
सुरेंद्र मुनोत, सहायक संपादक संपूर्ण भारत
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शामलाजी, अरवल्ली (गुजरात),गुजरात की धरा पर लगातार दो चतुर्मास करने वाले, गुजरात की विस्तृत यात्रा करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अखण्ड परिव्राजक अब गुजरात की अपनी संघ प्रभावक यात्रा को सुसम्पन्न कर राजस्थान की धरा पर पधारने वाले हैं। इससे पहले शनिवार को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने साबरकांठा जिले के गदाधर गांव से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री की राजस्थान राज्य से बढ़ती निकटता के कारण राजस्थान के उदयपुर, कांकरोली, भीलवाड़ा आदि मेवाड़ क्षेत्र से काफी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम बना हुआ है। विहार के दौरान आचार्यश्री ने साबरकांठा जिले से अरवल्ली जिले की सीमा में मंगल प्रवेश किया। अरवल्ली जिले के प्रारम्भ होते ही मार्ग के आसपास अरावली पर्वत शृंखला की पहाड़ियां भी दिखाई देने लगीं। इसके साथ ही अब मौसम में शीतलता महसूस हो रही है। मार्ग में दर्शन करने वाले लोगों को आशीष प्रदान करते हुए लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर शामलाजी में पधारे।शामलाजी गुजरात का एक प्रमुख तीर्थस्थान है। यहां भगवान विष्णुत को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो ग्यारहवीं शताब्दी से निर्मित है। भगवान विष्णु के हाथ में ली हुई गदा सामान्य से ज्यादा बड़ा है, इसलिए इसे लोगों द्वारा गदाधर विष्णु मंदिर भी कहा जाता है। आज शामलाजी में उत्तर गुजरात श्रावक समाज द्वारा मंगल भावना समारोह भी आयोजित था। आचार्यश्री शामलाजी में स्थित श्री रणछोड़ धर्मशाला में पधारे। शामलाजी के लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।धर्मशाला परिसर में ही आयोजित प्रातःकालीन मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि हमारे जीवन में साधुओं की संगति का बहुत महत्त्व है। प्रश्न हो सकता है कि साधु-संतों की संगति करने से क्या लाभ हो सकता है? उत्तर दिया गया कि पहली बात है कि साधुओं का तो दर्शन ही अपने आप में पुण्य है। साधु अपने आप में जंगम तीर्थ होते हैं। गृहत्यागी, तपस्वी साध्वी जो पूर्णतया अहिंसक होते हैं, ऐसे साधु के मुखदर्शन से ही पापकर्म झड़ते हैं। साधुओं की एक घड़ी, आधी घड़ी, पाव घड़ी का भी सान्निध्य मिल जाए तो लाभ प्राप्त हो सकता है। मोह-माया से विरत, त्याग-वैराग्य व आध्यात्मिकता से ओतप्रोत साधु के दर्शन व प्रवचन श्रवण ही हो जाए तो कितना लाभ प्राप्त हो सकता है। आंखों से दर्शन का लाभ और प्रवचन श्रवण से कानों को लाभ प्राप्त हो सकता है। साधु के प्रवचन श्रवण से आदमी के मन में श्रद्धा का भाव जागृत हो जाए तो आदमी के जीवन का कल्याण हो सकता है। कभी आदमी में इतनी श्रद्धा हो जाए तो वह प्रत्यख्यान कर ले तो फिर वह मोक्ष की दिशा में भी आगे बढ़ सकता है और उसकी आत्मा कभी मोक्ष को भी प्राप्त कर सकती है। इसलिए साधुओं की संगति और धर्मकथा का होना दुर्लभ बताया गया है।आचार्यश्री ने जैन धर्म व तेरापंथ धर्मसंघ की जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि आज शामलाजी में आना हुआ है। अभी तक गुजरात में हैं। अब आगे राजस्थान के मेवाड़, मारवाड़, छोटी खाटू की ओर जाना है। गुजरात में हमारा चतुर्मास प्रवास हुआ है। गुजरात में चतुर्मास करने बाद अब विदाई ली है। गुजरात छुटने वाला है। अब गुजरात से वियोग और राजस्थान से संयोग होने वाला है। इस बार गुजरात में लम्बा रहना हुआ है। दो चतुर्मासों के बीच में गुजरात को छोड़ा ही नहीं। गुजरात के पांचों भागों में हमारा जाना हुआ। अब राजस्थान में प्रवेश का प्रसंग आ रहा है। हमारे परम पूज्य आचार्यों के प्रवास का मुख्य स्थान राजस्थान ही रहा है। साधु जहां भी जाए, कल्याण का कार्य करता रहे। लक्ष्मीपुरा में धार्मिकता-आध्यात्मिकता अच्छा क्रम रहे।आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त भिलोड़ा के श्री महावीर चावत ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। भिलोड़ा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। कथाकार श्री श्यामसुन्दर महाराज ने भी आचार्यश्री के स्वागत में कहा कि हमारे गुजरात की पुण्यभूमि को आचार्यश्री ने खूब पवित्र और धन्य किया और बहुत से जीवों के जीवन को धन्य किया। अब आप राजस्थान में पधार रहे हैं। हम सौभाग्यशाली हैं जो प्रथम बार आपके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं आपके चरणों में बारम्बार प्रणाम करता हूं। खेड़ब्रह्मा के श्री शंकरलाल जैन ने के.एल. हॉस्पिटल में आचार्य महाश्रमण इमेजिंग सेंटर के लोकार्पण के संदर्भ में अपनी अभिव्यक्ति दी। इमेजिंग सेंटर से संदर्भित पट्ट का लोकार्पण आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में मंगलपाठ सुनाया। अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-अहमदाबाद ने गीत का संगान किया। बालक सम्यक बाबेल ने अपनी बालसुलभ प्रस्तुति दी।

