🌸 कुर्ला ‘पूर्व’ में उदित हुए अध्यात्म जगत के महासूर्य महाश्रमण 🌸
-एक दिवसीय प्रवास हेतु विवेकानंद इंग्लिश स्कूल में पधारे आचार्यश्री महाश्रमण
-सदात्मा बनने का प्रयास करे मानव : मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमण
-हर्षित जनता ने दी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति, प्राप्त किया आशीर्वाद
26.12.2023, सोमवार, कुर्ला (पूर्व), मुम्बई (महाराष्ट्र) :
जन-जन के मानस को आध्यात्मिक अभिसिंचन प्रदान करने वाले, अध्यात्म जगत के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का कुर्ला ‘पूर्व’ में पावन पदार्पण हुआ तो मानों स्थानीय जनता खुशी से झूम उठी। आचार्यश्री के शुभागमन से पूरा क्षेत्र मानों महाश्रमणमय बन रहा था। जनता का जयघोष उनकी आंतरिक प्रसन्नता को प्रकट कर रहा था। आचार्यश्री लोगों पर आशीष वृष्टि करते हुए कुर्ला (पूर्व) के नेहरू नगर में स्थित विवेकानंद इंग्लिश स्कूल में पधारे।
इसके पूर्व मंगलवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में कुर्ला (पश्चिम) में दो दिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल प्रस्थान किया। कुर्ला पश्चिमी क्षेत्र के लोग अपने आराध्य के प्रति अपने कृतज्ञ भावों को अर्पित कर रहे तो दूसरी ओर पूर्वी भाग के लोग अपने क्षेत्र में महासूर्य के अभिनन्दन को उत्साहित नजर आ रहे थे। विहार मार्ग भी मात्र एक किलोमीटर का ही था, किन्तु भक्तों की भावनाओं को पूर्ण करने व सभी को अपने दर्शन और आशीर्वाद से लाभान्वित करने के लिए शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कुछ दूरी का चक्कर लेकर पधारे। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री अपनी धवल सेना कुशल नेतृत्व करते हुए कुर्ला (पूर्व) में स्थित विवेकानन्द इंग्लिश स्कूल में पधारे।
स्कूल के हॉल में आयोजित मंगल प्रवचन में उपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि हमारी दुनिया में अनंत-अनंत आत्माएं हैं। उन आत्माओं को चार भागों में बांटा गया- परमात्मा, महात्मा, सदात्मा तथा दुरात्मा। अपने कषायों का क्षय कर इस संसारी अवस्था से मुक्त परम आत्माएं परमात्मा बन चुकी हैं। दूसरे स्थान पर कंचन, कामिनी का त्याग करने वाले, संसारी अवस्था मंे साधना में रत रहने वाले, दूसरों का कल्याण करने वाले, मन, वचन काया में समानता रखने वाले महात्मा होते हैं। साधारण गृहस्थ में सदात्मा और दुरात्मा दोनों होने की बात होती है। नैतिकता पर चलने वाला, किसी का बुरा न सोचने वाला, स्वयं से किसी को कष्ट नहीं देने वाला गृहस्थ सदात्मा और दूसरों को कष्ट देने वाला, छल, धोखा, कपट, हिंसा, हत्या, दूसरों को कष्ट में लगा रहने वाला आदमी दुरात्मा होता है।
आदमी को अपने जीवन में बुरे कर्मों से बचते हुए सदात्मा बनने का प्रयास करना चाहिए। परमात्मा, महात्मा न भी बन सकें तो कम से कम सदात्मा बनने का अवश्य प्रयास करना चाहिए। आचरण अच्छा हो, धर्म से युक्त जीवन हो, अहिंसा की चेतना का विकास हो। इस प्रकार आदमी सदात्मा बनकर अपने इस जीवन को भी अच्छा बना सकता है और आगे का जीवन भी अच्छा हो सकता है।
आचार्यश्री ने क्षेत्रीय जनता को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि यहां के लोगों में भी धार्मिक-आध्यात्मिक भावना का विकास होता रहे। विद्यालय के विद्यार्थियों आदि का भी कल्याण होता रहे। मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उपस्थित जनता को उद्बोधित किया।
आचार्यश्री के अभिनन्दन में विवेकानंद इंग्लिश स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती गीता ने अपनी अभिव्यक्ति दी। स्कूल की छात्राओं ने अणुव्रत गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई की क्षेत्रीय सदस्याओं, तेरापंथ युवक परिषद के स्थानीय सदस्यों ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथ कन्या मण्डल ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
आचार्यश्री के स्वागत में पहुंचे स्थानीय विधायक श्री मंगेश कुडालगर ने भी दर्शन कर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। स्थानकवासी समाज की ओर से श्री ऋषभ सांखला, मूर्तिपूजक समाज की ओर से डॉ. मुकेश बोहरा व प्रेक्षा प्रशिक्षिका श्रीमती मीना साबत्रा ने भी आचार्यश्री की अभिवंदना में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। प्रेक्षाध्यान से जुड़ी हुई बहनों ने गीत का संगान किया।