🌸 किसी विषय के विशेषज्ञ बनकर जीवन को बनाएं उपयोगी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-पिंपरी चिंचवड़ प्रवास का दूसरे दिन अनेक कार्यक्रम हुआ समायोजित
-आचार्यश्री ने चतुर्विध धर्मसंघ को प्रतिभाशाली बनने की दी पावन प्रेरणा
-साध्वी पानकुमारीजी (द्वितीय) की स्मृतिसभा का हुआ आयोजन
-शासनमाता कनकप्रभाजी की वार्षिक पुण्यतिथि का भी हुआ समायोजन
24.03.2024, रविवार, पिंपरी चिंचवड़, पुणे (महाराष्ट्र) :जन-जन को सन्मार्ग दिखाते हुए महाराष्ट्र की राजधानी के उपरान्त महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों और क्षेत्रों को पावन बनाने के उपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी शनिवार को पिंपरी चिंचवड़ में प्रथम बार चारदिवसीय प्रवास हेतु पधारे। अपने ग्यारहवें अनुशास्ता को अपने नगर में प्राप्त कर पिंपरी चिंचवड़ की जनता का उल्लास मानों अपने चरम पर है। पिंपरी चिंचवड़ प्रवास के दूसरे दिन एलप्रो इण्टरनेशनल स्कूल के प्रांगण में ही बने प्रवचन पण्डाल में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में रविवार को पिंपरी चिंचवड़वासियांे को कई आयोजन अनायास ही प्राप्त हो गए। आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के साथ साध्वी पानकुमारीजी (द्वितीय) की स्मृतिसभा, शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की वार्षिक पुण्यतिथि व चतुर्दशी का उपक्रम भी जुड़ गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम साध्वी पानकुमारीजी (द्वितीय) की स्मृतिसभा के उपक्रम में आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी व मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने उनकी आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की। तदुपरान्त शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने साध्वी पानकुमारीजी (द्वितीय) का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी आत्मा के ऊर्ध्वारोहण करने की आध्यात्मिक कामना करते हुए चतुर्विध धर्मसंघ के साथ चार लोगस्स का ध्यान किया। साध्वी गौरवयशाजी, साध्वी रूचिरप्रभाजी व मुनि हिमकुमारजी ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पिंपरी चिंचवड़ की जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि किसी के जीवन में विशेषताओं की अधिकता होती है तो किसी में बुराई की अधिकता भी देखने को मिल सकती है। आदमी को अपने जीवन में अच्छी विशेषताओं को बढ़ाने और कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में यदि यह लक्ष्य बन जाए कि हमें अपनी कमियों को दूर करना है और अच्छाइयों का विकास करना है तो आदमी अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ सकता है। विद्या संस्थानों के माध्यम से विद्याध्यन का कार्य होता है। आदमी को अपने जीवन में उपयोगी बनने का प्रयास करना चाहिए। कोई ऐसा एक, दो, तीन विशेषताओं में विशेषज्ञ बन जाए तो वह जीवन की एक उपलब्धि हो सकती है। जिस प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में कोई-कोई डॉक्टर विशेषज्ञ बन जाते हैं, कोई बिजनेस में विशेषज्ञ हो जाता है, इसी प्रकार गृहस्थों को और भी किसी विषय में विशेषज्ञ बनने का प्रयास करना चाहिए। इसी प्रकार साधु-साध्वियाां, समणियां तथा कितने-कितने श्रावक-श्राविकाएं भी अध्यात्म जगत में विशेषज्ञ बनने का प्रयास करना चाहिए। कोई तत्त्वज्ञान, जैन दर्शन आदि में विशेषज्ञ बनने का प्रयास करना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर किसी न किसी क्षेत्र में विशेषज्ञ बनकर अपनी उपयोगिता को सिद्ध करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने चतुर्दशी के संदर्भ में हाजरी का वाचन करते हुए उपस्थित चारित्रात्माओं को विविध प्रेरणाएं प्रदान कीं। आचार्यश्री की अनुज्ञा से दूसरे दशक के साधु-साध्वियों ने लेखपत्र का उच्चारण किया। तदुपरान्त उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। शासनमाता, महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की वार्षिक पुण्यतिथि का उपक्रम प्रारम्भ हुआ। इस संदर्भ में जैन विश्व भारती द्वारा प्रकाशित और साध्वी कल्पलताजी द्वारा लिखित ग्रन्थ ‘सादर स्मरण, शासनमाता’ को पूज्यप्रवर के समक्ष जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा लोकार्पित किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में कहा कि आज के दिन दो वर्ष पूर्व हमारे धर्मसंघ की आठवीं साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी का महाप्रस्थान हो गया था। उनका साध्वीप्रमुखा का सेवाकाल कीर्तिमान है। पचास वर्षों से अधिक समय तक वे साध्वीप्रमुखा के पद पर रहीं। उन्होंने तीन आचार्यों की अनुशासना में सेवा की। वे साहित्य के सृजन, कविता और संस्कृत में दक्ष थीं। वे विदुषी साध्वीप्रमुखा थीं। मैंने उनको शासनमाता के रूप में संबोधित किया। वर्तमान साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी, साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी व मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने भी अपनी भावांजलि अर्पित की। साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। पिंपरी चिंचवड़-ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में एलप्रो इण्टरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती अमृता बोहरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री अमित कांकरिया, टीपीएफ अध्यक्ष श्री दर्शन लोढ़ा, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती शालिनी सिंघी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। डॉक्टर कल्याण गंगवार ने अपनी पुस्तक पूज्यचरणों में लोकार्पित करते हुए अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद भी प्रदान किया।