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आचार्य महाश्रमणजी ने अपने प्रवचन मे कहा कि भोगी और रोगी नहीं, योगी बनने की दिशा में हो गति….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times 11.09.2024, बुधवार, वेसु, सूरत (गुजरात), युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बुधवार को महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को आयारो आगम के माध्यम से पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को जब यह जानकारी हो जाती है कि काम-भोगों से जीवन में रोग की उत्पत्ति होती है। आदमी अत्राण और अशरण भी है, दुःख, सुख भी अपना-अपना होता है। इन बातों का ज्ञान होने के बाद भी कुछ लोग धर्म की ओर आगे बढ़ जाते हैं और कुछ लोग जानकर भी भोगों के विषय में ही आसक्त रहते हैं। तीन शब्द बताए गए हैं- भोग, योग और रोग। योग साधना में धर्म और अध्यात्म की साधना होती है, जिससे आत्मा के रोग भी दूर हो जाते हैं। कई बार शारीरिक कष्ट भी योग की साधना से दूर हो सकते हैं। जीवन को चलाने में पदार्थों की अपेक्षा भी होती है। आदमी को यह विचार करना चाहिए कि आदमी को अपने जीवन में किसी पदार्थ की आवश्यकता कितनी है और अपेक्षा और लालसा कितनी है। भूख लगे तो भोजन, प्यास लगे तो पानी, शरीर के लिए कपड़ा, आश्रय के लिए मकान की आवश्यकता होती है। पढ़ने-लिखने के लिए संबंधित पदार्थ चाहिए। सोने के लिए कुर्सी और पलंग की आवश्यकता होती है। ये सारी चीजें तो आवश्यक हैं, किन्तु इन संदर्भों में इच्छा कितनी है, इसे ध्यान में रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी साधारण कपड़े से भी शरीर को ढंक सकता है, कोई महंगे कपड़े पहनने की कोई आवश्यकता नहीं होती। जीवन के लिए किसी चीज की आवश्यकता तो हो सकती है और उसे पूरा करने का प्रयास भी किया जा सकता है, किन्तु लालसा के वशीभूत होकर उसीमें रम जाना अच्छा नहीं होता। आदमी को विचार करना चाहिए कि जीवन में सबकुछ हो सकता है, समय बीत रहा है तो वह अपनी आत्मा के कल्याण के लिए तथा आगे के जीवन को अच्छा बनाए रखने के लिए क्या करता है। जैसे-जैसे समय बढ़ता है, वैसे-वैसे जीवन में धर्म की साधना के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जवानी के समय में भी अन्य कार्यों के साथ जितना संभव हो सके, धर्म करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में यथासंभव ईमानदारी, नैतिकता, अहिंसा रखने से भी धर्म की बात हो सकती है। जीवन में ईमानदारी, नैतिकता, अहिंसा रूपी धर्म के लिए अलग कोई समय लगाने की भी अपेक्षा नहीं होती है। उसके बाद जितना संभव हो सके धर्म-ध्यान के लिए भी समय निकालने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ अपने जीवन में जितना त्याग कर ले, वह उसके लिए कल्याणकारी हो सकता है। जितना संभव हो सके आदमी को अपने जीवन में त्याग और संयम की चेतना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। पहले आदमी भोग भोगता है और फिर भोग आदमी को भोग लेता है। जैसे पहले आदमी शराब पीता है और बाद में शराब आदमी को पी जाती है। इसलिए जितना संभव हो, भोग नहीं योग की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने जीवन में केवल भोगी और रोगी नहीं, योगी भी बनने का प्रयास करना चाहिए। आसन, प्राणायाम ही नहीं, मोक्ष के मार्ग से जोड़ने वाला सारी पवृत्ति अपने आप में योग होती है। इसलिए आदमी को यथासंभव मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त होसपेट के श्री अशोकजी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने होसपेटवासियों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। श्रीमती शायर बोथरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए पूज्यप्रवर के समक्ष ‘चैतन्य केन्द्र एवं अन्य योग चक्रों का तुलनात्मक अध्ययन’ शोध ग्रन्थ को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती की ओर से संघ सेवा पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। नेमचंद जेसराज