“ दुनिया क्या सोचती है “
तुम मुस्कुराते रहो,
और अपने काम में मस्त रहो।
लोग सोचते थे, सोचते हैं और सोचते रहेंगे,
कि इसे कौन सा सुखी और अच्छा ख़ज़ाना मिल गया है।
किसी के सोचने से क्या होता है,
हमें तो सिर्फ़ अपने जीवन का सुख और संतोष चाहिए।
रास्ता चाहे कितना भी कठिन हो,
इरादे हमारे मज़बूत हैं, सफलता भी एक दिन ज़रूर मिलेगी।
कहते हैं, जो इंसान हंसता है,
वो अपने दुखों को जीतकर ही हंसता है।
किसी ने सही ही कहा है,
हौसला हमारा ही हमें आगे बढ़ा सकता है।
दुनिया की आदत है सोचने की,
वो अक्सर वही कहती है जो उसे समझ नहीं आता।
कभी ठोकरों को दोष देती है,
कभी किस्मत को कोसती है।
पर जिन्होंने अपनी राहों पर चलना सीख लिया,
उनके लिए दुनिया की सोच कभी महत्व नहीं रखती।
सोचते रहें, कहते रहें, सतविंदर कहती है,
हम तो अपनी मंज़िल की ओर चलते रहना है ।
सतविंदर कौर
ज़ीरकपुर, चंडीगढ़ पंजाब