित रहकर कार्य करने का आहवान किया मुख्य वक्ता कल्याण परिषद के संयोजक के सी. जैन ने युवाओं को प्रकृति के नियमों व श्वास के प्रति जागरूक रहकर धर्मसंध की सेवा करने की बात कही। मुख्य अतिथि I.A.S. ऑफिसर वैभव चौधरी ने कहा- युवापीढ़ी अपने जीवन में धर्म एवं संघ को सुदृढ़ करें। सभी एकजुट होकर एक दूसरे को सहयोग करें। ते.यु.प. एवं किशोर मंडल के सदस्यों ने सुमधुर गीत का संगान किया। अतिथियों एवं प्रायोजको का ते.यु.प. द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी व मंत्री अमीत बैगवानी ने किया। द्वितीय सत्र संकल्प सत्र (हमारा संकल्प हमारे आयाम) में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने उदबोदन में कहा की 2016 से ही पूर्वांचल की सभी परिषदें अधिक सक्रियता के साथ कार्य कर रही है। आचार्य तुलसी की दूरगामी सोच थी की युवा कुछ भी कार्य कर सकता है । इस संस्था में कार्यकर्ताओं का निर्माण होता है। पूर्वांचल स्तरीय युवा सम्मेलन में भी युवक उपस्थित है सब क्वालिटी है और जो चाहते है की धर्म संघ का विकास हो। युवक परिषद एक मात्र संस्था है जिसके पास तीस आयाम है। अभातेयुप के पूर्व अध्यक्ष श्री रतन लाल दुगड़ ने बताया की जब परिषद का निर्माण हुआ तब आचार्य तुलसी से पूछा गया गुरुदेव हम क्या करें क्योंकि उस समय कोई कार्य करने को नही था और आज बोलते है हम क्या क्या करें। युवकों को अपने समय का नियोजन करना चाहिए। युवा सम्मेलन करने का उद्देश्य है की हम सब को एक दूसरे से प्रेरणा मिले। अभातेयुप संचेतक श्री अनंत बागरेचा , अभातेयुप सदस्य श्री विकास बोथरा, श्री सुमित छाजेड़,श्री दीप पुगलिया, श्री जय चोरड़िया, श्री राजीव बोथरा, श्री सूर्यप्रकाश डागा ने आयामों के विषय में जानकारी प्रदान की। अभातेयुप महामंत्री श्री अमित नाहटा ने कहा की हमारा युवक परिषद से जुड़ने का लक्ष्य है की हम अपने जीवन को और अच्छा कैसे बना सकें। हमारे अंदर बोलने का विकास हो। वर्तमान में फास्ट मनी का चलन आया जिससे हमारे युवकों को बचना चाहिए। छोटे बच्चों को नशे से बचाना है, बिज़नेस का ट्रेंड चेंज हो रहा है हमारे बिज़नेस को एक्सपेंड करने का समय है। स्वस्थ रहे , पैसा कमाएं, शांति का विकास करें आदि अनेक बातो पर प्रकाश डाला। तृतीय सत्र ऊर्जा सत्र में परिषद के उपाध्यक्ष श्री विक्रम भंडारी ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया एवं अपने उदगार व्यक्त किये। मुख्य वक्ता श्री विक्रम जी सेठीया (Life Coach) ने कहा जीवन में हम जो भी पाते है वो धर्म से ही प्राप्त होता है हमे अपने जीवन में धर्म को पकड़ कर रखना चाहिए। विक्रम जी ने युवाओं में जोश एवं ऊर्जा का संचार किया। मुनिश्री ने प्रेरणा पाथेय प्रदान किया। उपस्थित सभी परिषदों का सम्मान किया गया। आभार ज्ञापन सहमंत्री श्री राहुल दुगड़ ने किया एवं संचालन मंत्री श्री अमित बेगवानी ने किया। सम्मेलन को सफल बनाने में उपाध्यक्ष एवं संयोजक श्री विक्रम भंडारी सह संयोजक श्री भानु प्रताप चोरड़िया सहित सम्पूर्ण प्रबंधन समिति एवं कार्यसमिति सदस्यों का विशेष श्रम रहा। युवा सम्मेलन में साउथ हावड़ा, उत्तर कलकत्ता, लिलुआ, साउथ कलकत्ता, पूर्वांचल कोलकाता, हिन्दमोटर, कोलकाता मेन, उत्तर हावड़ा, सेंथिया, मुर्शिदाबाद इस्लामपुर और दिनहट्टा की शाखा परिषदों ने सहभागिता दर्ज की। सम्मेलन में लगभग 200 युवक सहभागी बनें। सम्मेलन प्रारंभ होने से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महामंत्री ने युवा साथियों की उपस्थिति में ध्वजारोहण किया।

