सुरेंंद्र मुनोत, राष्ट्रीय सहायक संपादक
Key Line Times
क्या ज़िंदगी…..
क्या ज़िंदगी एक ऊँचाई,
Like a sky,
जहाँ सपनों की उड़ान
अपना आसमान खुद चुन लेती है।
क्या ज़िंदगी एक गहराई,
Like a samundar,
जो हर लहर के साथ
हौसलों के मोती सँभाल कर रखती है।
क्या ज़िंदगी एक उथल–पुथल,
Like a toofan,
जो हिलाकर रख देती है,
पर टूटा हुआ दिल भी
नया साहस सीख ही जाता है।
क्या ज़िंदगी एक शांत और चुप सुभहा,
Like an Earth,
जो बताती है कि ठहराव में भी
नई शुरुआत छिपी होती है।
क्या ज़िंदगी एक उड़ान,
Like a sky,
जहाँ हर गिरावट के बाद
मन फिर से पर फैलाना सीख जाता है।
क्या ज़िंदगी एक संघर्ष,
Like a competition,
जो हमें हार नहीं—
बल्कि अपनी असली ताकत दिखाना सिखाती है।
क्या ज़िंदगी एक आना–जाना,
Like a safar,
जिसका हर मोड़, हर मंज़िल
हमें और समझदार, और मजबूत बना जाता है।
हाँ… ज़िंदगी यही है —
कभी तूफ़ान, कभी सन्नाटा,
कभी उड़ान, कभी सफ़र…
पर हर पल ये कहती है:
“चलते रहो… क्योंकि रुकना,
ज़िंदगी का तरीका नहीं होता।”
Copyright @ Satwinder Kaur

