





🌸 मन के जीते जीत है, मन के हारे हार : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
-मैं आपके दर्शन और आशीर्वाद के लिए आया हूं : पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
-गुरुदर्शन करने वाली साध्वियों ने व्यक्त किए हृदयोद्गार
25.12.2023, सोमवार, कुर्ला, मुम्बई (महाराष्ट्र) : कुर्ला प्रवास के दूसरे दिन जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे में पहुंचे। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान पहुंचे श्री ठाकरे ने आचार्यश्री को वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने उन्हें पावन पथदर्शन प्रदान किया। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन करने के उपरान्त अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है कि आज मुझे परम पूजनीय संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन हुए हैं। आपने देश-विदेश की यात्रा की है और अब अपनी यात्रा के साथ मुम्बई में गतिमान हैं। मैं आपके दर्शन और आशीर्वाद के लिए आया हूं। आपके आशीर्वाद की ऊर्जा से मैं अपने कार्यों को और गति दे सकूंगा। महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के कुर्ला प्रवास के दूसरे दिन अर्थात सोमवार को न्यू मिल ग्राउण्ड में आयोजित मंगल प्रवचन में उपस्थित जनता को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में जय-पराजय की बात होती है। खेल में एक की जीत होती है तो दूसरे की पराजय होती है। चाहे वह व्यक्ति हो या टीम। इसी प्रकार राजनीति के क्षेत्र में भी दो पार्टियां चुनाव लड़ती हैं तो एक को जीत होती है और दूसरे की हार होती है। खेल, राजनीति, युद्ध आदि में एक की जय और एक की पराजय होती है। शास्त्र में बताया गया कि एक युद्ध में दस लाख सैनिको पर विजय प्राप्त करने वाला विजयी कहलाता है, किन्तु जिसने एक अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर लिया वह परमजयी कहलाता है। किसी दूसरे पर विजय प्राप्त कोई बड़ी बात नहीं, अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर लेना बहुत बड़ी बात होती है। यदि आत्मा पर विजय प्राप्त हो जाए तो मोक्षश्री का वरण किया जा सकता है। अब प्रश्न हो सकता है कि आदमी अपनी आत्मा पर कैसे विजय प्राप्त कर सकता है? समाधान प्रदान करते हुए बताया गया है कि आदमी अपने शरीर, वाणी और मन के साथ अपनी पांच इन्द्रियों पर नियंत्रण कर ले तो मानना चाहिए कि वह अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर लिया। आदमी अपने शरीर से कोई अनावश्यक कार्य न करे, वाणी से कोई गलत बात का प्रयोग न करे, झूठ बोले, मन से किसी का बुरा न सोचे और पांचों इन्द्रियों का संयम कर ले तो उसके लिए परम विजय की बात हो सकती है। इसलिए कहा गया कि मन के जीते जीत है, मन के हारे हार। संयम की साधना, अध्यात्म की साधना के द्वारा आदमी को अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त अलग-अलग क्षेत्रों में चतुर्मास सुसम्पन्न कर गुरुदर्शन करने वाली साध्वियों में से साध्वी उज्वलप्रभाजी ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी तथा अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ गीत का संगान किया। साध्वी पुण्ययशाजी व साध्वी पावनप्रभाजी ने भी गुरुदर्शन से प्राप्त हर्ष को अभिव्यक्ति देते हुए सहवर्ती साध्वियों के साथ गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय तेयुप के अध्यक्ष श्री जीतू कोठारी, श्रीमती भावना डागलिया व श्री दिनेश सुतरिया ने अपनी अभिव्यक्ति दी। बालिका विदिशा डागलिया ने अपनी प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथ कन्या मण्डल ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष के उपलक्ष में प्रख्यात सैण्ड आर्टिस्ट श्री सर्वम पटेल ने आचार्यश्री के जीवन से संदर्भित प्रसंग रेत पर उकेरने की प्रस्तुति दी।





