मीनु धाडेंवा,जिला संवाददाता
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माथाभांगा,तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के विद्वान सु शिष्य मुनि श्री आनंद कुमार जी “कालू “एवं मुनि श्री विकास कुमार जी के पावन सानिध्य में एवं जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा माथाभांगा के तत्वधान में स्थानीय मारवाड़ी भवन में “होली चातुर्मास” का कार्यक्रम बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री के नमस्कार महामंत्र के मंत्रोचार के द्वारा हुआ। तत्पश्चात जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्रीमान राजकुमार जी बोथरा ने आए हुए अतिथियों का भावपूर्ण स्वागत किया। जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के कार्यकारिणी सदस्य और माथाभांगा सभा के प्रभारी श्रीमान प्रदीप जी दुगङ,कुच बीहार अनुव्रत समिति के अध्यक्ष श्रीमान सुंदर जी चोपड़ा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष श्री मति लीला जी बोथरा ने रंगो के त्योहार होली की शुभकामना सभी श्रावक समाज को दी ।यह त्यौहार सभी श्रावक समाज में एकता के रंग की और गहराता है, यह पावन पर्व आनंद भरा उत्सव है और इसे मानने से नए उत्साह का संचार होता है।
तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष श्रीमान बाबूलाल जी भादानी ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया, मुनि श्री विकास कुमार जी ने “आई आई होली री बहार खुशियां हर मन में” भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुति देकर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने सामूहिक “होली आई आई खुशियां भी भर भर झोली लाई रे” सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के बच्चों ने सामूहिक “अर्हम अर्हम की वंदना फले” का भावपूर्ण मंचन किया ।
होली के पावन अवसर पर सरोज सुराणा, दिनेश लुनिया, मुस्कान डागा, आरोही लुनिया, पारस बोथरा, कूचबीहार महिला मंडल की मंत्री शर्मिला सांड ने अपनी काव्यमयी रोचक कविता प्रस्तुत की।धूबङी सभाअध्यक्ष पन्नालाल जी बरडिया ने अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर अपने मंगलपाथेय में मुनि श्री आनंद कुमार जी “कालू” ने “भीखण जी स्वामी जी स्वामी भारी मर्यादा बांधी संघ में” गीतिका का संगान कर “मर्यादा पत्र” का वाचन किया। मुनिश्री आनंद कुमार जी ने होली के रंग जप अनुष्ठान के संग सिद्ध मित्रों की विशेष साधना के बारे में बताते हुए कहा कि उत्साह उल्लास और उमंग को खुलकर अभिव्यक्त करने वाली होली एक ऐसा उत्सव है जो एक ओर जीवन की एकरूपता और जड़ता को तोड़ता है वहीं दूसरी ओर मेल मिलाप के भाव के साथ पारस्परिकता का भी संदेश देता है ।आज की भागदौङ वाली जिंदगी में इस संदेश को और अच्छे से ग्रहण करना चाहिए क्योंकि ऐसा करके ही हम जीवन में आनंद का महत्व समझ सकते हैं। आध्यात्मिक होली के रंग उत्साह और उमंग के प्रतीक है जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत कुछ करना होता है लेकिन यदि उल्लास ना हो तो बहुत कुछ होते हुए भी जीवन रीता रह जाता है,वह रंगों का त्योहार होली ।हर वर्ष कीअपनी कुछ विशेषताएं होती है जो खान-पान से लेकर धार्मिक सांस्कृतिक अनुष्ठान से जुड़ी होती है होली की भी अपनी कुछ विशेषताएं हैं लेकिन सबसे प्रमुख है उल्लास और आनंद की अनुभूति। होली है उल्लास और उमंग का संचार करने के लिए। साथ में वह यह भी बताती है की खुशियां बांटने से भी जीवन में आनंद का अनुभव होता है।कार्यक्रम का सफल व कुशल संचालन माथाभांगा महिला मंडल की मंत्री श्रीमती मीनू धाङेवा एवं आभार ज्ञापन सभा के मंत्री श्री मान बजरंग जी कुंडलिया ने किया। इस अवसर पर जमालदा, फालाकाटा, चांगड़ाबांधा, धुबरी, कूचबीहार, दिनहटा एवं डाकघोरा आदि क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित हुए।