आचार्यश्री महाश्रमणजी ने स्वयं के कल्याण के साथ दूसरों का कल्याण करने को किया अभिप्रेरित….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात) , भारत की प्राचीन व्यापारिक नगरी, डायमण्ड सिटि, सिल्क सिटि के रूप में विख्यात सूरत शहर वर्तमान में आध्यात्मिक नगरी बनी हुई है। ताप्ती नदी के तट पर स्थित सूरत में आध्यात्मिकता की अलख जगा रहे हैं जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण। उनके दर्शन तथा उनकी अमृतवाणी का श्रवण करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम निरंतर जारी है। सूरतवासियों की ओर से की गई विशाल और भव्य चातुर्मासिक व्यवस्थाएं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को आह्लादित करती हैं। पर्युषण के उपरान्त आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग संघबद्ध रूप में दर्शनार्थ उपस्थित हो रहे हैं। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगलवार को महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी की प्रशंसा भी होती है। जो आदमी अच्छा कार्य करता है, वह प्रशंसा का पात्र बन जाता है। वह वीर प्रशंसनीय होता है जो बंधे हुए व्यक्तियों को मुक्त कर देता है। अनेक संदर्भों में आदमी वीर हो सकता है। निर्भीक होकर मोर्चा संभालने वाला सैनिक भी वीर होता है, साधुता की दीक्षा स्वीकार करने वाला भी वीर होता है। मनुष्य जन्म, श्रुति धर्म, श्रद्धावान हो जाना और संयमवीर्य हो जाना कठिन बताया गया है। वह आदमी वीर होता है, जो संयम के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास करता है। साधुता का स्वीकरण भी मानों एक धर्मयुद्ध है। भौतिकता की चकाचौंध को छोड़कर संयम की साधना और आत्मा के कल्याण के पथ पर आगे बढ़ना भी बहुत बड़ी बात होती है। यहां धर्मयुद्ध होता है, जिसमें साधक अपनी कामनाओं, वासनाओं, कषायों पर विजय प्राप्त करने हुए अपने आत्मा पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह संग्राम में विजयी होने से वाले भी बड़ा योद्धा होता है, महावीर होता है। अपनी आत्मा को काम, क्रोध, लोभ व मोह से अपनी आत्मा को मुक्त कराने वाला वीर होता है और वह प्रशंसनीय भी होता है। जो दूसरों की आत्मा को पापों से मुक्त कराता है, स्वयं तरते हुए दूसरों को तारने वाला प्रशंसनीय होता है। युगप्रधान आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त उपस्थित जनता को साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी मंगल प्रेरणा प्रदान की। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ राणावास संस्था के अध्यक्ष श्री मोहनलाल गादिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। संस्था से जुड़ी छात्राओं ने गीत का संगान किया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने आशीष प्रदान करते हुए कहा कि राणावास में परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी का चतुर्मास हुआ था। वहां इतना शिक्षा का कार्य हो रहा है। वहां खूब अच्छा होता रहे।

आचार्यश्री महाश्रमणजी ने स्वयं के कल्याण के साथ दूसरों का कल्याण करने को किया अभिप्रेरित….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात) , भारत की प्राचीन व्यापारिक नगरी, डायमण्ड सिटि, सिल्क सिटि के रूप में विख्यात सूरत शहर वर्तमान में आध्यात्मिक नगरी बनी हुई है। ताप्ती नदी के तट पर स्थित सूरत में आध्यात्मिकता की अलख जगा रहे हैं जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण। उनके दर्शन तथा उनकी अमृतवाणी का श्रवण करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम निरंतर जारी है। सूरतवासियों की ओर से की गई विशाल और भव्य चातुर्मासिक व्यवस्थाएं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को आह्लादित करती हैं। पर्युषण के उपरान्त आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग संघबद्ध रूप में दर्शनार्थ उपस्थित हो रहे हैं। