गीता: उजाले की ओर एक सहज यात्रा”….प्रसिद्ध लेखिका सतविंदर कौर जी की अनुपम कृति
सुरेंंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
Key Line Times
गीता की हर पंक्ति में जीवन का उजाला है,
संदेह के अँधेरों में भी विश्वास का दीपक जला है।
कर्म की राह दिखाती है, बिना फल की इच्छा के,
जो मन को स्थिर कर दे—ऐसी अनमोल कला है।
जब मन डगमगाए, गीता धीरे से समझाती है,
हर कठिन मोड़ पर हिम्मत की राह दिखलाती है।
अर्जुन-सा संशय हो दिल में, तो बस इतना याद रहे—
धर्म वही जो दुनिया में प्रेम और शांति जगाती है।
भक्ति हो या कर्मयोग, हर अध्याय में संदेश है,
अपने अंदर के प्रकाश को पहचानने का प्रवेश है।
जो गीता को मन में उतार ले, उसका हर कल्याण हो—
पग-पग पर ईश्वर का साया, हर पल भगवान हो।
गीता हमसे कहती है—
“चलते रहो, रुको नहीं,
सत्य और करुणा से बड़ा कोई धर्म नहीं।”
जीवन की यह साधना ही सबसे सुंदर जीत है,
धैर्य, करुणा और कर्म में ही छिपी अनोखी प्रीत है।
गीता का हर संदेश हमें भीतर की शांति से जोड़ता है,
जीवन की थकान को जैसे कोई कोमल स्पर्श मोड़ता है।
जब दुनिया की आवाज़ें मन को भटका दें,
यह ग्रंथ समझाता है—
“सुकून बाहर नहीं, तुम्हारे भीतर ही जन्म लेता है।”
जो इस सत्य को सुन लेता है,
उसके लिए हर दिन एक नई शुरुआत बन जाता है।
Satwinder Kaur कहती हैं,
“गीता का सार यही है—
जो कर्म में रमे रहें, वही सच्चे पथिक कहलाते हैं,
और विश्वास की रोशनी में ही जीवन के सब द्वार खुल जाते हैं।”
Copyright @ Satwinder Kaur


