माँ रब की वो मूरत है,
जिसके अंदर प्यार की गंगा बहती है।
घर अधूरा है माँ बिना,
जीवन में कोई आकर्षण नहीं रह जाता है।
चेहरे पर उसकी प्यारी मुस्कान,
सारे दुखों को हर लेती है।
माँ का साथ, रब जैसा आसरा,
दर्द और तकलीफें सब मिटा देती है।
माँ की ममता का कमाल,
कोई रास्ता मुश्किल नहीं होता है।
माँ के पैरों के नीचे है जन्नत,
यह सच दुनिया कहती है।
माँ की गोद का सुकून अद्वितीय है,
जैसे रब बैठा हो पास।
माँ ही वो सूरज है,
जो अपनी रोशनी से सबको भर देती है।
माँ का रिश्ता पाक-पवित्र है,
कोई इसका मुकाबला नहीं कर सकता।
ऐसी ही थी मेरी माता,
सतविंदर सच्चाई कह रही है।
**सतविंदर कौर**
ज़ीरकपुर (चंडीगढ़)