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगलवार को महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी की प्रशंसा भी होती है। जो आदमी अच्छा कार्य करता है, वह प्रशंसा का पात्र बन जाता है। वह वीर प्रशंसनीय होता है जो बंधे हुए व्यक्तियों को मुक्त कर देता है। अनेक संदर्भों में आदमी वीर हो सकता है। निर्भीक होकर मोर्चा संभालने वाला सैनिक भी वीर होता है, साधुता की दीक्षा स्वीकार करने वाला भी वीर होता है। मनुष्य जन्म, श्रुति धर्म, श्रद्धावान हो जाना और संयमवीर्य हो जाना कठिन बताया गया है। वह आदमी वीर होता है, जो संयम के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास करता है। साधुता का स्वीकरण भी मानों एक धर्मयुद्ध है। भौतिकता की चकाचौंध को छोड़कर संयम की साधना और आत्मा के कल्याण के पथ पर आगे बढ़ना भी बहुत बड़ी बात होती है। यहां धर्मयुद्ध होता है, जिसमें साधक अपनी कामनाओं, वासनाओं, कषायों पर विजय प्राप्त करने हुए अपने आत्मा पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह संग्राम में विजयी होने से वाले भी बड़ा योद्धा होता है, महावीर होता है। अपनी आत्मा को काम, क्रोध, लोभ व मोह से अपनी आत्मा को मुक्त कराने वाला वीर होता है और वह प्रशंसनीय भी होता है। जो दूसरों की आत्मा को पापों से मुक्त कराता है, स्वयं तरते हुए दूसरों को तारने वाला प्रशंसनीय होता है। युगप्रधान आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त उपस्थित जनता को साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी मंगल प्रेरणा प्रदान की। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ राणावास संस्था के अध्यक्ष श्री मोहनलाल गादिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। संस्था से जुड़ी छात्राओं ने गीत का संगान किया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने आशीष प्रदान करते हुए कहा कि राणावास में परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी का चतुर्मास हुआ था। वहां इतना शिक्षा का कार्य हो रहा है। वहां खूब अच्छा होता रहे।

शांतिदूत की मंगल सन्निधि में पहुंचे केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में रविवार को केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री तथा भाजपा के गुजरात राज्य प्रदेशाध्यक्ष श्री सी.आर. पाटिल उपस्थित हुए। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त आचार्यश्री की मंगलवाणी श्रवण भी करने के साथ ही अपनी भावनाओं को भी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें पावन पाथेय भी प्रदान किया। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रविवार को महावीर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि काम का अतिक्रमण करना मुश्किल होता है। काम शब्द का प्रयोग अनेक प्रकार के कार्यों के संदर्भ में होता है तो काम एक अर्थ कामना के संदर्भ में भी होता है। इन्द्रिय विषय के संदर्भ में भी काम शब्द का प्रयोग होता है। यहां कामना के संदर्भ में प्रयोग किया गया है। कामना होती है तो आदमी पदार्थों का संग्रह करता है, पदार्थों का परिग्रह रखता है। इच्छा काम के अंतर्गत सोना, चांदी आदि पदार्थों को प्राप्त करना, धन, मकान, पदवी आदि आते हैं। दूसरा बताया गया मदन काम। शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि की कामना मदन काम है। काम अनंतकाल से प्राणी के