सेखानी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा श्रीमती पानादेवी सेखानी संघ सेवा पुरस्कार-वर्ष 2024 श्री बुधमल दुगड़ (कोलकाता) को प्रदान किया गया। इस संदर्भ में श्रीमती सरिता सेखानी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। श्री दुगड़ के सम्मान पत्र का वाचन जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने किया। श्रीमती मधु दुगड़ ने ने भी इस संदर्भ में अपनी अभिव्यक्ति दी। विकास परिषद के सदस्य श्री बनेचंद मालू ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पुरस्कारप्राप्तकर्ता व पुरस्कार प्रदाता परिवार व संस्था को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। श्री सुरेन्द्र दुगड़ ने अपने कृतज्ञभावों को प्रस्तुति दी।
*श्री वर्द्धमान कन्या महाविद्यालय, ब्यावर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 व उच्च शिक्षा पर राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन…सतीशचन्द लुणावत ब्यावर,श्री वर्द्धमान शिक्षण समिति द्वारा संचालित श्री वर्द्धमान कन्या महाविद्यालय में आज दिनांक 10.09.2024 को आईक्यूएसी के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व उच्च शिक्षा पर राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया जिसका शुभारम्भ माॅं सरस्वती के पूजन से हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ. आर. सी. लोढ़ा, सेमीनार समन्वयक डाॅ. नीलम लोढ़ा द्वारा मुख्य वक्ता डाॅ एम एल शर्मा व रिसोर्स स्पीकर डाॅ गिरीश सिंह का माल्यार्पण, पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ. लोढ़ा ने अपने स्वागत उद्बोधन में बताया कि नई शिक्षा नीति देश के विद्यार्थियों के हित में है। नई शिक्षा नीति के हर क्षत्र में डिजीटलाइजेशन पर जोर देती है, जो समावेशन को बढ़ावा देता है। यह शिक्षा नीति विषयों से परे है और सृजनात्मकता, उत्पादकता एवं शोध प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है। राष्ट्रीय सेमीनार के मुख्य वक्ता डाॅ एम एल शर्मा ने उच्चत्तर शिक्षा में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के साथ जीवन कौशल, अनुसंधान, दूरस्थ शिक्षा , पर्यावरण संरक्षण व विश्लेषणात्मक शिक्षा द्वारा भारत को एक बार पुनः विश्व गुरू बनने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्त्व पर प्रकाश डाला । सेमीनार में रिसोर्स स्पीकर डाॅ. गिरीश सिंह ने उच्च शिक्षा में विद्यमान समस्याओं से अवगत कराते हुए समानता, स्वतन्त्रता जैसे संवैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु औद्योगीकरण, शिक्षक- प्रशिक्षण , अनुसंधान व सामाजिक जागरूकता के साथ युवा वर्ग को देश के विकास में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देने का आह्वान किया । जोधपुर से आॅन लाईन रिसोर्स स्पीकर के रूप में डाॅ. बी. एल. जाखड़ ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या पर महत्ती प्रकाश डालते हुए इक्कीसवीं सदी के भारत की अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए सरलीकृत, उदार, अन्तःअनुशासनात्मक व शिक्षा नीति के चरणबद्ध क्रियान्वयन पर बल दिया। सेमीनार में विभिन्न महाविद्यालयों व विद्यालयों के शिक्षविद् ने भाग लिया साथ ही विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा आॅनलाइन व आॅॅफलाइन शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए जिसमें महाविद्यालय के बीसीए विभाग के विभागाध्यक्ष श्री नवीन देवडा व समस्त बीसीए संकाय सदस्यों का विशेष सहयोग रहा। सेमीनार के समापन पर संयोजिका डाॅ नीलम लोढा द्वारा सभी उपस्थित अतिथियों, आईक्यूएसी कमेटी, समस्त संकाय सदस्यों एवं कर्मचारीगण को इस सफलता पूर्वक आयोजन पर धन्यवाद ज्ञापित किया। सेमीनार का संचालन महाविद्यालय के सहायक आचार्य गिरीश कुमार बैरवा, राजकुमारी कुमावत, डाॅ रीना कुमारी व डाॅ रोमा रतानी द्वारा किया गया।
