🌸 मयानगरी के अंतिम छोर पनवेल में महातपस्वी महाश्रमण का मंगल पदार्पण 🌸
-6 कि.मी. का विहार कर भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पहुंचे सी.के.टी. कॉलेज
-आचार्यश्री का पनवेलवासियों ने अपने आराध्य का किया भावभीना अभिनंदन
-बृहत्तर मुम्बई के श्रावक-श्राविकाओं में धार्मिक चेतना का होता रहे विकास : महातपस्वी महाश्रमण
-सजल हुए मुम्बईवासियों के नयन, न जाने और पुनः शीघ्र आने की भी होती रही प्रार्थनाएं
-ध्वज हस्तांतरण का भी रहा उपक्रम, सूरत व्यवस्था समिति ने संभाला यात्रा का दायित्व
25.02.2024, रविवार, पनवेल, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) :
वर्ष 2023 का मई महीने का अंतिम सप्ताह। गुजरात के रास्ते जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, महातपस्वी महाश्रमण ने मयानगरी के नाम से पूरी दुनिया में विख्यात, भारत देश की आर्थिक राजधानी के रूप में सुविख्यात, पश्चिम देशों के लिए भारत में प्रवेश द्वार, अरब सागर के तट पर गगनचुम्बी इमारतों, फिल्मी दुनिया का अपना घर, भौतिकता की चकाचौंध ओतप्रोत मुम्बई में 69 वर्षों के बाद सवाया चतुर्मास करने के लिए अपनी धवल सेना के संग मंगल प्रवेश किया तो ऐसा लगा कि मुम्बईवासियों की सोई हुई किस्मत जाग गई। भौतिकता से ओतप्रोत मायानगरी अक्सर अरब सागर की लहरों से और वर्षा से प्रतिवर्ष ओतप्रोत होती थी, वर्ष 2023 में वह महातपस्वी महाश्रमण के श्रीमुख से बरसने वाली आध्यात्मिक बरसात से भी लबालब नजर आने लगी। मायानगरी में पांच महीने का चतुर्मास तदुपरान्त शेष काल में विहार भ्रमण करते हुए राष्ट्रसंत ने अपने पावन चरणरज से बृहत्तर मुम्बई क्षेत्र के अधिकांश उपनगरों को ज्योतित बना दिया। इसके साथ ही नवी मुम्बई में तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा के महाकुम्भ के रूप में मनाए जाने वाले मर्यादा महोत्सव का अवसर प्रदान कर मुम्बईवासी बरसती गुरुकृपा में निहाल से निहाल हो उठे।
250 दिनों से भी अधिक प्रवास, विहार से बृहत्तर मुम्बई का कोना-कोना लाभान्वित हुआ। रविवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ कामोठे से मंगल प्रस्थान किया। आज आचार्यश्री का पनवेल में मुम्बई महानगर की ओर से मंगल भावना समारोह भी आयोजित था। पनवेल महातपस्वी के इस बार के मुम्बई विहार-प्रवास का अंतिम पड़ाव निर्धारित था। पनवेलवासी अपने आराध्य के अभिनंदन में जुटे हुए तो पूरा मुम्बई महानगर अपने आराध्य को विदाई देने के लिए पहुंच रहा था। अपने आराध्य की कृपा से सराबोर जनता के आज नयन सजल थे। सेवा, उपासना, मार्ग व्यवस्था, प्रवास व्यवस्था आदि-आदि कार्यों से जुटे रहने वाले श्रद्धालु आज आकुल-व्याकुल से दिखाई दे रहे थे। आचार्यश्री लगभग छह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पनवेल में स्थित सी.के.टी. कॉलेज आर्ट, कॉमर्स एण्ड साइन्स में पधारे।
कॉलेज परिसर में बने बना विशाल प्रवचन पण्डाल आज श्रद्धालुओं की उपस्थिति से बौना नजर आ रहा था। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने पावन उद्बोधन में कहा कि आत्मा अध्यात्म जगत का एक महत्त्वपूर्ण शब्द है। परमात्मा, महात्मा, सदात्मा और दुरात्मा। परमात्मा तो जो सिद्ध भगवान मोक्ष में विराजमान हैं, सिद्ध हो चुके हैं, वे परमात्माएं हैं। अर्हताओं को भी एक अपेक्षा से परमात्मा कहें तो कह सकते हैं। जो साधु पुरुष होते हैं, चारित्रवान होते हैं, साधु हैं, वे महात्मा हैं। गृहस्थ होते हुए भी भले, अच्छे, ईमानदार, अहिंसा का प्रयास रखने वाले, जीवन में यथासंभव संयम का अभ्यास रखने वाले होते हैं, वे सदात्मा होते हैं। चौथा दुरात्मा वे हैं जो पापों में रस लेते हैं। हिंसा, हत्या, चोरी-डकैती, लूट, चोरी में रत रहने वाले प्राणी दुरात्मा हो जाते हैं। परमात्मा पूजनीय, वंदनीय, स्तवनीय हैं। संत भी गृहस्थ जीवन को छोड़कर आत्मकल्याण में लगे हुए हैं, वे साधु-महात्मा पूजनीय, वंदनीय, नमस्करणीय हैं। श्रावक और ऐसे सज्जन लोग हैं, मन में अच्छी भावना रखने वाले, नैतिकता और नशामुक्त जीवन जीने वाले सदात्मा हैं। अणुव्रत भी जीवन में अच्छे से आ जाए तो वे भी सदात्मा हो सकते हैं।