भीतर रहती है। इसलिए इस काम का पार पाना मुश्किल भी होता है। इच्छाओं को कम करना, लोभ का क्षय तथा संतोष को धारण करना बड़ा कठिन काम होता है। लोभ को पाप का बाप कहा जाता है। कितने-कितने पापों के जड़ में लोभ ही होता है। लोभ के कारण हिंसा में जा सकता है। लोभ के कारण आदमी झूठ बोल सकता है, छल-कपट कर सकता है। यहां तक कि लोभ के कारण आदमी किसी की हिंसा भी कर सकता है। इस कारण काम दुःख का भी बहुत बड़ा कारण है। कामनुवृद्धि के कारण शरीर और मन दोनों को दुःखी बनाने वाला हो सकता है। जो प्राणी वीतराग बन जाता है, वह दुःख का पार पा सकता है। काम अध्यात्म की साधना में परित्याज्य होता है। साधना की गहराई में जाने से कामनाओं का पार भी पा सकता है। आदमी को अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। भौतिक इच्छाओं की सीमा रखनी चाहिए। स्वदार, भोजन व धन में संतोष रखने का प्रयास करना चाहिए तथा अध्ययन, जप और दान में संतोष नहीं करना चाहिए। आज आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री व गुजरात भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्री सी.आर. पाटिल पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन कर आशीष प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि हमारे आंगन में पूज्य संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का पावन चतुर्मास हो रहा है, यह हम सभी के लिए परम सौभाग्य की बात है। आपके आगमन से यहां की जनता आह्लादित है। मैंने आपकी कीर्ति और ख्याति तो बहुत सुन रखी थी आज दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ है। आपकी विकट पदयात्रा और जनकल्याण का जो कार्य किया है, वह अद्वितीय है। आपने अभी दान में संतोष नहीं करने की जो प्रेरणा दी है, वह भी समाज के लिए कल्याणकारी है। आप तो लोगों को नीति पर चलने का राह भी दिखाते हैं। राजनीति में तो लोगों को सेवा की भावना से आना चाहिए। मेरा मानना है कि जो आदमी धर्म को नहीं मानता, वह अनीति का कार्य करने में डरेगा नहीं, और धर्म में आस्था रखने वाला होगा तो वह नीति पर चलेगा, जिससे देश और समाज का भला हो सकेगा। आपने नशामुक्ति के जन-जन को उत्प्रेरित किया है। ऐसे महात्मा जो समाज के हित के विषय में सोचते हैं। मैं ऐसे आचार्यश्री को बारम्बार प्रणाम करता हूं। आचार्यश्री ने उन्हें आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज जलशक्ति मंत्रीजी का आना हुआ है। जल की बात है तो जल को रत्न की संज्ञा प्रदान की गयी है। धरती पर तीन रत्न है- जल, अन्न और सुभाषित। जैनिज्म में यहां तक कहा गया है कि जल भी सजीव है, इसलिए जल का फालतू व्यय नहीं करना चाहिए, ऐसा अहिंसा की दृष्टि से भी होता है। हम तो सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रेरणा देते हैं। आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों से लोगों को सत्पथ की प्रेरणा दी। राजनीति में खूब अच्छी नैतिकता बनी रहे।

शांतिदूत की मंगल सन्निधि में पहुंचे केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में रविवार को केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री तथा भाजपा के गुजरात राज्य प्रदेशाध्यक्ष श्री सी.आर. पाटिल उपस्थित हुए। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त आचार्यश्री की मंगलवाणी श्रवण भी करने के साथ ही अपनी भावनाओं को भी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें पावन पाथेय भी प्रदान किया। