🌸 ज्योतिचरण का स्पर्श पाकर माणक-सा चमक उठा माणगांव 🌸
-पहली बार तेरापंथ के आचार्य के पदार्पण से निहाल हो उठे माणगांववासी
-10 कि.मी. का विहार, शांतिदूत महाश्रमण पहुंचे अशोक दादा साबले लॉ कॉलेज
-आत्मानुशासन की प्रेरणा देता है अणुव्रत : अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण
-माणगांववासियों ने अपने आराध्य के अभिवंदना में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति
06.03.2024, बुधवार, माणगांव, रायगड (महाराष्ट्र) : जन-जन के कल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अणुव्रत यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी बुधवार को अपनी धवल सेना के साथ माणगांव में पधारे तो मानों पूरा माणगांव माणक-सा जगमगा उठा। कोंकण क्षेत्र के इस माणगांव का स्पर्श करने वाले युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी प्रथम आचार्य बने। माणगांववासी अपने आराध्य को अपने आंगन में प्रथम बार प्राप्त कर आनंद और उमंग में सराबोर नजर आ रहे थे। बुधवार को प्रातःकाल शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने खांब से मंगल प्रस्थान किया। आज आचार्यश्री माणगांव की ओर आगे बढ़ रहे थे। अपने आराध्य के प्रथम पदार्पण को लेकर माणगांव का तेरापंथ समाज ही नहीं, अपितु सकल जैन समाज अतिउत्साहित और उल्लसित नजर आ रहा था। श्रद्धालु और उत्साही लोग खांब से ही अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने हेतु उपस्थित हो गए। जैसे-जैसे आचार्यश्री माणगांव के निकट होते जा रहे थे, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता जा रहा था। माणगांव में मानों आज उत्साह, उमंग, उल्लास का वातावरण छाया हुआ था। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता ने जैसे ही माणगांव की सीमा मंे प्रवेश किया, ज्योतिचरण के स्पर्श को प्राप्त कर माणगांव की धरा माणक-सा जगमग हो उठी। राष्ट्रसंत की प्रतीक्षा में उपस्थित जनता बुलंद स्वर में जयघोष कर उठी। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री माणगांव में स्थित अशोक दादा साबले लॉ कॉलेज में पधारे। इस कॉलेज में पधारने के उपरान्त डी.जी. तटकरे महाविद्यालय के अध्यक्ष एडवोकेट श्री राजीव साबले, माणगांव नगर पंचायत के अध्यक्ष श्री ज्ञानदेव पवार व नगरसेवक श्री पद्माकर उबारे ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। कॉलेज परिसर में ही आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम मंे उपस्थित जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत गीत में आत्मानुशासन की बात बताई है। आचार्यश्री तुलसी ने इसी गीत में अणुव्रत की परिभाषा को बताते हुए कहा है कि स्वयं के द्वारा स्वयं पर शासन करना ही अणुव्रत है। आदमी स्वयं अपने विवेक से सदाचार के पथ पर चले और संयमित रहने का प्रयास करे। दूसरों पर अनुशासन करने से पहले आदमी को स्वयं पर अनुशासन करने का प्रयास करना चाहिए। दूसरों पर अनुशासन करने की बात आए न आए, प्रत्येक आदमी को आत्मानुशासन करने का प्रयास करना चाहिए। आत्मानुशासन के लिए आदमी को अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्पों को स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए। अणुव्रत के संकल्पों को स्वीकार करने के लिए किसी भी वर्ण, जाति व संप्रदाय की बाध्यता नहीं है। अणुव्रत के नियम मानव मात्र का कल्याण करने वाला है। चोरी नहीं करना, झूठ नहीं बोलना, हिंसा, हत्या से बचना व सच्चाई के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज जीवन में पहली बार माणगांव में आना हुआ है। यहां के लोगों में खूब धर्म, ध्यान की चेतना का विकास होता रहे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उपस्थित माणगांववासियों को उत्प्रेरित किया। आचार्यश्री के स्वागत में श्री अशोक बम्ब ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद के स्थानीय सदस्यों, जैन संघ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने अपने-अपने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।