गुलाबपुरा मे निशुल्क मिर्गी रोग शिविर में 115 रोगी हुए लाभान्वित…सतीशचन्द लुणावत, Key Line Times गुलाबपुरा ,श्री प्राज्ञ मृगी रोग निवारक समिति गुलाबपुरा द्वारा माह के द्वितीय मंगलवार को आयोजित कैंप दिनाक 10.09.24 मंगलवार को संस्था परिसर में लगाया गया । संस्था के मंत्री पदम चंद खटोड़ ने बताया की कैंप में वरिष्ठ डॉक्टर आर के चंडक ने अपनी सेवाए प्रदान करते हुए 115 मरीजों को सेवा प्रदान की एवम निशुल्क दवा का वितरण किया गया। आज के कैम्प के लाभार्थी M/S TAF Consultancy Dubai एवम स्वर्गीय श्री निहाल चंद लोढ़ा की पुण्य स्मृति में प्रकाश चंद, गौतम चंद ,ज्ञान चंद, विमल चंद ,दीपक चंद लोढ़ा भिनाय/विजयनगर रहे। शिविर में अनिल चौधरी ने मरीजों को मृगी रोग से बचाव व योगा के बारे में विस्तार से समझाते हुए इसके नियमित रूप से करने पर जोर दिया। संस्था के मंत्री पदम चंद खटोड़ ने संस्था की गतिविधि की जानकारी दी,मूल चंद नाबेडा ने आभार व्यक्त किया। तारा चंद लोढ़ा ने सभी मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभ कामनाएं देते हुए संस्था के कार्यों की सराहना की। शिविर में मदनलाल लोढ़ा, सुरेश लोढ़ा,राजेंद्र चोरडिया, कमल कावड़िया, दिनेश जोशी सहित गणमान्य व्यक्तियो ने सेवाएं प्रदान की। शिविर का संचालन अनिल चौधरी ने किया।
गुजरात के सुरत मे मंगलवार को आचार्य महाश्रमणजी ने कहा कि सबसे निष्पक्ष होता है कर्म ….. सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), नौ दिनों के आध्यात्मिक अनुष्ठान के उपरान्त महावीर समवसरण से जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पुनः आयारो आगम के माध्यम से अपनी अमृतवाणी की वृष्टि प्रारम्भ की। इस अमृतवाणी का रसपान कर श्रद्धालु अपने जीवन को धर्म से भावित बना रहे हैं। मंगलवार को प्रातःकालीन मुख्य प्रवचन में उपस्थित श्रद्धालुओं को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आयारो आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुःख और सुख प्रत्येक का अपना-अपना होता है। कर्मवाद का सिद्धांत सुख-दुःख की प्राप्ति के संदर्भ में लाने के लायक है। हम सभी दुनिया में देखते हैं कि प्राणी दुःख भी भोगता है तो सुख भी भोगता है। दुःख और सुख दोनों के जिम्मेदार हम स्वयं अर्थात् हमारी स्वयं की आत्मा होती है। जैन धर्म में आठ कर्म बताए गए हैं। उन कर्मों के आलोक में जीवन की व्याख्या भी की जा सकती है। कोई बालक मंदबुद्धि होता है तो कोई तीव्र बुद्धि वाला होता है। कोई रटने के बाद भी याद नहीं कर पाता तो कोई मात्र पढ लेने से ही याद कर लेता है। इससे यह मानना चाहिए कि जो प्रखर बुद्धि वाला है, उसके ज्ञानावरणीय कर्म का अच्छा क्षयोपशम है। कोई बीमार रहता है तो कोई शरीर से बलिष्ट होता है। इससे यह पता किया जा सकता है उसके सातवेदनीय कर्म का उदय चल रहा है। माया, छलना और झूठ बोलने वाले के ऊपर मोहनीय कर्म का बहुत ज्यादा प्रभाव होता है। कुछ लोग बहुत शांत होते हैं, संतोष और सरलता का जीवन है तो मानना चाहिए कि उनके मोहनीय कर्म का अच्छा क्षयोपशम होता है। कोई अल्प आयुष्य वाले अथवा दीर्घ आयुष्य वाले भी होते हैं। इसी प्रकार जाति कुल, उच्च गोत्र, वीर्यवत्ता आदि-आदि के संदर्भ में भी अलग-अलग कर्मों का उदय अथवा क्षयोपशम होता है। इसके माध्यम से किसी के भी जीवन का समस्त विश्लेषण किया जा सकता है। इस प्रकार आदमी को यह जानने का प्रयास करना चाहिए आदमी को स्वयं द्वारा किए गए कर्मों को स्वयं ही भोगना होता है। अर्थ का अर्जन करने और काम के अर्जन में जो कर्मफल बंधता है, वह हर प्राणी का अपना होता है। कोई किसी के दूसरे कर्म को नहीं भोगता और कोई किसी के सुख-दुःख को बांट नहीं सकता। कर्म बड़ा बलवान होता है, यह किसी को नहीं छोड़ता। कर्म सबसे निष्पक्ष होता है। उसके यहां कोई बड़ा-छोटा, धनवान-गरीब, ज्ञानी-अज्ञानी होना मायने नहीं रखता है। पूर्वार्जित कर्मों का फल भी जीवन में भोगना पड़ता है। इतना जानना के बाद आदमी को यह ध्यान रखना चाहिए कि आदमी को अनासक्ति की चेतना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। धन, दौलत, पदार्थों के सेवन में बहुत ज्यादा