सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसीएट एडिटर, Key Line Times
मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम संपन्न
तप प्रदर्शन नहीं निर्दर्शन है मुनिश्री जिनेश कुमारजी
साउथ कोलकाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा आत्म शुद्धि के चार साधन हैं। दान, शील, तप, भावना। तप आत्मशोधन की प्रकिया है। तप से व्यक्ति समाधि को प्राप्त होता है तपस्या वह रसायन है जिसके द्वारा शरीर और मन का संतुलन बना रहता है। रसनेन्द्रिय के संयम से ऊर्जा का संचय होता है चेतना का उर्ध्वारोहण होता है। तप आत्म शक्ति को जागृत करने की शंख ध्वनि है। तप आत्म देवता के मंदिर की प्रज्ज्वलित ज्योति शिखा है। तपस्या आसक्ति को परास्त करने की शक्ति है। अन्तर में उल्लास भरने की अभिव्यक्ति है। तपस्या आने वाले कल की स्तुति है। तपस्या से आंतरिक सौन्दर्य बढता है तप प्रदर्शन नहीं निदर्शन है। तप से पूर्वाजित कर्मो का क्षय होता है। मुनिश्री ने आगे कहा तप सर्वश्रेष्ठ औषधि है क्योंकि शरीर की शुद्धि होती है। तपस्या से रक्तसंचार बढता है। पाचन किया बढती है। तप से पेट के यंत्रों को विश्राम मिलता है। तपस्या करना हरेक के वश की बात नहीं बहिन रंजीता अरविंद बांठिया ने मासखमण की तपस्या करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है शहर में तपस्या का अच्छा माहौल है लोगों में तप के प्रति रुचि है। तप का क्रम निरन्तर चलना चाहिए। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विनोद कुमार चौरड़िया ने तप अभिनंदन का वाचन करते हुए विचार रखे। साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रदत्त तप संदेश का वाचन तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा पदमा कोचर ने किया। तप अनुमोदना कार्यक्रम में मंजु बांठिया, खुशबु, डोली, रिंकी अमित बांठियां, सुशीला सेठिया ने विचारों की अभिव्यक्ति व गीतों की प्रस्तुति दी। पारिवारिक बहिनों ने गीत का संगान किया। मुनिश्री परमानंद जी ने संचालन किया। तपस्वी बहिन का तेरापंथ सभा द्वारा सम्मान किया गया।