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रविवार को महावीर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि काम का अतिक्रमण करना मुश्किल होता है। काम शब्द का प्रयोग अनेक प्रकार के कार्यों के संदर्भ में होता है तो काम एक अर्थ कामना के संदर्भ में भी होता है। इन्द्रिय विषय के संदर्भ में भी काम शब्द का प्रयोग होता है। यहां कामना के संदर्भ में प्रयोग किया गया है। कामना होती है तो आदमी पदार्थों का संग्रह करता है, पदार्थों का परिग्रह रखता है। इच्छा काम के अंतर्गत सोना, चांदी आदि पदार्थों को प्राप्त करना, धन, मकान, पदवी आदि आते हैं। दूसरा बताया गया मदन काम। शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि की कामना मदन काम है। काम अनंतकाल से प्राणी के भीतर रहती है। इसलिए इस काम का पार पाना मुश्किल भी होता है। इच्छाओं को कम करना, लोभ का क्षय तथा संतोष को धारण करना बड़ा कठिन काम होता है। लोभ को पाप का बाप कहा जाता है। कितने-कितने पापों के जड़ में लोभ ही होता है। लोभ के कारण हिंसा में जा सकता है। लोभ के कारण आदमी झूठ बोल सकता है, छल-कपट कर सकता है। यहां तक कि लोभ के कारण आदमी किसी की हिंसा भी कर सकता है। इस कारण काम दुःख का भी बहुत बड़ा कारण है। कामनुवृद्धि के कारण शरीर और मन दोनों को दुःखी बनाने वाला हो सकता है। जो प्राणी वीतराग बन जाता है, वह दुःख का पार पा सकता है। काम अध्यात्म की साधना में परित्याज्य होता है। साधना की गहराई में जाने से कामनाओं का पार भी पा सकता है। आदमी को अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। भौतिक इच्छाओं की सीमा रखनी चाहिए। स्वदार, भोजन व धन में संतोष रखने का प्रयास करना चाहिए तथा अध्ययन, जप और दान में संतोष नहीं करना चाहिए। आज आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री व गुजरात भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्री सी.आर. पाटिल पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन कर आशीष प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि हमारे आंगन में पूज्य संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का पावन चतुर्मास हो रहा है, यह हम सभी के लिए परम सौभाग्य की बात है। आपके आगमन से यहां की जनता आह्लादित है। मैंने आपकी कीर्ति और ख्याति तो बहुत सुन रखी थी आज दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ है। आपकी विकट पदयात्रा और जनकल्याण का जो कार्य किया है, वह अद्वितीय है। आपने अभी दान में संतोष नहीं करने की जो प्रेरणा दी है, वह भी समाज के लिए कल्याणकारी है। आप तो लोगों को नीति पर चलने का राह भी दिखाते हैं। राजनीति में तो लोगों को सेवा की भावना से आना चाहिए। मेरा मानना है कि जो आदमी धर्म को नहीं मानता, वह अनीति का कार्य करने में डरेगा नहीं, और धर्म में आस्था रखने वाला होगा तो वह नीति पर चलेगा, जिससे देश और समाज का भला हो सकेगा। आपने नशामुक्ति के जन-जन को उत्प्रेरित किया है। ऐसे महात्मा जो समाज के हित के विषय में सोचते हैं। मैं ऐसे आचार्यश्री को बारम्बार प्रणाम करता हूं। आचार्यश्री ने उन्हें आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज जलशक्ति मंत्रीजी का आना हुआ है। जल की बात है तो जल को रत्न की संज्ञा प्रदान की गयी है। धरती पर तीन रत्न है- जल, अन्न और सुभाषित। जैनिज्म में यहां तक कहा गया है कि जल भी सजीव है, इसलिए जल का फालतू व्यय नहीं करना चाहिए, ऐसा अहिंसा की दृष्टि से भी होता है। हम तो सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रेरणा देते हैं। आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों से लोगों को सत्पथ की प्रेरणा दी। राजनीति में खूब अच्छी नैतिकता बनी रहे।