आचार्यश्री प्रसंगवश अणुव्रत गीत का आंशिक संगान करते हुए कहा कि समाज का कोई भी वर्ग हो, किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाला हो, वो सदात्मा बनने का प्रयास करें। आदमी परमात्मा और महात्मा न भी बन पाए, किन्तु आदमी को सदात्मा बनने का प्रयास करना चाहिए। दुरात्मा बनने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
हमारे परम पूजनीय आचार्यश्री भिक्षु स्वामी जिनके जैन श्वेताम्बर तेरापंथ शासन में साधना कर रहे हैं। इस परंपरा के नवमें आचार्यश्री तुलसी व दसवें आचार्यश्री महाप्रज्ञजी हुए, जो मुम्बई भी पधारे थे। दिगम्बर आम्नाय के आचार्यश्री विद्यासागरजी देहावसान हो गया। वे भी दिगम्बर आम्नाय के प्रख्यात संत थे। उनकी आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना। उनकी आत्मा परमात्म पद पाने की दिशा में गति करे। उनके उत्तरवर्ती धर्म के प्रसार में विकास करें।
हमारा बृहत्तर मुम्बई में अच्छा चतुर्मास, शेषकाल का अच्छा भ्रमण और प्रवास भी हो गया। अब चलते-चलते पनवेल आ गए हैं। अब आगेे कोंकण क्षेत्र, पुणे, जालना, खान्देश आदि-आदि क्षेत्रों से होते हुए सूरत में अगला चतुर्मास है। बृहत्तर मुम्बई में चतुर्मास, मर्यादा महोत्सव और भ्रमण हो गया। अब मुम्बई से विदाई लेना है। यहां हमारा इतना बड़ा श्रावक समाज है। इतना बड़ा महानगर है। यहां का प्रवास अब सम्पन्नता की ओर है। व्यवस्था समिति के सदस्य, कितने-कितने संस्था आदि के लोग जुड़े हुए रहे। बृहत्तर मुम्बई के श्रावक-श्राविका समाज में खूब अच्छी धार्मिकता बनी रहे, खूब धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा करते रहें, मंगलकामना।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान किया। पनवेल महानगर के विपक्ष नेता श्री प्रीतम म्हात्रे ने अपनी भावनाभिव्यक्ति दी।
पनवेल के स्वागताध्यक्ष श्री राजेन्द्र रांका, श्री जतनलाल मेहता, सी.के.टी. कॉलेज ऑफ आर्ट, कॉमर्स एण्ड साइन्स के ऑनर ठाकुर परिवार की ओर से श्रीमती अर्चना ठाकुर ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी और पनवेल की ओर से आचार्यश्री को नागरिक अभिनंदन पत्र को समर्पित किया गया। पनवेल ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। पनवेल के तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री बालचंद चोरड़िया की ओर से संयोजक श्री चतरलाल मेहता, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री विमल बाफना व तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती भारती बाफना ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। श्रीमती सुनिता बड़ाला ने ग्यारह की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ किशोर मण्डल ने अपनी प्रस्तुति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने कन्याओं को भी प्रेरणा प्रदान की।
मंगल भावना समारोह में मुम्बई प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मदनलाल तातेड़, आचार्यश्री के भाई श्री सूरजकरण दूगड़ व श्री श्रीचंद दूगड़ ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज-पनवेल व सूरत समाज ने अपनी-अपनी गीतों का संगान किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में ध्वज हस्तांतरण के क्रम में मुम्बई प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों ने सूरत चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों को ध्वज हस्तांतरित किया। आचार्यश्री ने दोनों ही क्षेत्रों के लोगों को पावन प्रेरणा व मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।