
सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर आल इंडिया, Key Line Times

जैन लोग पर्व तिथि के दिन हरी सब्जी का सेवन क्यो नही करते ? जैन धर्म एक साइंटिफिक धर्म है । तिर्थंकर परमात्मा महावीर भगवान के केवल ज्ञान का अनुवाद है । यह विज्ञान की खोजों से कही आगे है । आज के विज्ञान ने भी इस बात को माना है की पर्व तिथि ( बीज, पाचंम, आठम, ग्यारस, चौदस, पूनम,अमावस ) के दिन चंद्र और पृथ्वी के बिच आकर्षण बढ जाता है । जिससे पृथ्वी के जल पर चंद्र के गुरुत्वाकर्षण बल का असर होता है और समुन्द्र मे ज्वार ( भरती ) आती है । यही क्रिया पृथ्वी पर स्थित प्रतेक जलाशय के साथ होती है । मनुष्य के शरीर में 70% पानी होता है और वनस्पति ( हरी सब्जी ) में 80% पानी होता है । इस पानी ( जल ) पर भी चंद्र के गुरुत्वाकर्षण बल का असर होता है । इस स्थिति मे हमारा मस्तिष्क मदहोश हो जाता है, अग्नि तत्व मंद हो जाता है और वायु तत्व की बढोत्तरी होने से शरीर में कई विकृतिया निर्माण होती है । सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां इन्ही से होती है । एक्सिडेंट, बलात्कार आदि अपराधिक तत्व की वृध्दि होती है । रोज अखबार ( न्यूज पेपर ) ध्यान से मार्क करोगे तो ये बात सच्ची लगेगी । इन दिनों हरी सब्जी का सेवन न कर कर जलतत्व पर कंट्रोल किया जा सकता है । जैन धर्म मूलतः अहिंसा सिद्धांत पर आधारित है । जैन धर्म में मनुष्य द्वारा जीवन यापन करते समय सूक्ष्म अतिसूक्ष्म जीव हिंसा भी कम से कम हो इस बात का ध्यान रखा गया है । हरी सब्ज़ी भीं एक जीव है और इसका सेवन करने से सुक्ष्म जीव हिंसा का दोष लगता है । रोज न सही कम से कम पर्व तिथि के दिन हरी सब्जी का सेवन न करने से अतिरिक्त हिंसा से बचा जा सकता है । जैन धर्म में सात्विक आहार को हीं महत्व दिया गया है । हरी ( साग-भाजी ) सब्ज़ी स्वादिष्ट होने की वजह से राग की उत्पति होती है और इसके सेवन से इन दिनों पाप वृत्ति बढ़ती है एवं धर्म आराधना मे बाधा उत्पन्न होती है । इस लिये भीं इन दिनों जैन लोग हरी सब्जी का सेवन नहीं करते है । इसप्रकार शरीरिक व्याधी, हिंसा और पाचार से बचने के लिये जैन लोग पर्व तिथि ( 2, 5, 8, 11, 14, 15, 30 ) के दिन हरी सब्जी का सेवन नहीं करते ।
नंदिनी जैन गोलछा
वारासिवनी जि.बालाघाट
( मध्यप्रदेश )


