सूरेह मुनोत,ऐसोसिएट एडिटर
Key Line Times
जाम्बुवा, वड़ोदरा (गुजरात) ,सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति जैसे कल्याणकारी सूत्रों के माध्यम से जन-जन का कल्याण करने के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शुक्रवार को गुजरात प्रदेश के वड़ोदरा जिले में स्थित पोर से गतिमान हुए। गुजरात प्रदेश का मानों भाग्योदय हुआ है तो राष्ट्रसंत आचार्यश्री का इतना लम्बा प्रवास व विहार उसे प्राप्त हो रहा है। वर्ष 2023 में विहार और अक्षय तृतीया के कार्यक्रम के उपरान्त आचार्यश्री ने भारत की आर्थिक राजधानी के रूप में विख्यात भारत का प्रवेश द्वार मुम्बई में भव्य चतुर्मास किया। उसके उपरान्त वर्ष 2024 का चतुर्मास गुजरात की डायमण्ड नगरी सूरत में चतुर्मास तथा उसके उपरान्त विहार भी गुजरात प्रदेश में तथा आगामी वर्ष 2025 का चतुर्मास भी गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में होना निर्धारित है। ऐसा सौभाग्य प्राप्त कर गुजरातवासी श्रद्धालु हर्षविभोर बने हुए हैं। कई क्षेत्र ऐसे हैं, जिन्हें पूज्यचरणों से दूसरी बार पावन होने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इनमें एक वड़ोदरा शहर भी है, जहां आचार्यश्री का 14 दिसम्बर को मंगल प्रवेश होगा। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी जाम्बुवा गांव स्थित नमन आइडियल स्कूल में पधारे। स्कूल परिसर में ही आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर अनेक वृत्तियां होती हैं और वृत्तियों से प्रवृत्ति भी होती है। वृत्ति, प्रवृत्ति और निवृत्ति ये तीन शब्द हैं। इन तीनों शब्दों पर ध्यान दिया जाए तो मानव के भीतर अनेक प्रकार की वृत्तियां होती हैं-लोभ, क्रोध, मान, माया, राग-द्वेष। वृत्तियों के कारण प्रवृत्ति भी होती है। जैसे किसी के भीतर हिंसा की वृत्ति है तो वह आदमी पापाचरण में प्रवृत्त हो सकता है। आदमी को पापाचार की दिशा में ले जाने वाली वृत्तियों को दुर्वृत्ति और धर्माचार और अच्छी दिशा में ले जाने वाली वृत्ति सुवृत्ति होती है। इस प्रकार दुर्वृत्तियों को सुवृत्तियों को जानकर अपने भीतर सुवृत्तियों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। इन वृत्तियों के आधार पर आदमी का विचार भी बदलता रहा है। कभी गुस्सा तो कभी क्षमा, कभी हिंसा तो कभी दया की भावना भी होती है। इसलिए आदमी को अपने भावों को शुद्ध और सुवृत्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने उपस्थित संतवृन्दों से चर्चा की तो बहुत सुन्दर दृश्य उत्पन्न हो गया। इस संदर्भ में मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी, मुनि उदितकुमारजी, मुनि दिनेशकुमारजी व मुनि योगेशकुमारजी ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने सबके विचारों को सुनने के बाद तात्विक विषय का उपसंहार किया। कल गुरुदर्शन करने वाली साध्वी लब्धिश्रीजी ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ गीत का संगान किया। आचार्यश्री सभी साध्वियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
नमन आइडियल स्कूल के शिक्षक श्री कल्पितजी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथी सभा-वड़ोदरा के अध्यक्ष श्री सुशील कोठारी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-वडोदरा ने गीत का संगान किया।