Surendra munot, associate editor all india
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वड़ोदरा (गुजरात) ,जन-जन के मानस को आध्यात्मिक सिंचन प्रदान करने वाले, जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, आचार्यश्री महाश्रमणजी शनिवार को अपनी धवल सेना के साथ संस्कारी नगरी वडोदरा में पधारे तो श्रद्धालु जनता ने महातपस्वी का भव्य स्वागत किया। महामानव के स्वागत में मानों मानव मात्र का हुजूम उमड़ आया। जाति-वर्ग का भेद समाप्त होकर स्वागत जुलूस में सद्भावना का रंग छाया हुआ था। गूंजते जयघोष, भव्य स्वागत जुलूस के मध्य श्रद्धालुओं पर आशीष वृष्टि करते हुए आचार्यश्री वडोदरा में स्थित लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय में पधारे। वडोदरावासियों का विशेष सौभाग्य है कि वर्ष 2023 और वर्ष 2024 में भी उन्हें अपने आराध्य के पावन प्रवास के साथ मंगलवाणी श्रवण करने और आशीष प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था। इसके पूर्व आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ प्रातः की मंगल बेला में जाम्बुवा से प्रस्थान किया तो उत्साही वडोदरावासी अपने आराध्य की अगवानी में वहीं पहुंच गए थे। लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही वडोदरा नगर की सीमा में पधारे तो स्वागत में उपस्थित सैंकड़ों-सैंकड़ों श्रद्धालुओं के बुलंद जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी होता है। चिंतन का स्तर सभी एक समान नहीं भी होता है। कोई मनुष्य बहुत ही मंदबुद्धि के हो सकते हैं तो कोई मनुष्य ही ज्यादा तेज-तर्रार और चिंतनशील होते हैं। सामन्यतया मानव में चिंतनशीलता होती है। यदि उसके चिंतन में गहराई आ जाए तो अच्छी बात हो सकती है। यों तो ऐसा कोई भी जीव नहीं होता, जिसमें कोई बोध न हो। सभी प्राणियों में बोध की स्थिति रहती है। जैन दर्शन की दृष्टि से विचार करें तो न्यूनतम क्षयोपशमभाव तो प्राप्त होता ही होता है। शास्त्र में बताया गया कि आदमी को अपने विवेक अथवा चिंतन का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को एक चिंतन यह करना चाहिए कि थोड़े लाभ के लिए ज्यादा नुक्सान नहीं उठाना चाहिए। जिस काम में लाभ का पलड़ा भारी हो, वह कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। थोड़े लाभ के लिए बहुत की हानि कर लेना बुद्धिमत्ता की बात नहीं होती। गृहस्थ हो अथवा साधु उसे विचार करना चाहिए कि थोड़े और क्षणिक लाभ के लिए बहुत ज्यादा नुक्सान उठाने का प्रयास न हो।
चतुर्दशी के संदर्भ में आचार्यश्री ने कहा कि साधु-साध्वियों को भी अपनी साधना के बदले कोई निदान कर लेना भी थोड़े लाभ के लिए ज्यादा नुक्सान की बात हो सकती है। कठिनाई अथवा विपत्ति में भी धर्म को नहीं छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। आदमी जिस किसी क्षेत्र में कार्य करे, वहां अच्छे ढंग से अपने धर्म को याद रखने का और उसका अनुपालन करने का प्रयास करना चाहिए। धर्म को बनाए रखने का, अहिंसा, संयम और नैतिकता को बनाए रखने का प्रयास करे। आदमी राजनीति, व्यापार, धंधा करे, उसमें ईमानदारी रखने का प्रयास करना चाहिए। कभी गुस्सा भी आ जाए तो उसे भी समाप्त करने का प्रयास होना चाहिए। जितना संभव सके अपने गुस्से को भी नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। अहंकार से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। साधु-साध्वियों को चारित्र रत्न मिला हुआ है। भला इससे बहुमूल्य दुनिया की कौन संपत्ति होती है। इस चारित्र रत्न के सामने राजा का देव भी झुकते हैं। सम्यक्त्व चारित्र की यत्ना पूर्वक रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। जहां तक संभव हो सके, धर्म, ध्यान का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने बहुश्रुत परिषद के सदस्य साधु-साध्वियों को पावन प्रेरणा प्रदान की तथा वडोदरा में चतुर्मास करने वाली साध्वी पंकजश्रीजी को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। इसके उपरान्त आचार्यश्री ने चतुर्दशी के संदर्भ में हाजरी के क्रम को संपादित किया। तदुपरान्त उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। आचार्यश्री ने चारित्रात्माओं को विविध प्रेरणाएं प्रदान की। दिल्ली की ओर विहार करने से पूर्व मुनि उदितकुमारजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। राज्यसभा सांसद श्री लहरसिंह सिरोहिया ने भी आचार्यश्री के दर्शन और मंगल प्रवचन श्रवण के उपरान्त कहा कि आज का दिन मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है। मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन करने, उन्हें वंदन करने और उनसे मंगल आशीर्वाद लेने के लिए आया हूं। इसके उपरान्त तेरापंथी सभा-दिल्ली के अध्यक्ष श्री सुखराज सेठिया तथा राज्यसभा सांसद महोदय आदि ने आचार्यश्री से सन् 2028 के मर्यादा महोत्सव करने की अर्ज की तो आचार्यश्री ने अपनी विशेष कृपा प्रदान करते हुए घोषणा करते हुए कहा कि सन् 2027 के चतुर्मास के बाद सन् 2028 का मर्यादा महोत्सव बृहत्तर दिल्ली में करने का भाव है।’ आचार्यश्री की इस घोषणा से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। वडोदरा में चतुर्मास करने वाली साध्वी पंकजश्रीजी के सिंघाड़े की ओर से साध्वी शारदाप्रभाजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद-वडोदरा ने स्वागत गीत का संगान किया।