सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
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कोबा, गांधीनगर (गुजरात),जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, अहिंसा यात्रा प्रणेता, अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में रविवार को मानों पूरे दिन विशिष्ट महानुभावों के दर्शनार्थ पहुंचने का क्रम रहा, जिसके कारण पूरा चतुर्मास स्थल जनाकीर्ण ही बना रहा। रविवार को प्रातःकालीन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में नवरात्रि के संदर्भ में आयोजित होने वाले आध्यात्मिक अनुष्ठान में गुजरात प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने पहुंचकर अपने आपको साधना से भावित बनाने का प्रयास किया तो उसके कुछ समय पश्चात ही गुजरात के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रतजी, इण्डिया टीवी के अध्यक्ष व प्रधान संपादक श्री रजत शर्मा भी उपस्थित हुए। दोनों महानुभावों ने आचार्यश्री के दर्शन करने के साथ-साथ अपने श्रद्धा भावों को भी अभिव्यक्ति दी। वहीं सायंकाल भारतीय सिनेमा जगत के अभिनेता श्री संजय दत्त भी आचार्यश्री के दर्शन व मंगल आशीर्वाद से लाभान्वित हुए।रविवार को प्रेक्षा विश्व भारती में बना भव्य एवं विशाल ‘वीर भिक्षु समवसरण’ पूरी तरह जनाकीर्ण था। नवरात्रि के संदर्भ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ आध्यात्मिक अनुष्ठान से जुड़े हुए थे। इस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए। आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त आध्यात्मिक अनुष्ठान के दौरान तक वे भी उपस्थित रहे। आध्यात्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होने पर उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन किए तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद देने के साथ ही मंगलपाठ भी सुनाया। वे आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त कर प्रस्थान कर गए।पुनः मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। अमराईवाड़ी ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका श्रीमती संगीता सिंघवी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। अमराईवाड़ी ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। तदुपरान्त शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में गुजरात राज्य व महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रतजी व इण्डिा टीवी के अध्यक्ष व प्रधान संपादक श्री रजत शर्मा आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रीमती मिनाक्षी भूतोड़िया ने गीत का संगान किया। आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ विचार मंच के अध्यक्ष श्री राजकुमार पुगलिया व नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक श्री विश्वनाथ सचदेव ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।तदुपरान्त शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने इस अवसर पर पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि अहिंसा, संयम और धर्म रूपी धर्म ही सर्वोत्कृष्ट मंगल है। यह ऐसा धर्म है, जहां कोई संप्रदाय की प्रतिबद्धता नहीं होती। अहिंसा, संयम और तप जिसके जीवन में है, उसके जीवन में धर्म है और जिसके जीवन में धर्म है, उसके साथ मंगल भी है। भारत में यह संत परंपरा चल रही है। दुनिया में संत हमेशा थे, हैं और रहेंगे। बीसवें दशक में आचार्यश्री तुलसी हुए, जिन्होंने अणुव्रत आन्दोलन चलाया था। उनके उत्तराधिकारी आचार्यश्री महाप्रज्ञजी हुए, जो प्रेक्षाध्यान का क्रम चलाया था। आज उन्हीं दोनों लोगों के नाम से जुड़ा हुआ विचार मंच है, जिसके द्वारा आचार्यश्री तुलसी सम्मान समारोह प्रदान किया जाना है। यह सम्मान आज मिडिया से जुड़े हुए श्री रजत शर्माजी को दिया जाना है। मिडिया का व्यक्ति निर्भीक, निर्लोभता होनी चाहिए। समाज को जो पथदर्शन चाहिए, वह बात भी मिडिया के माध्यम से प्राप्त होती है तो जनता सुख को प्राप्त हो सकती है। आचार्यश्री ने सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष व प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के संदर्भ में भी प्ररेणा प्रदान की।तदुपरान्त आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ विचार मंच की ओर से श्री रजत शर्मा को आचार्यश्री तुलसी सम्मान प्रदान किया गया। इण्डिया टीवी के अध्यक्ष व प्रधान संपादक श्री रजत शर्मा ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी को प्रणाम करता हूं। एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। मैं तो कभी-कभी आपके कर्तृत्वों को जानकर आश्चर्यचकित होता हूं कि साठ हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा के द्वारा समाज को जगाने की विलक्षण प्रतिभा आपश्री में है। मेरा सौभाग्य है कि आपकी सन्निधि में राज्यपाल महोदय के हाथों से यह सम्मान प्राप्त हुआ है। कोई सम्मान बहुत ज्यादा जिम्मेदारी का अहसास कराता है। मैं आचार्यश्री से कहना चाहता हूं कि जीवन में कभी मेरे कदम कर्त्तव्यपथ से डगमगाएगा तो आपका यह सम्मान मुझे चेतावनी देगा। आप जैसे संतों की आवश्यकता विश्व को है।गुजरात व महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रतजी ने संबोधन में कहा कि परम श्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी को मैं सादर प्रणाम करता हूं। भगवान द्वारा रचित इस दृष्टि के कुछ नियम हैं और जब व्यक्ति उन नियमों का तोड़ता है, व्यक्ति वही दुःखी हो जाता है। अहिंसा से विपरित जहां हिंसा होती है, वहां दुःख होता है। सत्य एक ऐसा शाश्वत सिद्धांत है जो सुख और निर्भयता ही प्रदान करता है। इसी प्रकार चोरी, ब्रह्मचर्य, संयम और अपरिग्रह शाश्वत नियम है। भगवान महावीर स्वामी ने अपरिग्रह की प्रेरणा दी। अपने जीवन को संयम रहकर जीवन जीना चाहिए। आज मिडिया का युग है। मिडिया की बात सकारात्मक होती है तो समाज निर्माण का कार्य करती है। हमें गौरव है कि हमारे बीच में रजत शर्माजी जैसे लोग भी हैं जो निर्भिक होकर पत्रकारिता कर रहे हैं। मैं उन्हें बधाई देता हूं। वे स्वस्थ रहें। श्री श्रीचंद दूगड़ ने आभार ज्ञापित किया। तदुपरान्त राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सुसम्पन्न हुआ। इसके उपरान्त दोपहर बाद आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में भारतीय सिनेमा जगत के अभिनेता श्री संजय दत्त भी उपस्थित हुए। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।