
सुरेंंद्र मुनोत, राष्ट्रीय सहायक संपादक
Key Line Times
नाथद्वारा, राजसमंद (राजस्थान),भारत के पश्चिमी भाग में स्थित अरावली पर्वत शृंखला से निकली बनास नदी। जिसके किनारे राजसमंद जिले का प्रख्यात शहर नाथद्वारा। जहां भगवान श्रीकृष्ण अपने बालस्वरूप ‘श्रीनाथजी’ के रूप में विराजमान हैं। जहां विश्व की सबसे ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा जिसे ‘विश्वास स्वरूपम’ के रूप में जाना जाता है। ऐसे प्रसिद्ध शहर में शनिवार को जब जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अर्थात् तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान नाथ का मंगल पदार्पण हुआ तो पूरा नाथद्वारा मानों ऐसे राष्ट्रसंत के दर्शन कर सनाथ बन गया। ज्योतिचरण के स्पर्श से पूरी नगरी जगमग हो उठी।जन-जन के मानस को आध्यात्मिक ज्ञानगंगा से अभिसिंचन प्रदान करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शनिवार को नाथद्वारा की ओर बढ़ चले। नाथद्वारा तेरापंथ समाज में ही नहीं, अपितु अन्य जैन एवं जैनेतर समाज के लोगों में उत्साह व उल्लास देखने को मिल रहा था। उत्साही श्रद्धालु अपने आराध्य की अगवानी में मार्ग में ही पहुंच रहे थे।जैसे-जैसे आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ राजसमंद जिले के प्रसिद्ध शहर नाथद्वारा के निकट होते जा रहे थे, श्रद्धालुओं का उत्साह व उमंग के साथ उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही थी। आचार्यश्री अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए जैसे ही नाथद्वारा शहर के निकट पहुंचे तो बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री श्रद्धालुओं पर अपने दोनों करकमलों से मंगल आशीष प्रदान करते हुए प्रवास स्थल की ओर बढ़ रहे थे। मार्ग में एक स्थान पर मुस्लिम समाज ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।आचार्यश्री सभी के श्रद्धा भावों को स्वीकार करते हुए नाथद्वारा के लालबाग में स्थित श्री जोरावरमल सोनी परिवार के निवास स्थान में पधारे। श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। नाथद्वारा की जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आदमी के जीवन में समय का बहुत महत्त्व होता है। समय एक धन है, इसका आदमी क्या उपयोग करता है, यह ध्यातव्य है। आदमी समय का सदुपयोग करता सकता है, अनुपयोग कर सकता है और दुरुपयोग भी हो सकता है।जो आदमी अपने समय का अच्छे कार्यों में उपयोग करता है वह समय का सदुपयोग हो जाता है। हिंसा, चोरी, झूठ आदि-आदि गलत कार्यों में समय लगे तो समय का दुरुपयोग और आदमी आलस्यवश कुछ करे ही नहीं तो वह समय का अनुपयोग हो जाता है। आदमी को खूब अच्छा धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यों में सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने समय का अच्छा सदुपयोग करे तो समय का सार्थक उपयोग हो सकता है। दुनिया का बढ़िया आदमी वह होता है जो अपने समय का बढ़िया उपयोग करता है और अपने समय का घटिया उपयोग करने वाला आदमी दुनिया का घटिया आदमी होता है।प्रतिदिन सभी को 24 घण्टे का समय निःशुल्क प्राप्त होता है। यह आदमी के स्वविवेक पर निर्भर करता है कि वह अपने समय का कैसा उपयोग करता है। सौभाग्य से प्राप्त मानव जीवन में साधना प्राप्त कर आदमी मोक्ष को भी प्राप्त कर सकता है। इसलिए जितना संभव हो सके, मानव जीवन में प्राप्त समय का यथासंभव बढ़िया उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।आचार्यश्री ने कहा कि आज नाथद्वारा आना हो गया है। हमारे पहले गुरु आचार्यश्री भिक्षु का तीन सौवां वर्ष चल रहा है। आगे हमें कंटालिया, सिरियारी आदि में भी जाना है। हमारा नाथद्वारा में आना हो गया है। यहां के लोगों में खूब अच्छा भाव रहे।आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने नाथद्वारा की जनता को उद्बोधित किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित राजस्थान के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने आचार्यश्री के स्वागत में अभिवंदना की और मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।तेरापंथ महिला मण्डल-नाथद्वारा ने स्वागत गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विश्वजीतसिंह कर्णावट व श्री रमेश सोनी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। नाथद्वारा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।आचार्यश्री ने लालबाग से सान्ध्यकालीन विहार किया तथा नाथद्वारा के श्रद्धालुओं को मंगल आशीष प्रदान करते हुए रात्रिकालीन प्रवास के लिए स्टोनाइट फैक्ट्री में पधारे। फैक्ट्री से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।