आसक्ति नहीं रखना चाहिए। आदमी को आसक्ति से बचने का प्रयास करना चाहिए। कर्मवाद को जानने के बाद आदमी को बुरे कर्मों के बंधन से बचने का प्रयास करना चाहिए। जहां तक संभव हो सके, अनुकूलता में समता और प्रतिकूलता में भी समता भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ किशोर मण्डल-सूरत ने चौबीसी के एक गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल-सूरत ने भी चौबीसी के एक गीत को प्रस्तुति दी। सूरत के सामायिक साधना परिवार के सदस्यों ने अपनी डायरेक्ट्री को पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित किया। आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान किया। उनकी ओर से श्री कमलकुमार रामपुरिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। श्रीमती सरोज बांठिया ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
तेरापंथाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में क्षमापना दिवस का हुआ आयोजन …सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times सोमवार, वेसु, सूरत (गुजरात) आठ दिनों के आध्यात्मिक, साधनात्मक समृद्धि को बढ़ाने वाले और अपनी आत्मा का कल्याण करने वाले महापर्व पर्युषण के शिखर दिवस भगवती संवत्सरी के बाद का सूर्योदय जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में क्षमापना दिवस के रूप में समायोजित हुआ। एक दिवसीय उपवास के बाद संयम विहार परिसर में ही रहने वाले श्रद्धालु जनता के अलवा डायमण्डल सिटि सूरत में रहने वाले श्रद्धालु भी अपनी मन की गांठों को खोलने व क्षमापना पर्व को मनाने के लिए सोमवार को सूर्योदय से पूर्व ही पहुंच गए थे। जनाकीर्ण बने संयम विहार के महावीर समवसरण में सूर्योदय के आसपास मंच पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी पधारे प्रातःकाल का निरव वातावरण भी श्रद्धालुओं के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। शांतिदूत आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को प्रातःकाल बृहद् मंगलपाठ प्रदान किया। तदुपरान्त आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा ने सभी संस्थाओं आदि की ओर से आचार्यश्री तथा समस्त चारित्रात्माओं से खमतखामणा की। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी, साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी व मुख्यमुनिश्री ने जनता को उद्बोधित किया। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने क्षमापना दिवस पर उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि प्रश्न किया गया है कि क्षमापना से जीव को क्या मिलता है? उत्तर दिया गया है कि क्षमापना से प्रह्लाद भाव अर्थात् प्रसन्नता प्रकट होता है और सभी जीवों के प्रति मनुष्य मैत्री भाव उत्पन्न कर लेता है। इससे आदमी का भाव शुद्ध हो जाते हैं तथा इससे जीव निर्भय बन जाता है। हमने पर्युषण महापर्व की आराधना की। कल का दिन शिखर दिवस भगवती संवत्सरी के रूप में पदार्पण हुआ, जिसकी भी आराधना हुई। कितने के चौविहार व तिविहार आदि-आदि उपवास का क्रम भी रहा होगा। हम सभी इंसान हैं तो वर्ष में बातचीत करने में, किसी अन्य प्रसंग में भी किसी से कटु व्यवहार हो सकता है। इस दिन से पुराने सभी बातों को धो दिया जाता है। क्षमा का यह पर्व बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह विश्वमैत्री की प्रतीक हो सकता है। मेरा संदेश है कि अंतर्राष्ट्रीय मैत्री दिवस भी आयोजित हो जाए तो पूरे विश्व में मैत्री का माहौल बने, ऐसा प्रयास किया जा सकता है। चौरासी लाख जीव योनियों से व्यावहारिक रूप में खमतखामणा का प्रावधान है। मंगल प्रवचन के साथ ही आचार्यश्री ने खमतखामणा का क्रम प्रारम्भ किया तो सर्वप्रथम साध्वीप्रमुखाजी, साध्वीवर्याजी से खमतखामणा करते हुए मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। आचार्यश्री ने समस्त साध्वीवृंद, समणीवृंद से भी खमतखामणा की तथा मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। देश भर में प्रवासित