🌸 भोग नहीं, योग साधना की ओर करें गति : सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-काजूपाड़ा को पावन बनाने अपनी धवल सेना संग पधारे ज्योतिचरण
-काजूपाड़ावासियों ने अपने सुगुरु का किया भावभरा भव्य अभिनंदन
-स्थानीय विधायक सहित अनेक गणमान्यों ने भी किए दर्शन, श्रद्धालुओं ने व्यक्त की भावनाएं
27.12.2023, बुधवार, काजूपाड़ा, मुम्बई (महाराष्ट्र) : मुम्बई महानगर के कोने-कोने को पावन बनाने के निरंतर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ बुधवार को काजूपाड़ा में पधारे। ऐसे राष्ट्रसंत के शुभागमन से काजूपाड़ा का जन-जन उल्लसित और उत्साहित था। स्थान-स्थान पर उपस्थित लोग महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे। आचार्यश्री भी अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि करते हुए गतिमान थे। जयघोष करते श्रद्धालु भी अपने आराध्य के श्रीचरणों का अनुगमन कर रहे थे। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री एकदिवसीय प्रवास हेतु काजूपाड़ा में स्थित सेंट ज्यूड स्कूल में पधारे। इसके पूर्व बुधवार को प्रातः युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी कुर्ला पूर्व के विवेकानंद इंग्लिश स्कूल से मंगल प्रस्थान किया। विहार के दौरान अनेकानेक श्रद्धालुओं को अपने-अपने निवास स्थान अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान के निकट आचार्यश्री के दर्शन करने व श्रीमुख से मंगलपाठ श्रवण का सुअवसर भी प्राप्त हो गया। आचार्यश्री ने अनुग्रह करते हुए काजूपाड़ा में निवासित चांदीवली के विधायक श्री दिलीप मामा लांडे के निवास स्थान में पधारे और उनके परिवार को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। ऐसी कृपा को प्राप्त कर लांडे परिवार श्रद्धाप्रणत बन रहा था। सभी को अपने आशीष से आच्छादित करते हुए आचार्यश्री प्रवास हेतु सेंट ज्यूड स्कूल में पधारे। स्कूल परिसर में ही आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम मंे सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि भोग और योग दो शब्द बताए गए हैं। दोनों का अर्थ भिन्न और परस्पर विरोधी है। आदमी अपने जीवन में अनेक वस्तुओं व पदार्थों का भोग करता है। भोजन, पानी, वस्त्र, आभूषण, वाहन इत्यादि अनेक पदार्थों का भोग करता है। इनमें एक बात होती है, आवश्यकता और दूसरी बात होती है आसक्ति। जीवन को चलाने के लिए भोजन, कपड़ा, मकान आदि की आवश्यकता होती है, दूसरी बात आदमी इन पदार्थों के प्रति आसक्त हो जाता है, जिसके कारण वह अपनी आवश्यकता से ज्यादा उस पदार्थ अथवा वस्तु का संग्रह अथवा अत्यधिक उपभोग करने लगता है। पांचों इन्द्रिय के पांचों विषय आवश्यकता से अधिक आसक्ति से भोगे जाते हैं तो वह योग व अध्यात्म की साधना के लिए बाधक बनते हैं। आसक्तिपूर्वक किया गया पदार्थों का भोग आदमी के लिए शोक का कारण बनते हैं। शोक से बचने के लिए योग साधना की बात बताई गई है। पतंजली ने अष्टांग योग की बात बताई है। शास्त्रकार ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि मोक्ष प्राप्ति के लिए किए गए सारे प्रयोग योग हैं। जहां भोग होता है, वहां राग की भावना होती है और जहां योग होता है, वहां त्याग की भावना होती है। आदमी को भोग से योग साधना की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन कुछ समय योग साधना में लगाने का प्रयास करना चाहिए। जप, स्वाध्याय, ध्यान योग साधना के अच्छे माध्यम हैं। योग साधना आदमी के जीवन का अंग बन जाए। जीवन योग साधना से भावित हो तो मोक्ष की दिशा में गति हो सकती है। आचार्यश्री ने काजूपाड़ावासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि यहां की जनता में भी योग साधना का विकास होता रहे। उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्री नरेश पगारिया ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ किशोर मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के स्वागत में अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। चांदीवली के विधायक श्री दिलीप मामा लांडे ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की कृपा को प्राप्त कर मैं निहाल हो गया। आपके आगमन से हमारी झोपड़ी भी पवित्र हो गई। आपके दर्शन और आशीर्वाद को प्राप्त कर जीवन धन्य हो गया। असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर श्री महेन्द्र पुरी, आरटीआई कार्यकर्ता श्री अनील गलगली व श्री संजय चौधरी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।