🌸 सफलता के लिए सम्यक् पुरुषार्थ करे मानव : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-राजमार्ग 66 पर गतिमान भारत के राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमण
-चौदह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर खांब गांव पधारे शांतिदूत
-श्री रा.ग. पोटफोडे (मास्तर) विद्यालय ज्योतिचरण के स्पर्श से हुआ पावन
-सम्यक् पुरुषार्थी के साथ आत्मा को निर्मल बनाने को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित
-आचार्यश्री के दर्शनार्थ पहुंची महाराष्ट्र की महिला व बालविकास मंत्री श्रीमती अदिति तटकरे
04.03.2024, सोमवार, खांब, रायगड (महाराष्ट्र) :
दक्कन का पठारी भाग में बसा कोंकण क्षेत्र। प्राकृतिक सुषमा से सम्पन्न। ठोस चट्टानों से युक्त पहाड़ जो बढ़ती गर्मी से अपनी हरियाली खो रहे हैं, किन्तु बसंत ऋतु के आगमन से पहाड़ों पर स्थित पलाश के सूर्ख फूलों के साथ अन्य पहाड़ी वृक्षों पर दिखाई देने वाले फूल, उनकी तलहटी में स्थित खेतों में सब्जी आदि खेती के साथ-साथ आम के वृक्षों पर उग आई मंजरियां राहगीरों को अपनी ओर आकृष्ट कर रही है। पहाड़ के चट्टानों को काटकर बन रहा विशाल राजमार्ग व इसके किनारे स्थित अनेकों फैक्ट्रियां भारत की समृद्धि को दर्शा रही हैं।
ऐसे प्राकृतिक सुषमा से सम्पन्न तथा भौतिक विकास को प्रदर्शित करने वाले राजमार्ग से राष्ट्रसंत, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी मानवता का शंखनाद करते हुए जनकल्याण करने को गतिमान हैं। सोमवार को प्रातःकाल नागोठाणे में स्थित श्रीमती शांतिबाई ओटरमल जैन आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर से आचार्यश्री ने मंगल प्रस्थान किया। प्रारम्भ का कुछ किलोमीटर का विहार राजमार्ग से कुछ दूरी पर स्थित पहाड़ों के बीच बने मार्ग से हो रहा था। पहाड़ों के ओट से निकलते सूर्य की किरणें अद्भुत छटा बिखेर रही थीं। कुछ दूर की यात्रा के पुनः आचार्यश्री राष्ट्रीय राजमार्ग-66 पर पधार गए। सूर्य की किरणें धीरे-धीरे तीव्र हो गईं थीं, जो अब पहाड़ों को तप्त बनाने लगी थीं। लगभग चौदह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी खांब गांव में स्थित श्री रा.ग. पोटफोडे (मास्तर) विद्यालय व कै. द.ग. तटकरे कनिष्ठ महाविद्यालय में पधारे।
आचार्यश्री के मंगल पदार्पण के कुछ समय उपरान्त ही क्षेत्रीय विधायक व महाराष्ट्र सरकार में महिला एवं बालविकास मंत्री श्रीमती अदिति तटकरे आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुईं। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त कर पुनः गंतव्य को रवाना हो गईं। कुछ समय उपरान्त महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में भाग्य और पुरुषार्थ दो अलग-अलग बातें आती हैं। भाग्य को नियति के रूप में स्वभाविक रूप से स्वीकार किया जा सकता है तो पुरुषार्थ भी मानव जीवन में अच्छा प्रतिफल प्रदान करने वाला बनता है। पुरुषार्थ से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है, किन्तु सब कुछ पुरुषार्थ से प्राप्त हो ही जाए, यह भी नहीं कहा जा सकता। पुरुषार्थ से भाग्य का निर्माण भी हो सकता है, किन्तु नियति को नहीं बदला जा सकता है। भाग्य भी कुछ अंशों में पुरुषार्थ से ही निर्मित होता है।
इसलिए कहा गया है कि आदमी को भाग्य भरोसे नहीं बैठना चाहिए। जीवन में सम्यक् पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। बताया गया है कि जो उद्योगी व पुरुषार्थी होते हैं, लक्ष्मी उनका वरण करती हैं। परिश्रम रूपी जल से सफलता का पौधा लहलहाता है। सफलता की प्राप्ति के लिए आदमी को सम्यक् पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए।