
सुरेंद्र मुनोत, सहायक संपादक संपूर्ण भारत
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हिम्मतनगर, साबरकांठा (गुजरात),जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी गुजरात राज्य में गतिमान हैं। मार्ग में अनेक नगरों व कस्बों को आचार्यश्री के चरणों से पुनः पावन होने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। ऐसे में उन क्षेत्रों के श्रद्धालुओं के हर्ष का मानों कोई पारावार नहीं है। मंगलवार को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ दलपुर से मंगल प्रस्थान किया। जन-जन को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी हिम्मतनगर में पहुंचे तो हिम्मतनगरवासियों ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री हिम्मतनगर में स्थित जैनाचार्य आनंदघनसूरि विद्यालय में पधारे। विद्यालय से संबंधित लोगों ने भी आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने हिम्मतनगरवासियों को अपनी अमृतवाणी से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि इस संसार में आदमी जन्म-मरण की परंपरा में गतिमान रहता है। जीवन प्राप्त करता है और एक दिन जीवन पूर्ण भी हो जाता है। कोई भी प्राणी व्यक्तिगत रूप में शाश्वत नहीं होता है। यह जीवन अधु्रव है, अशाश्वत है। जन्म लेना, जीवन जीना और एक दिन पंचत्व को प्राप्त हो जाना सृष्टि का नियम चल रहा है। पुनर्जन्म की ऐसी ही प्रक्रिया निरंतर गतिमान है। जब तक आत्मा मोक्ष को प्राप्त न हो जाए, जन्म-मरण चक्र सदैव चलता है। मनुष्य योनि प्राप्त होने के बाद आदमी को यह प्रयास करना चाहिए, वह वापस दुर्गति में न जाए। मोक्ष जाने का प्रयास हो अथवा न भी हो, किन्तु आदमी को ऐसा कार्य करना चाहिए, उसकी दुर्गति न हो। आदमी को अपनी योग्यतानुसार के अच्छा कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। इस संसार में रहते हुए जन्म-मरण की परंपरा से छुटकारा पाने के लिए धर्म के शरण में रहें तो कभी मुक्ति भी प्राप्त हो सकती है।आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज हिम्मतनगर आए हैं। इस जैनाचार्य स्कूल में आना हुआ है। हिम्मत नाम में है तो यहां के लोगों में अच्छे कार्यों के लिए हिम्मत हो और यहां की जनता खूब धार्मिक भावना बनी रहे और विद्यालय के बच्चों में खूब अच्छे धार्मिक संस्कार आएं, इसका प्रयास चलता रहे।आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी हिम्मतनगरवासियों को उद्बोधित किया। समणी विज्ञप्रज्ञाजी ने क्रोध के संदर्भ में अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री रतन बोरड़ ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथी महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। स्कूल के ट्रस्टी श्री अतुलभाई दीक्षित, बीडीओ श्री हर्षदभाई बोहरा ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने ज्ञानार्थियों को मंगल प्रेरणा प्रदान की।

