सुरेंद्र मुनोत, सहायक संपादक संपूर्ण भारत
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सलाल, साबरकांठा (गुजरात),जन-जन के कल्याण के लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ पुनः गतिमान हो चुके हैं। गुजरात की धरा पर लगातार दो चतुर्मास के उपरान्त अब आचार्यश्री राजस्थान राज्य की ओर गतिमान हो चुके हैं। हालांकि अभी वर्तमान समय में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की यात्रा गुजरात प्रान्त में ही गतिमान है। जनता के मानस को अपनी अमृतवाणी का अभिसिंचन प्रदान करते हुए आचार्यश्री निरंतर प्रवर्धमान हैं।सोमवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में सूर्योदय के कुछ समय पश्चात आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रांतीज से मंगल प्रस्थान किया। प्रांतीजवासियों ने अपने आराध्य के श्रीचरणों में अपनी कृतज्ञता अर्पित की। श्रद्धालुओं को मंगल आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान किया। प्रातःकाल मौसम में मामूली शीतलता देखने को मिल रही है, जो दिन चढ़ने के साथ ही गायब-सी हो जा रही है। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी सलाल में पहुंचे। सलालवासियों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री सलाल स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में आयोजित मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि किसी भी कार्य को कल पर छोड़ने का अधिकार तीन मनुष्यों को होता है- जिसकी मौत के साथ दोस्ती हो जाए कि मौत को जो बोले वह कर देगी। दूसरा वह जो मौत से भी ज्यादा तेज दौड़ सकेगा और तीसरा आदमी वह जो अमरत्व को प्राप्त कर लिया हो। दुनिया में शायद ऐसा कोई आदमी नहीं मिलेगा, जो इस प्रकार के अधिकार रखता हो। धरती पर जिसने भी जन्म लिया है, उसके लिए मौत अवश्यम्भावी है। यह मानव जीवन भी नश्वर है, एक दिन अवसान को प्राप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में आदमी को धर्म कर लेना चाहिए। मृत्यु, बुढ़ापा और बीमारी नहीं आएंगी, ऐसी कोई गारण्टी भी नहीं ले सकता है। इसलिए आदमी को अपनी आत्मा पर ध्यान देने का प्रयास करना चाहिए। आत्मा शाश्वत है, इसलिए आदमी को अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य के रूप में पंच महाव्रतों की साधना तो बहुत बड़ी बात हो सकती है। सामान्य आदमी भी अपने जीवन में जितना संभव हो सके, धर्म व अध्यात्म की साधना के द्वारा अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। सौभाग्य से प्राप्त इस मानव जीवन में धर्म की साधना करने का प्रयास करना चाहिए।आचार्यश्री ने कहा कि वर्ष 2023 में भी सलाल आना हुआ और आज भी यहां आना हो गया। सलालवासियों में खूब धर्म की भावना बनी रहे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी ने सलालवासियों को उद्बोधित किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री प्रकाश भण्डारी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। स्थानीय नन्हीं बालिकाओं ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। श्रीमती प्रियंका चोरड़िया व श्री प्रकाश चोरड़िया ने भी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी।

