सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
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कोबा, गांधीनगर (गुजरात), युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि इस सृष्टि में दो प्रकार के जीव होते हैं- सिद्ध जीव और संसारी जीव। सिद्ध जीव मोक्ष में पहुंच चुके हैं। वे जन्म-मरण की परंपरा से मुक्त हैं। उनके न शरीर है, न वाणी है और न ही मन है। सिद्ध दिखाई नहीं देते, लेकिन उनका स्मरण किया जा सकता है। दूसरे प्रकार के जीव संसारी जीव होते हैं। वे जन्म-मरण की परंपरा से युक्त होते हैं। संसारी जीव चार गतियों में भ्रमण करते हैं- नरक गति, तिर्यंच गति, मनुष्य गति और देव गति। इन्हीं गतियों में उनका जन्म-मरण हो रहा है। वे जब तक मोक्ष नहीं जा पाते, तब तक वे संसारी जीव होते हैं। जिस दिन मोक्ष की प्राप्ति हो गई, उसी दिन वे भी सिद्ध जीवों में शामिल हो जाएंगे।चौरासी लाख जीव योनियां बताई गई हैं। इनमें एक योनी मनुष्य की भी है। हम सभी मनुष्य संज्ञी मनुष्य हैं। दूसरे असंज्ञी मनुष्य भी होते हैं जो हमें दिखाई नहीं देते। उनके मन नहीं होता, इसलिए वे दिखाई भी नहीं देते। वे संज्ञी मनुष्य का जीवन दुर्लभ और महत्त्वपूर्ण भी है। इस मनुष्य गति में कई मनुष्य अधम कोटि के भी होते हैं। वे इतना पाप कर लेते हैं कि वे पाप करके सबसे खराब स्थान वाले नरक में जाकर पैदा हो जाते हैं। मनुष्यों में कोई इतना भी अच्छा हो सकता है कि वे अपनी मृत्यु के बाद मोक्ष गति को भी प्राप्त कर लेते हैं। कई मनुष्य तिर्यंच, देव और कोई वापस मनुष्य भी बन जाते हैं। मनुष्यों मंे कोई अधम भी हो सकता है तो कोई सर्वोत्कृष्ट भी हो सकता है। अंधकार से प्रकाश की ओर, असत् से सत्य की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर भी गति की जा सकती है। मनुष्य को अच्छे संस्कार देने का प्रयास करना चाहिए।आचार्यश्री ने आगे कहा कि अणुव्रत उद्बोधन दिवस का अंतिम दिन अथवा शिखर दिवस है। एक अक्टूबर से प्रारम्भ हुआ यह सप्ताह अपने शिखर पर पहुंच गया है। आज के दिन को जीवन विज्ञान दिवस के रूप में आयोजित किया गया है। परम पूजनीय आचार्यश्री तुलसी के समय अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान व जीवन विज्ञान भी प्रारम्भ हुआ। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी इससे जुड़े हुए थे। जीवन विज्ञान मानों जीवन का विज्ञान है। कैसे जीवन जीना, कैसा श्वास लेना, कैसे बोलना आदि-आदि जीवन से जुड़ी हुई बातें जीवन विज्ञान से सीखने को प्राप्त हो सकता है। विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार देने का भी प्रयास हो तो कितना अच्छा हो सकता है। विद्यार्थी को शारीरिक विकास, बौद्धिक विकास और मानसिक और भावात्मक विकास का भी होना बहुत ही आवश्यक होता है। इस प्रकार चतुष्कोणीय विकास के द्वारा विद्यार्थी के जीवन को उन्नत बनाया जा सकता है। विद्याथियों में शुद्ध भावों का विकास होना चाहिए। जीवन विज्ञान शिक्षा जगत के लिए मानों एक गाइड लाइन है। आदमी को अपने जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। जीवन विज्ञान की आत्मा है कि विद्यार्थी का मानसिक और भावात्मक विकास भी होना चाहिए। अच्छे संस्कार, नैतिकता आदि आएं। स्कूल, कॉलेज और युनिवर्सिटि आदि में जीवन विज्ञान का आयोजन कर विद्यार्थियों के जीवन का कल्याण हो सकता है। बाल, व विद्यार्थी पीढ़ी के सामने लम्बा भविष्य है तो उनका जीवन कैसे अच्छा बने, इसका प्रयास जीवन विज्ञान के माध्यम से किया जा सकता है।हालांकि सरकार भी इस ध्यान देती है, किन्तु इसके बाद भी आम आदमी को इस संदर्भ में सोचने का प्रयास होना चाहिए। विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा और अच्छी प्रेरणा मिले तो विद्यार्थी उत्पथ से जाने से बच भी सकते हैं। प्रिंसिपल आदि से इस संदर्भ में मिलकर हमारी बातों को बच्चे सुनने का प्रयास करते हैं। जीवन विज्ञान का कितने-कितने कार्यक्रम समायोजित हो रहा है। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी इस विषय में अच्छा ध्यान दे सकती है।आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अहमदाबाद की मेयर श्रीमती प्रतिभा जैन भी पहुंची थीं। उन्होंने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आज मुझे आपके श्रीमुख से अत्यंत प्रभावी ज्ञानमय वाणी सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हम सभी भगवान महावीर के अनुयायी हैं। आपकी सन्निधि मंे जीवन विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। आपकी प्रेरणा और आशीर्वाद से हमने अहमदाबाद के सभी सरकारी विद्यालयों मंे प्रातःकालीन होने वाली प्रार्थना के साथ अणुव्रत गीत के संगान को भी अनिवार्य किया गया है। आपका आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे और आपके आशीर्वाद से सामाजिक कार्यों को हम आगे बढ़ाते रहें। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। श्री नरेश सालेचा ने अणुव्रत उद्बोधन के संदर्भ में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा श्री प्यारचंद मेहता (कोयल-मलाड) को जीवन विज्ञान पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। उनके प्रशस्ति पत्र का वाचन अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के उपाध्यक्ष श्री कैलाश बोराणा ने किया। श्री मेहता ने आचार्यश्री के समक्ष अपने कृतज्ञ भावों को अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। इस उपक्रम का संचालन अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के महामंत्री श्री मनोज सिंघवी ने किया। श्री रवि जैन ने गीत का संगान किया। बैंकाक प्रवास श्री हरेन जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।आज आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में राजस्थान के पूर्व विधायक श्री सतीश पूनिया आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।