🌸 ग्यारह दिवसीय प्रवास के तेरापंथ के ग्यारहवें अधिशास्ता का मंगल प्रस्थान 🌸
-11 कि.मी. का विहार कर सी.बी.डी. बेलापुर को पावन बनाने पधारे शांतिदूत महाश्रमण
-वैकुंठ भाई मेहता रिसर्च सेण्टर में प्रवास तो विद्या प्रसारक हाईस्कूल से अध्यात्म का हुआ प्रसार
-देव, गुरु और धर्म के प्रति हो अखण्ड भक्ति : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-सी.बी.डी. बेलापुरवासियों ने अपने आराध्य के अभिनन्दन में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति
22.02.2024, गुरुवार, सी.बी.डी. बेलापुर, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : वाशी को अपने आध्यात्मिक मंगल प्रवचनों, तेरापंथ धर्मसंघ के सबसे महनीय मर्यादा महोत्सव के समायोजन से आध्यात्मिक नगरी काशी के समान बनाने के उपरान्त ग्यारह दिवसीय प्रवास को पूर्ण जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल से गुरुवार को अपने चरण गतिमान किए तो वाशीवासियों ने अपने आराध्य के श्रीचरणों में अपने कृतज्ञभावों को अर्पित किया। जन-जन का कल्याण करने वाले युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी आज सी.बी.डी. बेलापुर की ओर गतिमान थे। सेण्ट्रल बिजनेश डिस्ट्रिक्ट के रूप में विख्यात यह क्षेत्र शांतिदूत के शुभागमन की प्रतीक्षा कर रहा था। जन-जन पर आशीष बरसाते हुए आचार्यश्री लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर सी.बी.डी. बेलापुर में पधारे तो श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया। सी.बी.डी. बेलापुर में प्रवास के लिए वैकुंठ भाई मेहता रिसर्च सेण्टर में पधारे। प्रवास स्थल से दूसरी दिशा में कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित विद्या प्रसारक हाईस्कूल में प्रवचन पण्डाल से जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हुए कहा कि जैन आगमों के कुछ सूक्तों में भक्ति की भावना भी दिखाई देती है। चौबीस तीर्थंकरों को नमस्कार, वंदन किया गया है। अर्हत और सिद्धों के प्रति भी भक्ति का भाव देखने को मिलता है। भक्ति में शक्ति भी हो सकती है। यदि भक्ति अटूट, अखण्ड और निश्छिद्र हो तो भक्ति में शक्ति की बात हो सकती है। वास्तविक भक्ति में पूर्ण समर्पण का भाव होता है। वहां कोई किन्तु-परन्तु की बात नहीं होती, सघन समर्पण का भाव होता है। आदमी को अपने देव, गुरु और धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। सिद्धांत, मान्यताओं के प्रति श्रद्धा का भाव, समर्पण का भाव हो। भक्ति विशुद्ध हो। केवल लोकोपचार को देखते हुए किया कर्म भक्ति नहीं होती। विपत्ति में भी धर्म न छूटे, आस्था प्रगाढ़ बनी रहे। आदमी भले अपने जीवन से विदा हो जाए, किन्तु जीवन में कभी भी अपने धर्म से विदा न हो। देव, गुरु और धर्म के प्रति आस्था अटूट हो, भक्ति हो। नियमों और संकल्पों के प्रति भी निष्ठा का भाव रहे तो भक्ति की अखण्डता बनी रह सकती है। आचार्यश्री ने कहा कि आज सी.बी.डी. बेलापुर में आना हुआ है। यहां के लोगों में खूब धार्मिक भावना बनी रहे। आचार्यश्री के मंगल उद्बोधन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी जनता को अभिप्रेरित किया। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री नितीन मेहता, बेलापुर जैन संघ की ओर से श्री तेजराज संचेती, श्री विजय संचेती व डॉ. नाथ ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ समाज, तेरापंथ कन्या मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान कर अपने भावसुमन अर्पित किए। स्थानीय ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। क्षेत्र के हैण्डीकैप बच्चों ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी तथा आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।