प्रवचन 3-11-23
क्रोध की चिंगारी से जिंदगी बचाओ- आचार्य विशुद्ध सागर
दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने ऋषभ सभागार मे धर्मसभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि- जीवन में वही सफल होते हैं, जो संतुलन बनाकर जिंदगी जीते हैं। संकट में भी व्यक्ति को धैर्य नहीं खोना चाहिए, क्रोध के निमित्त मिलने पर भी शांत रहना चाहिए, क्योंकि क्षण भर की अधीरता, कषाय परिणाम जीवन भर के लिए कष्टकारी बन जाता है।”
क्रोध की चिंगारी से जिंदगी बचाओ। क्रोध जीवन की शांति को भंग कर देता है। क्रोधी शीघ्र ही संबंधियों से संबंध बिगाड़ लेता है। क्रोधी स्वयं ही अपनी जिंदगी को कष्ट में डालकर अशांतिपूर्ण जीवन जीता है। प्रयत्न पूर्वक क्रोध से बचो, आत्म रक्षा करो। क्रोध ज्वलनशील और खतरनाक है, जो सम्बंधों की मधुरता को झुलसा देता है। क्रोधाग्नि सुख, शांति, आनन्द, यश, प्रज्ञा, ज्ञान, शारीरिक बल को जलाकर राख कर देती है। क्रोध से बचो, क्षमा धारण करो।
क्षमाशील सदा सुखी जीवन जीता है। क्षमा वह नीर है जो क्रोध की ज्वाला को क्षण भर में शांत कर देता है। शूरवीर वे ही हैं जो समर्थवान होने पर भी शत्रु को क्षमा कर देते हैं क्षमा वीरों का आभूषण है। कुलीन-पुरुष निर्बलों पर कुपित नहीं होते। जो अपने आप से हार जाता है, वही दूसरों पर कुपित होता है।
किसी को कमजोर मत समझो। निर्बल भी कभी सबल हो जाता है। क्रोध ही वैर में परिवर्तित होता है। वैर भव-भव में कुपित करता है। क्रोध विष के समान अनिष्ट होता है। क्रोधी इंसान हैवान बन जाता है। क्रोध में व्यक्ति अंधा हो जाता है। जगत् में क्रोधी का हित कोई नहीं कर सकता है। क्रोधी इंसान चाण्डाल की तरह देखा जाता है। क्षमा धारण करो; मानव से महा-मानव बनो। क्षमा धारण कर परम-शांति प्राप्त करो।
सभा मे प्रवीण जैन, अतुल जैन, मनोज जैन, वरदान जैन, विनोद एडवोकेट, अशोक जैन, पुनीत जैन,अनुराग मोहन, राजेश भारती, सुरेश जैन, राकेश जैन आदि थे।
वरदान जैन मीडिया प्रभारी