साध्वियों व देश-विदेश में प्रवासित समणियों से खमतखामणा की। इस प्रकार आचार्यश्री ने मुमुक्षु बहनों, श्राविकाओं से खमतखामणा की। आचार्यश्री ने पुरुष वर्ग में सर्वप्रथम मुख्यमुनिश्री से खमतखामणा करते हुए मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। मुख्यमुनिश्री ने अपने सुगुरु के चरणों की वंदना की। आचार्यश्री ने गुरुकुलवास में दीक्षा पर्याय में सबसे बड़े मुनिश्री धर्मरुचिजी, मुनिश्री उदितकुमारजी से खमतखामणा की। इसके बाद समस्त संतों से खमतखामणा करते हुए मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। बहिर्विहारी संतों से भी खमतखामणा करने के उपरान्त श्रावक समाज से भी खमतखामणा की। मुमुक्षु भाइयों, उपासक श्रेणी, सम्पूर्ण श्रावक समाज तथा केन्द्रीय संस्थाओं के पदाधिकारियों व उनके कर्मचारियों से खमतखामणा की। जैन शासन के अन्य साधु-साध्वियों, धर्मगुरुओं, राजनेताओं आदि से भी खमतखामणा की। आचार्यश्री ने चारित्रात्माओं को एक-एक उपवास की आलोयणा प्रदान की तथा श्रावक-श्राविकाओं को एक वर्ष में तीन उपवास की आलोयणा बताई। परम पूज्य कालूगणी के महाप्रयाण के अवसर आचार्यश्री ने उनको श्रद्धा के साथ वंदन किया। तदुपरान्त साधु-साध्वियों ने बारी-बारी से आचार्यश्री से खमतखामणा की। तदुपरान्त साधु-साध्वियों ने आपस में खमतखामणा की। श्रावक-श्राविकाओं आचार्यश्री से तथा परस्पर भी खमतखामणा की।
तमिलनाडु के मदुरै मे यातायात नियंत्रण के लिए लगाये गये स्वचालित सिग्नल यंत्र…सतीश जैन,ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times तमिलनाडु,मदुरै शहर में यातायात को नियंत्रित करने के लिए स्वचालित सिग्नल स्थापित किए गए हैं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। इसकी निरंतरता में, 06.09.2024 को आज रुमम्पुचला जंक्शन पर एक नई स्वचालित सिल का उपयोग किया जाएगा। रुमापुचला जंक्शन मदुरै शहर के पश्चिमी प्रवेश द्वार और केरल राज्य के थेनी जिले के राजमार्ग के मुख्य हिस्सों में से एक है और मुख्य बिंदु है जहां मदुरै उपनगरों से शहर में वाहन आते हैं। कन्याकुमारी श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से मदुरै शहर के लिए मुख्य वाहन मार्ग भी है। थेनी रोड, डुवारिमन रोड और कलावासल जंक्शन को जोड़ने वाले तीन-तरफ़ा जंक्शन पर मौजूदा वाहन यातायात को भी कम करें। दुर्घटनाओं को रोकने और क्षेत्र में अपराध की निगरानी के लिए एक यातायात स्वचालित सिग्नल और एक आधुनिक पुलिस सहायता डेस्क स्थापित की गई है। इसके अलावा, यातायात को विनियमित करने में मदद करने, लाउडस्पीकर के माध्यम से जनता और मोटर चालकों को दुर्घटनाओं और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता प्रदान करने और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से यातायात उल्लंघन की घटनाओं और अपराधों की निगरानी करने के लिए एक स्वचालित सिग्नल पुलिस सहायता केंद्र स्थापित किया गया है। 1. तीन प्राथमिक सिग्नल पोस्ट और दो द्वितीयक सिग्नल पोस्ट टाइमर सुविधाओं के साथ, 2. आधुनिक पुलिस बूथ जिसमें मॉनिटर और यूपीएस बैटरी के साथ पांच सीसीटीवी आईपी कैमरे हैं, 3. 51 पोल और स्पीकर के साथ पीए सिस्टम, 4. टेबल, कुर्सियाँ और पानी की सुविधा, 5. तीन रंग की एलईडी स्ट्रिप्स की व्यवस्था की गई है ताकि सिग्नल के रंग के अनुसार सिग्नल चमकें। उपरोक्त सुविधाओं के साथ यातायात सुधार उपकरण सी इसमें आधुनिक यातायात स्वचालित सिग्नल और आधुनिक पुलिस सहायता शामिल है मदुरै मेट्रोपॉलिटन पुलिस उपरोक्त उल्लिखित सुविधाओं के साथ एक आधुनिक यातायात स्वचालन और आधुनिक पुलिस सहायता केंद्र स्थापित किया जाएगा और श्री जे. लोकनाथन, पुलिस आयुक्त के आदेश से 06.09.2024 (शुक्रवार) को जनता और मोटर चालकों के उपयोग के लिए खोला और चालू किया जाएगा। , मदुरै शहर। साथ ही मदुरै मेट्रोपॉलिटन पुलिस की ओर से अनुरोध किया गया है कि यातायात नियमों का पालन करें, शहर में बिना तेज गति के यात्रा करें, दुर्घटनाओं से बचने के लिए वाहन चलाएं और दुर्घटना मुक्त शहर बनाएं।