आज ग्राम पंचायत सोईन्तरा में मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री धीरज कुमार सिंह जी द्वारा ग्राम पंचायत का निरिक्षण किया गया….. मदा राम, जिला संवाददाता जोधपुर, Key Line Times मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत परिसर में पौधारोपण किया गया | मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा करवाए गये विकास कार्य सर्व समाज मुक्तिधाम में किए गए वृक्षारोपण कार्य तथा राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय सोईंन्तरा में सार्वजनिक पुस्तकालय का भौतिक निरिक्षण किया गया इस दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए कि पेड़ों की निराई गुड़ाई करवाई जावें व् पुस्तकालय में जन सहयोग से आवश्यक ससांधन हेतु प्रेरित करें मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत के विकास कार्यों की सराहना की गई सरपंच गोविन्द सिंह सोईंन्तरा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी से ग्राम पंचायत क्षेत्र के विकास से संबंधित विषयों पर चर्चा की | इस दौरान अधिशाषी अभियंता अखिल तायल जी व् सहायक अभियंता संजय गुप्ता जी द्वारा ग्राम पंचायत कार्यालय रिकॉर्ड का अवलोकन किया गया व विकास र्कायों का निरिक्षण किया | इस दौरान विकास अधिकारी मगाराम सुथार, कनिष्ठ अभियंता कैलाश जीनगर, श्वेता गहलोत, बनवारीलाल मीना, रमेश मेहरा,ग्राम विकास अधिकारी रामगणेश मीना, कनिष्ठ सहायक पिंकी जोशी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कैलाश कंवर, भंवरी जी, संगीता जी, शोभा कंवर जी, पुष्पा कंवर जी, आशा जी, देव कंवर जी,ककु, लीला जी, नेनु देवी जी, इमरती देवी जी, पांची देवी जी, शोभा,विद्यालय सहायक ममता शर्मा, मदन सिंह, भंवरलाल शर्मा आदि उपस्थित रहें|

आज ग्राम पंचायत सोईन्तरा में मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री धीरज कुमार सिंह जी द्वारा ग्राम पंचायत का निरिक्षण किया गया….. मदा राम, जिला संवाददाता जोधपुर, Key Line Times मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत परिसर में पौधारोपण किया गया | मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा करवाए गये विकास कार्य सर्व समाज मुक्तिधाम में किए गए वृक्षारोपण कार्य तथा राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय सोईंन्तरा में सार्वजनिक पुस्तकालय का भौतिक निरिक्षण किया गया इस दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए कि पेड़ों की निराई गुड़ाई करवाई जावें व् पुस्तकालय में जन सहयोग से आवश्यक ससांधन हेतु प्रेरित करें मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत के विकास कार्यों की सराहना की गई सरपंच गोविन्द सिंह सोईंन्तरा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी से ग्राम पंचायत क्षेत्र के विकास से संबंधित विषयों पर चर्चा की | इस दौरान अधिशाषी अभियंता अखिल तायल जी व् सहायक अभियंता संजय गुप्ता जी द्वारा ग्राम पंचायत कार्यालय रिकॉर्ड का अवलोकन किया गया व विकास र्कायों का निरिक्षण किया | इस दौरान विकास अधिकारी मगाराम सुथार, कनिष्ठ अभियंता कैलाश जीनगर, श्वेता गहलोत, बनवारीलाल मीना, रमेश मेहरा,ग्राम विकास अधिकारी रामगणेश मीना, कनिष्ठ सहायक पिंकी जोशी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कैलाश कंवर, भंवरी जी, संगीता जी, शोभा कंवर जी, पुष्पा कंवर जी, आशा जी, देव कंवर जी,ककु, लीला जी, नेनु देवी जी, इमरती देवी जी, पांची देवी जी, शोभा,विद्यालय सहायक ममता शर्मा, मदन सिंह, भंवरलाल शर्मा आदि उपस्थित रहें|

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