
कमल जैन (अनोखा कवि) वरिष्ठ संवाददाता
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बागपत,जैन समाज के इतिहास में पहली बार बड़ौत नगरी में 24 तीर्थंकरों का विशाल पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर जैन मुनि आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि यह आयोजन मात्र एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि महापुरुषों के आदर्श जीवन का दृश्यात्मक, शिक्षाप्रद और प्रेरणादायी प्रस्तुतीकरण है। उन्होंने कहा कि हर मनुष्य के जीवन में पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक और सार्वजनिक—चारों रूपों की भूमिका होती है। इसी प्रकार पत्रकारों की भी जिम्मेदारी है कि वे सकारात्मकता और सद्भाव को समाज तक पहुंचाएं। महोत्सव का उद्देश्य भी उत्साह, समर्पण और आदर्श जीवन की प्रेरणा को समाज में फैलाना है। आचार्यश्री ने पंचकल्याणक के पाँच प्रमुख चरणों—गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष—का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जैसे संसार में जन्म लेना सभी के लिए आनंद का विषय है, उसी प्रकार सबसे पहले गर्भ कल्याणक के माध्यम से प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का पावन प्राकट्य दर्शाया जाएगा। इसके बाद जन्म कल्याणक में जन्मोत्सव का उल्लास समाज के समक्ष प्रकट किया जाएगा। तीसरा चरण तप कल्याणक है, जिसमें तीर्थंकरों के कठोर तप, त्याग और आत्मशुद्धि के आदर्शों को दिखाया जाएगा। चौथे दिन ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा, जिसमें यह बताया जाएगा कि समझ, समन्वय और आदर्श आचरण के माध्यम से इंसान नकारात्मकता को दूर कर सकता है। अंत में मोक्ष कल्याणक के माध्यम से तीर्थंकर की अंतिम सिद्धि—मोक्ष प्राप्ति—को दिव्य रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज ने कहा कि इस महोत्सव में 24 तीर्थंकरों की भव्य प्रतिमाओं के साथ सभी पंचकल्याणकों का प्रदर्शन एक ही स्थल पर पहली बार हो रहा है। यह आयोजन समाज के सभी वर्गों के सहयोग से संपन्न हो रहा है और इसका लक्ष्य अतीत की महान घटनाओं को भविष्य के लिए प्रेरणादायी रूप में सुरक्षित रखना है। उन्होंने अंत में कहा कि जो भी इस महोत्सव में आएगा, वह अनेक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभूतियों का साक्षी बनेगा।

