🌸 ज्योतिचरण का स्पर्श पाकर चमक उठा चेम्बूर 🌸
-पंचदिवसीय प्रवास हेतु महातपस्वी महाश्रमण का चेम्बूर में पावन पदार्पण
-भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पहुंचे एनजी आचार्य एण्ड डीके मराठे कॉलेज
-संतोषः परं सुखम् : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
28.12.2023, गुरुवार, चेम्बूर, मुम्बई (महाराष्ट्र) : मायानगरी मुम्बई के एक-एक उपनगर में अध्यात्म की गंगा प्रवाहित करते, जन-जन के मानस को आध्यात्मिक अभिसिंचन प्रदान करते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अणुव्रत यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ गुरुगुवार को चेम्बूर में पंचदिवसीय प्रवास हेतु पधारे तो मानों पूरा चेम्बूर ज्योतिचरण के स्पर्श को पाकर चमक उठा। एक नयी चमक चहुंओर प्रस्फुरित हो रही थी। जन-जन का मन आनंद और उमंग से भरा हुआ था। अपने आराध्य के स्वागत में सड़कों पर उमड़ी जनता में उस आनंद और उमंग को स्पष्ट देखा जा सकता है। बुलंद जयघोष से पूरा चेम्बूर महाश्रमणमय बन रहा था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ महातपस्वी आचार्यश्री पंचदिवसीय प्रवास हेतु चेम्बूर में स्थित एनजी आचार्य एण्ड डीके मराठे कॉलेज ऑफ आर्ट, साइन्स एण्ड कॉमर्स के परिसर में पधारे। गुरुवार को सूर्य के आसमान में आने के कुछ समय बाद जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, महासंत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने काजूपाड़ा से मंगल प्रस्थान किया। काजूपाड़ावासी अपने आराध्य के श्रीचरणों में अपनी प्रणति अर्पित कर रहे थे। उपनगरीय यात्रा के दौरान आचार्यश्री चेम्बूर में पंचदिवसीय प्रवास हेतु पधार रहे थे। इन पांच दिनों में चेम्बूर ही वर्ष 2024 के मंगलपाठ जैसे कार्यक्रम का आयोजन भी निर्धारित है। अपने क्षेत्र में अपने आराध्य का पांच दिनों का प्रवास प्राप्त कर चेम्बूरवासी आह्लादित थे। अपने क्षेत्र को बैनर और होर्डिंग्स से सजा रखा था। स्थान-स्थान पर तेरापंथ समाज ही नहीं, अपितु अनेक समाज और वर्ग के लोग आचार्यश्री के शुभागमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। आचार्यश्री ने जैसे ही चेम्बूर की सीमा में प्रवेश किया, श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। गूंजते जयघोष और भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पांचदिवसीय प्रवास हेतु उक्त कॉलेज परिसर में पधारे। कॉलेज परिसर में ही ज्योतिचरण समवसरण में उपस्थित श्रद्धालु जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि भौतिकतावाद और अध्यात्मिकतावाद की बात बताई जाती है। सामान्य तौर आदमी का आकर्षण भौतिकता की ओर इतना ज्यादा हो जाता है कि उसके जीवन से आध्यात्मिकता मानों गौण हो जाती है। आवश्यकता नहीं होने पर भी आदमी लालसा, आकांक्षा और इच्छाओं के वशीभूत हो जाता है। श्रावक के बारह व्रतों में पांचवा व्रत है इच्छा परिमाण व्रत। आदमी को अपनी इच्छाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को सदिच्छा को रखने और दुरिच्छा से बचने का प्रयास करे। धर्म में रत रहने की इच्छा, सेवा की इच्छा, परोपकार की इच्छा तो अच्छी बात हो सकती है। आदमी को अपने भीतर संतोष रूपी गुण का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। ज्यादा इच्छाओं को आदमी पाल ले और वह इच्छाएं पूर्ण न हों तो आदमी दुःखी बन सकता है, किन्तु संतोषी आदमी ऐसे दुःखे से बच सकता है और उसे परम सुख की प्राप्ति हो सकती है। स्वदार, धन और भोजन में संतोष तथा जप, ध्यान, दान, सेवा में संतोष नहीं करना चाहिए। भौतिकता के माहौल में पदार्थों के प्रति संतोष का भाव हो। आचार्यश्री ने चेम्बूरवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आज यहां आना हुआ है। यहां की जनता में धार्मिक-आध्यात्मिक विकास होता रहे। उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उद्बोधित किया। स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्रीमती मीनाक्षी जुगराज बोहरा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। चेम्बूर के समस्त तेरापंथ समाज ने स्वागत गीत का संगान किया।