🌸 भीतर में विशेषताओं का करे विकास – आचार्य महाश्रमण🌸
- पूज्य प्रवर ने जीवन को सही दिशा देने के लिए किया प्रेरित
24.10.2023, मंगलवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
अणुव्रत के द्वारा जन मानस को सदाचार की प्रेरणा देने वाले अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी नंदनवन में सानंद प्रवास करा रहे है। नवरात्रि के समापन के साथ ही सुदूर क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का संघ रूप में आवागमन शुरू हो गया है। आचार्यश्री एवं साधु–साध्वियों की विराट उपस्थिति नंदनवन से पूरे मुंबई को गुलजार बना रही है। आज कार्यक्रम में साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।
मंगल देशना देते हुए शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा– जीव क्यों है ? क्योंकि उसके पास प्राण है। जीव भूत, सत्व, शुभ-अशुभ को जानने वाला होता है, ज्ञान वान होता है। जीव को हम आत्मा भी कह सकते है को निरंजन है, निराकार है। इस नश्वर शरीर का तो नाश भी होता है, किंतु आत्मा अविनाशी होती है। जीवन समाप्ति के अनेक कारण हो सकते है। आज दशहरा का दिन है, रावण के साथ जुड़ा हुआ दिन है। इन्सान में विशेषताएं भी होती है व कमियाँ भी। रावण भी कोई साधारण व्यक्ति नहीं था, वह विद्वान भी था और बलशाली था। रावण से एक भूल हुई, उसने सीता का अपहरण कर लिया और फिर अंत में उसका वध हो गया।
गुरुदेव ने आगे कहा कि राम और लक्ष्मण में भी एक दूसरे के प्रति बड़ा स्नेह व सम्मान, समर्पण का भाव बेजोड़ था। सीता का अपहरण के बाद रामचन्द्र जी अवसाद में चले गये व हनुमान के साथ जो सन्देश भेजा उसमें कहा कि मेरा शरीर तो यहाँ है, पर मन तुम्हारे साथ ही है। ऐसा भी उल्लेख मिलता है की रावण के मरने के बाद रामचंद्र जी ने उसकी विशेषताओं का भी उल्लेख किया। यह सब उनकी उदारता थी। हम जीवन को सही दिशा में मोड़ने का प्रयास करे जिससे यह मानव भव सार्थक बने।