*मेरा परिवार – मेरी जिम्मेदारी कार्यशाला संपन्न*,
*भावना, भावुकता भाषा का शायद नाम है परिवार मुनिश्री जिनेश कुमार जी*
रिसड़ा
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमारजी के सान्निध्य मे अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ, महिला मंडल रिसड़ा व हिंदमोटर के संयुक्त तत्वावधान में रिसड़ा तेरापंथ सभा भवन में हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज में जीता है। समाज की महत्त्वपूर्ण ईकाई परिवार है परिवार समूह चेतना का प्रतीक है। परिवार बगीचा है जिसमें नाना प्रकार के रंग बिरंगे फल फूल होते है। परिवार का अर्थ है जहां सुख दुख , एक साथ भोगे जाते हैं। प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी होती है कि परिवार को सुचारू ढंग से चलाए जिससे घर की व्यवस्था अच्छी तरह से संपादित हो सके। और घर में शांति का माहोल बना रहे। मुनिश्री ने आगे कहा- परिवार को समृद्ध व सुखी बनाने के लिए सहिष्णुता समर्पण, श्रद्धा स्नेहशीलता व सेवा सहयोग का भाव रहे। घर की फर्नीचर से नहीं प्रेम, विनय सहनशीलता के गुलदस्तों से सजाएं। चार दीवार मिलने से नही वरना चार दिल मिलने से घर स्वर्ग बनता हैं। जिस घर में एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव होता है सब के हितों की सुरक्षा होती है और निष्पक्षता होती हैं वह घर ऊर्जा का स्रोत होता है। मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने मधुर गीत का संगान किया। मंगलाचरण रिसड़ा व हिंदमोटर कि बहिनों ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल रिसड़ा कि अध्यक्षा सुनीता सुराणा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। तेरापंथ महिला मंडल रिसड़ा कि उपाध्यक्ष विनोद देवी दुधोडिया ने विचार रखे, विनीता घोड़ावत ने आपने विचार रखे। तेरापंथ महिला मंडल हिंदमोटर कि कोषाध्यक्ष बबीता भरुट व वैशाली पिंचा ने अपने विचार रखे, महिला मंडल हिंदमोटर व रिसड़ा कि बहिनों ने सामुहिक गीत प्रस्तुत किया। कार्यशाला का संचालन मधु मणोत ने किया। आभार ज्ञापन रिसडा की मंत्री ललीता छाजेड़ ने किया। कार्यशाला में सभा के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।