अनुराग मोहन, जिला संवाददाता बागपत, Key Line Times
प्रवचन 23/09/2023 बडौत सत्य जानो, सत्य बोलो, सत्य आचरण करो- विशुद्ध सागर
चर्या शिरोमणि दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने ऋषभ सभागार मे श्रावक संयम साधना शिविर में प्रवचन देते हुए कहा कि – “सत्य जानो, सत्य मानो, सत्य बोलो और सत्य का आचरण करो। कुटिल-कटु भाषण, पीड़ा कारक वचन ही असत्य है।”
दूसरों के दुःख के कारण भूत वचनों को छोड़कर स्व-पर हितकारी वचन कहना ही ‘सत्यधर्म’ है। सत्य वचन बोलना, झूठ नहीं बोलना, यही सत्यवादी है। परभावों का सर्वथा त्याग और निजात्मा में लीनता ही निश्चय से ‘सत्यव्रत’ है। मन-वचन-काय से असत्य नहीं बोलना, न दूसरों से बुलवाना और न असत्यभाषी की अनुमोदना करना, सत्य महाव्रत है।
सज्जन पुरुष सत्य पर न चल सकें, लेकिन सत्य को कहने से नहीं चूकते। सत्य- भाषण सज्जन पुरुष की पहचान है। जो हितकारी वचन हैं, वही सत्य वचन हैं। जो किसी का अहित करें, वे असत्य ही हैं। शस्त्र का धाव तो समय पाकर भर जाता है, परन्तु कटु वचनों का घाव हमेशा हरा रहता है। सत्यप्रिय सज्जनों का सभी सम्मान करते हैं।
बोलो तो हित, मित, प्रिय वचन बोलो। सीमित बोलो, काम का बोलो। वही बोलो जिससे यश, धर्म की वृद्धि हो। जिससे जीवों की रक्षा हो, जिससे जीवों का कल्याण हो, वही बोलना चाहिए। जगत के झंझटों से रक्षा करना है, तो मौन धारण करो। बोलना एक कला है, परन्तु मौन रहना एक महाकला है। मौनधारी को ही वचनसिद्धि होती है। सत्यवादी अहिंसक होता है। सत्य को जानो, क्योंकि सत्यार्थ को जाने बिना सत्य-जीवन कैसे जियोगे । स्व-पर हितकारी वचन ही श्रेष्ठ हैं। पर के घातक वचन असत्य ही होते हैं।
प्रिय होने पर सत्य हो, ये जरूरी नहीं है, पर जो सत्य होता वह प्रिय ही होता है। किसी के प्राण संकट में पड़ जायें, वह सत्य होकर भी असत्य ही है। सत्य ही श्रेष्ठ है, सत्य ही सुन्दर है। सत्य का जीवन ही अनुकरणीय, स्तुत्य होता है। सत्य ही की विजय है। जहाँ सत्य होता है, वहाँ प्रशंसा स्वयमेव मिल जाती है। सत्य स्वयमेव ही प्रचारित हो जाता है।सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि 24 सितंबर को धूपदशमी के अवसर पर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य मे नगर के सभी जैन मंदिरो मे धूप चढाई जायेगी। और धूपदशमी पर्व नगर मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा।
वरदान जैन मीडिया प्रभारी
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