अजीत बंसल,सहायक संपादक संपूर्ण भारत
Key Line Times
मुम्बई ,महावीर मिशन ट्रस्ट के तत्वावधान में पुराने कबूतर खानों को फिर से खोलने के लिए राष्ट्रसंत मुनि नीलेशचंद्रजी महाराज के नेतृत्व में आजाद मैदान में शांतिदूत कबूतरों के अधिकार के लिए मुनिश्री के द्वारा अनशन पर उतरने पर मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा व विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने आजाद मैदान पहुंच कर मुनि नीलेशचंद्रजी व उपस्थित जन समुदाय को एवं हार्दिकभाई हुंडीया की मध्यस्थता में य़ह आश्वासन दिया कि 15 दिनों में मुख्यमंत्री से मांगों को अवगत करा कर उनसे चर्चा कर उचित कदम उठाने का पूर्ण प्रयास करने की बात दोहराई गई। जैन श्रेष्ठी हार्दिक हुंडीया ने कहा की जैन संत नीलेश चंद्र जी ने अपना आंदोलन और अपना जो अनशन है वो कबूतर बचाओ, आंदोलन को लेकर बहुत ही ज्यादा मजबूत कर चुके हैं, यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में भी चालू है,लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस निर्णय नहीं होने की वजह से मुंबई के आजाद मैदान में संत निलेश विजय द्वारा अनशन पर बेठकर अपनी मांग की घोषणा लेकर मीडिया में अपनी बात रखते हुवे कहा की इस अनशन का उद्देश्य सरकार एंव महानगरपालिका को अंतःकरण को जागृत करना है। मुनि निलेश चंद्र कि शांतिपूर्ण माँगें यह है की मुंबई भर में वैज्ञानिक रूप से नियोजित पक्षी-आहार क्षेत्र का निर्माण एवं संरक्षण किया जाए, ताकि सभी प्रकार के पक्षियों को भोजन एवं स्वच्छ जल प्राप्त हो सके। इन क्षेत्रों को कबूतरखाना / बर्ड सेंचुरी के रूप में घोषित किया जाए और उनकी स्वच्छता महानगरपालिका द्वारा सुनिश्चित की जाए। पूरे शहर में पक्षियों, कबूतरों तथा आवारा पशुओं के लिए स्वच्छ जल के पात्र नियमित दूरी पर लगाए जाएँ। पक्षी एवं पशु प्रेमियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए तथा जो भी व्यक्ति या समूह उन्हें परेशान या आक्रमण करे, उसके विरुद्ध तत्काल पुलिस कार्रवाई की जाए। उन सभी भ्रामक बोर्डों को हटाया जाए जिनमें लिखा गया है कि “60–65% हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस कबूतरों के पंख या मल से होती है, जब तक यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित न हो जाए। यह जाँच कराई जाए कि ऐसी भ्रामक जानकारी किसने दी और जनता में भय एवं घृणा फैलाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो। यदि कबूतरों या पक्षियों को खिलाने पर कोई सरकारी या महानगरपालिका नीति लागू है तो उसे सार्वजनिक किया जाए; यदि नहीं है, तो स्पष्ट किया जाए कि खिलाना वर्जित नहीं है। भोजन स्थलों की नियमित सफाई एवं स्वच्छता महानगरपालिका द्वारा सुनिश्चित की जाए। घायल या निर्जलित पक्षियों एवं पशुओं के लिए तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए। गौमाता एवं अन्य दुग्ध एवं कृषि पशुओं की रक्षा की जाए; अवैध परिवहन या वध पर सख्त कार्यवाही हो तथा सभी गौशालाओं का पंजीकरण व निगरानी सुनिश्चित की जाए। पशु-क्रूरता विरोधी कानूनों को सशक्त किया जाए, ताकि ऐसे अपराधों को गम्भीर और गैर-जमानती अपराध घोषित किया जा सके। संविधान के अनुच्छेद 21, 48A एवं 51A(ग) के अनुरूप सभी जीवों के जीवन के मौलिक अधिकार को मान्यता दी जाए। एक स्थायी अंतर-विभागीय समिति गठित की जाए जिसमें धार्मिक संस्थाओं, पशु-कल्याण संगठनों और पर्यावरण विशेषज्ञों का समावेश हो। सभी प्राचीन मंदिरों एवं तीर्थस्थलों को “धरोहर स्थल”घोषित किया जाए तथा किसी भी धार्मिक संरचना को तोड़ा या क्षतिग्रस्त न किया जाए। इन मंदिरों के संरक्षण एवं रख-रखाव के लिए सरकार द्वारा धनराशि और सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि आस्था और संस्कृति भावी पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस