Surendra munot, Associate editor all india {West Bengal)
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विजयनगर, बैंगलोर,तेरापंथ महिला मंडल विजयनगर के तत्वावधान में “अंतराय कर्म को कैसे तोड़े” प्रेरणास्पद विषय पर कार्यशाला का आयोजन आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री संयम लता जी ठाणा 4 के पावन सानिध्य में दिनांक 12 अगस्त को अर्हम भवन में किया गया। साध्वी श्री संयम लता जी ने विषय पर अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा की अंतराय कर्म की पांच प्रकृति हैं, जिनसे ही जीव बंधन करता और तोड़ता है। अंतराय कर्म की प्रकृति दानांतराय पर बताते हुए साध्वी श्री जी ने कहा कि जिसके भीतर सुपात्र दान की भावना होती है तथा जिसने दान के सही मूल्य को समझा है उसने अपने अंतराल कर्म को तोड़ा है। आगमों में ऐसे अनेक उदाहरण प्राप्त होते हैं जिससे स्पष्ट होता है कि सुपात्र दान से कर्म कटते हैं एवं शुभ आयुष्य कर्म का बंध होता है। इसके साथ ही जो व्यक्ति दान देकर पश्चाताप करता है वह भव भ्रमणकारी कर्मों का बंधन करता है तथा उसे अपनी इच्छा को पूर्ण करने के लिए भटकना पड़ता है । साध्वी श्री जी ने यह बात मम्मण सेठ का उदाहरण देते हुए समझाई। साध्वी श्री जी ने बताया की सेवा करने से भी अंतराल कर्म टूटता है। सेवा करने वाले के वीर्यातंराय कर्म का क्षय अथवा क्षयोपशम होता है जिससे अनंत शक्ति, बल और वीर्य प्राप्त होता है। अंतराय कर्म को तोड़ने की प्रेरणा देते हुए साध्वी श्री जी ने कहा इसके अनेक माध्यम हैं, हम उस दिशा में पुरुषार्थ करते हुए आगे बढ़ते जाएं तोड़ने का प्रयास करें।कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री जी द्वारा नमस्कार महामंत्र और भिक्षु स्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम में महिला मंडल अध्यक्ष महिमा पटावरी ,मंत्री सरिता छाजेड़, पूर्व अध्यक्ष प्रेम भंसाली, उपाध्यक्ष सुनीता पटावरी ,सह मंत्री हँसा दुगर,अनिता जीरा वाला,कर्नाटक प्रभारी मधु कटारिया,अखिल भारतीय तेरापंथ राष्ट्रीय कार्यसमिति से शशि नाहर सहित सभी पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी की उपस्थिति रही। तपस्वी भाई बहिनों ने 15,9 के प्रत्याख्यान किए ।अध्यक्ष महिमा पटा व री ने साध्वी श्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कर्तज्ञता ज्ञापित की ।
कार्यक्रम में लगभग 250 से अधिक भाई- बहनों की उपस्थिति रही ।