“ सुकून की राह “
जो अपनी ख़ुशी का दीपक
खुद के मन में जलाते हैं,
दुनिया की सारी जलन
उस रौशनी में खो जाती है।
मैं उस राह पर चलती हूँ
जहाँ दिलों में नफ़रत नहीं,
सिर्फ़ मुस्कुराहटें पलती हैं—
किसी को खुश देखकर
खुद भी खुश हो जाने वाली।
ज़िंदगी की थकान भी
जब इस सुकून की छांव में आती है,
तो एक ताज़ी हवा
दुनिया को फिर से खूबसूरत बना देती है।
हर मोड़ पर कुछ लोग
दिलों में धुंध लेकर मिल जाते हैं,
पर मैं उनके भीतर छुपी उम्मीद
ढूँढना नहीं छोड़ती—
क्योंकि हर मन में रोशनी
थोड़ी सी कोशिश से जग जाती है।
हमारी छोटी-सी दया भी
किसी के दिन को बदल सकती है,
और एक मुस्कान
कई दुखों को चुपचाप कुचल सकती है।
इसीलिए हर पल
नेकी के बीज बोते चलो ,
कभी न कभी वे फूल बनकर
किसी के जीवन को महका ही देते हैं।
और आख़िर में…
Satwinder Kaur कहती हैं,
“ख़ुशी ओर नेकी बाँटते चलो—
दुनिया में सुकून की राह बढ़ती चली जाएगी ।
- Copyright @Satwinder Kaur.