जी को यह विनंती कि जा रही है कि इस पर एक सकारात्मक निर्णय हो जो सनातनीओं के हित में लिया जाए। आईजा अध्यक्ष हार्दिक हुंडीया ने कहा की सरकार को कबूतर खानों को खोल देना चाहिए। कबूतर बॉम्बे की एक ब्यूटी है। करीबन 100 साल से पुराना कबूतर खाना है। हमारे पास एक भी ऐसी कोई सूचनाएं नहीं है कि कबूतर के कारण कोई आदमी मरा हो या किसी को तकलीफ हुई हो ! संत नीलेश चंद्र मुनि ने जो आंदोलन किया हमारा फुल सपोर्ट उनको है। हम कानून का भी समर्थन करते हैं। मैंने खुद ने कोर्ट में पीआईएल की है। लेकिन जिस तरह से हजारों कबूतरों की जो जान गई है उसके जिम्मेदार कौन? सरकार को तुरंत से तुरंत कदम उठाना चाहिए। आज मंगल प्रभात जी लोढ़ा भी नीलेश मुनि जी से मिलने आए,सरकार का भी कोई अच्छा ऐसा निर्णय आये जिससे कबूतरों को भी तकलीफ ना हो, जनता को भी तकलीफ ना हो। सेवा फाउन्डेशन के रमेश एम. जैन ने बताया की एक संत को आज उपवास में उतरना पड़ा, ये कितनी दुखदाई बात है। मंगल प्रभात जी लोढ़ा वास्तव में एक सरकार के दूत बनके आए हैं। हार्दिक हुंडिया ने कहा कि कानून का जो निर्णय आएगा हम मानेंगे। लेकिन हमारी एक भावना है कि जिस तरह से कबूतर जैसे अबोल जीव तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। सरकार की भी फर्ज होनी चाहिए कि कबूतर नहीं मरने चाहिए। हार्दिक हुंडिया ने कहा कि हमारे गुरु नीलेश मुनि जी कि आज्ञा का पालन करेंगे और हम लोग मुंबईकर मुंबई के हित में जो भी होता है वो काम करेंगे। राहुल नार्वेकर ने भी संत निलेश मुनि से बात कि उन्होने कहा की वे जरूर देवेंद्र फडनवीस से कबूतर बचाओ और खास दादर कबूतर खाने के विवाद को लेकर जो है उस पर जरूर वो सकारात्मक चर्चा करेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया है कि 15 दिन में एक पॉजिटिव रिजल्ट लेके आएंगे। महाराष्ट्र में सभी पक्षियों और जानवरों के संरक्षण के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर मैं खुद मा. मुख्यमंत्री जी के साथ विस्तार से चर्चा करूँगा। मैं मुनि श्री. निलेशचंद्र जी महाराज का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने मेरी बात मानी और अपना अनशन समाप्त किया। मैं उन्हें भरोसा दिलाता हूँ कि उनकी मांगों पर 15 दिनों में रास्ता निकाल लिया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर किसी भी प्रकार से प्राणी या पक्षी की जीवहानी सहन नहीं कर पाते और इसीलिए यह स्वाभाविक है स्वयं एक जीवदया प्रेमी हैं और इसलिए किसी भी प्रकार से कबूतर हो या किसी और प्राणी या पक्षी किसी के साथ भी किसी भी तरह का अन्याय होने हम देंगे नहीं। पूर्वमंत्री राज.के.पुरोहित ने कहा कि आज जो धरना था वो समाप्त हुआ है,महाराज जी धरने पर बैठे हैं मुझे समाचार मिला महाराज जी की शाता पूछने के लिए आया और महाराज जी का क्या कहना है सुनने के लिए आया हुं । महाराज जी ने कहा कि कबूतरों पर चल रही है राजनीति खत्म होनी चाहिए, तो हमने महाराज जी को कबूतरों को न्याय मिले क्योंकि मैं भी कबूतरों के पक्ष में हूं।
इस अवसर पर संत श्री सुरेशजी महाराज (उज्जैनी बाबा), राज.के.पुरोहित, पूरण दोशी, हार्दिक हुंडिया, चन्द्रकुमार जाजोदिया, रमेश एम जैन, शांतिनाथ जैन मंदिर के महामंत्री सुरेश सीए, आदेश्वर ट्रस्ट के सुरेश बासा, दिनेश जैन भीनमाल,कान्तिलालजी शाह (नाकोडा ट्रस्टी) सुरेश पटवारी, देवेन्द्र जैन, अंकेश जैन, श्रेणिक जैन, नितिन राठोड़, ललित.एम.शाह, अशोक सी जैन, स्नेहा विशारीया, महावीर मिशन ट्रस्ट व सकल जैन संघ, राजस्थानी 36 कोम समिति के महानुभाव उपस्थित रहे। तखतगढ युवा मंच, मरूधर समाचार, राजमणि फाउंडेशन ,दिनेश चौहान (अरिहंत ग्रुप)व विभिन्न संघों सहित विशाल जन समुदाय का समर्थन प्राप्त हुआ है। राष्ट्र संत निलेशचंद्रजी महाराज के साथ घेवरचंद रायचंद जैन, चन्द्रकुमार जाजोदिया भी उपवास पर बैठे थे।


