
सतीश चंद लुणावत, राष्ट्रीय उपसंपादक
Key Line Times
ब्यावर,भीलवाड़ा जिले के छोटे से कस्बे आसींद में वर्षा कालीन चातुर्मास पूर्ण कर संयम धारण करने के बाद ब्यावर की धरा में जन्मे जाए संत धैर्य मुनि एवं धीरज मुनि के संयम पथ के पथिक बनने के बाद पहली बार ब्यावर पधारने पर श्रद्धालु श्रावक श्राविकाओ का हुजूम उमड़ पड़ा।
रविवार सवेरे संत धैर्य मुनि अपने सहयोगी संत के साथ जैसे ही चंपा नगर स्थित एक वरिष्ठ श्रावक के आवास से निकले पूरा क्षेत्र भगवान महावीर, श्रीपन्ना गुरु व सोहन गुरु की जयकारों से गूंज उठा।
*नवकार महामंत्र की गूंज से विहार यात्रा का भव्य आगाज*
चंपा नगर से संत मंडल ने अपनी विहार यात्रा का आगाज सामूहिक नवकार महामंत्र की स्वर लहरियों से व जैन मांगलिक देकर हुआ। संतो ने चंपा नगर से विहार यात्रा का आरंभ कर नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए जैन समाज के पिपलिया बाजार स्थित प्रमुख जैन स्थानक में भव्य मंगल प्रवेश किया। जैन स्थानक में संघ सिरमौर महेंद्र सांखला, मंत्री पदम बंब, पूर्व अध्यक्ष प्रकाश चंद मेहता सहित जैन समाज के विभिन्न संघ प्रमुखों सहित श्रद्धालुओ ने वंदन नमन कर अगुवाई करते हुए जय जयकारों के साथ मंगल प्रवेश कराया।
*संयम जीवन से हाथाजोड़ी,माथा फोड़ी एवम भागा दौड़ी समाप्त हो जाती है*
जैन संंतो ने अल्पकालीन प्रवास के दौरान पीपलिया बाजार जैन स्थानक में प्रवचन के दौरान बोलते हुए संत श्री धैर्य मुनि जी म. सा. ने कहा कि जीवन का अनूठा आनंद संयम में ही है।संयम जीवन मर्यादित जीवन होता है। संयमी जीवन से स्वास्थ्य भी स्वस्थ रहता है। आध्यात्मिक साधना करने का मुख्य आधार संयमी जीवन होता है। संयमी जीवन में हाथाजोड़ी, माथाफोड़ी, व भागादौड़ी समाप्त हो जाती है। व्यक्ति यदि संयम नहीं ले सकता तो श्रावक जीवन जीकर भी जीवन को सफल बना सकता है।संयम जीवन जीने के लिए देवता भी तरसते हैं। संयमी जीवन को जीने के लिए तीर्थकरों ने भी संयम ग्रहण करके अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।केवल मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो संयम ले सकता है। इस अवसर पर जैन वीर संघ सहित सकल जैन समाज के लब्ध प्रतिष्ठित बंधु, ब्यावर संघ के सभी संगठनों के प्रमुख गण,महिला मंडल के अनेक संगठन सहित भारी तादाद में श्रावक श्राविकाएं ने शिरकत कर धर्म लाभ प्राप्त किया।

