




अनुराग मोहन, जिला संवाददाता बागपत, Key Line Times
30-7-202 बड़ौत प्रवचन
बडौत,दिगम्बराचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने धर्म-सभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि –
“जो समय की कीमत करते हैं, उनकी दुनिया कीमत करता है। जिसको समय का बोध होता है, वही दुनिया को बोध प्रदान करता है। जिसे स्वयं ही समय का बोध नहीं, वह संसार को भी तत्त्व-बोध प्रदान नहीं कर सकता है। सम्बोधन के लिए बोध होना चाहिए। बोध के बिना दिया गया उपदेश कल्याणकारी नहीं हो सकता है। बोध के बिना शोध नहीं, शोध के बिना समाधि नहीं । बोध, बोधि, समाधि ही परम-शांति का आधार है।
यश प्राप्त करना चाहते हो तो यशपूर्ण, यशस्वी, पवित्र संयम के साथ जीवन जियो। यदि रावण जैसा जीवन जियोगे, तो राम जैसा यश नहीं मिलेगा | कंस जैसा जीवन जियोगे, तो कृष्ण जैसी प्रसिद्धि नहीं मिलेगी। तुम दूसरों को सम्मान दोगे तो दूसरे तुम्हारा सम्मान करेंगे। कुछ प्राप्त करना चाहते हो, तो देना भी सीखो। महत्त्व देना सीखो, तुम्हारा महत्त्व अपने आप बढ़ जायेगा। कुछ पाना चाहते हो, तो झुकना सीखो। जो झुक जाता है, वह उठ जाता है। उठना है, तो झुकना सीखो।
गुरु को प्रसन्न करना है, तो प्रणाम करलो। ब्राह्मण को धन दे दो तो वह प्रसन्न हो जाता है। व्यापारी से व्यापार करलो, तो वह संतुष्ट हो जाता है। निर्धन को भोजन दे दो तो वह खुश हो जाता है। जनक- जननी की सेवा कर दो, तो वह आनन्दित हो जाते हैं। प्रजा को देख लो, तो वह शोक भूल जाती है। दुःखी से प्रिय-वचन बोल दो तो वह दुःख भूल प्यार से जाता है। जो सभी को संतुष्ट करना जानता है, वही सच्चा- शासक हो सकता है। शासक बनना है, तो अनुशासक बनो। आत्मानुशासक ही श्रेष्ठ-शासक हो सकता है।
कषाय शून्य साधना ही सिद्धि में सहायक है। किसी भी क्षेत्र में की गई कषाय का फल कष्टपूर्ण ही होता है। जैसे विष की एक कणिका भोजन को विषाक्त कर देती है ऐसे ही कषाय का क्षणिक परिणाम भी दुःखद ही होता है। कषाय छोड़ो, कल्याण-पथ प्रशस्त करो।
सभा का संचालन डॉक्टर श्रेयांस जैन ने किया। सभा मे प्रवीण जैन, अतुल जैन, सुनील जैन,राकेश सभासद, मनोज जैन, वरदान जैन,दिनेश जैन, विनोद जैन, धनेंद्र जैन आदि थे
वरदान जैन
मीडिया प्रभारी
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