🌸 शिव समर्थक स्मारक में पधारे तेरापंथ गणराज आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-नवी मुम्बई के बाहरी भाग में स्थित जसाई में हुआ पावन पदार्पण
-मानव जीवन रूपी अमूल्य पूंजी का उठाएं लाभ : महामानव आचार्यश्री महाश्रमण
08.02.2024, गुरुवार, जसाई, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) :
नवी मुम्बई के वाशी में आयोजित होने वाले तेरापंथ धर्मसंघ के 160वें मर्यादा महोत्सव से पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी नवी मुम्बई के उपनगरों को भी अपनी चरणरज से पावन बना रहे हैं। गुरुवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उरण के उरण एजुकेशन सोसायटी से मंगल प्रस्थान किया। पनवेल-नवी मुम्बई राजमार्ग पर लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ जसाई में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज व उनके गुरु को समर्पित शिव समर्थ स्मारक में पधारे। आचार्यश्री का आज का प्रवास यहीं हुआ।
इसी म्यूजियम के हॉल में उपस्थित जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन को दुर्लभ बताया गया है और इस दुर्लभ जीवन को प्राप्त करने के बाद धर्म के संदर्भ में लाभ प्राप्त कर लेता है, वह जीव धन्य बन जाता है। जो मनुष्य इस मानव जीवन को प्रमाद और व्यसनों में गंवा देता है, वह एक अभागा आदमी होता है। वह आदमी अधम होता है, जो धर्म को छोड़कर भोग, व्यसन, चोरी, हत्या, पाप आदि में लिप्त होकर अधर्म की ओर चला जाता है। इस दुर्लभ मानव जीवन की तुलना कल्पवृक्ष, चिन्तामणि रत्न और गजराज से की गई है। जिस प्रकार एक मूढ़ मनुष्य इन पदार्थों को प्राप्त करने के बाद भी उनका त्याग कर अनुपयोगी वस्तुओं को प्राप्त करने में लग जाता है।
तीन प्रकार के मानव इस संसार में बताए गए हैं। जो मानव अधर्म, पाप, चोरी, हिंसा, हत्या, झूठ, छल-कपट, आदि में लग जाता है, वह अपनी मानव जीवन रूपी अमूल्य सम्पत्ति का नाश कर अधोगति को प्राप्त कर लेता है। दूसरा मानव जो पाप तो नहीं करता, किन्तु किसी प्रकार का धर्म भी नहीं करता, वह इस दुर्लभ मानव जीवन रूपी पूंजी को संचय मात्र करता है, न गंवाता है और उससे कमाई कर पाता है, वह पुनः मानव जीवन को प्राप्त कर सकता है। तीसरे प्रकार का आदमी जो मानव जीवन रूपी पूंजी का लाभ उठाता है और धर्म, ध्यान, साधना, सेवा, परोपकार आदि जैसे कार्यों में लगाकर मानव जीवन रूपी पूंजी को इतना बढ़ाता है कि वह ऊर्ध्वगति को प्राप्त कर लेता है। वे मनुष्य धन्य होते हैं जो इस मानव जीवन का पूर्ण लाभ उठाकर मोक्षश्री का वरण कर लेते हैं। यह मनुष्य जीवन की महिमा है कि आदमी यहां से उन्नत साधना कर सीधे मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।
इसलिए आदमी को इस दुर्लभ मनुष्य जीवन का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। जितना संभव हो सके, जीवन में धर्म की चेतना पुष्ट होती रहे। तेरापंथी श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन एक सामायिक करने का प्रयास करें। सुबह-सुबह एक सामायिक हो जाए तो कितनी अच्छी बात हो सकती है। शनिवार की सायं सात से आठ बजे की सामायिक तो बोनस ही हो जाएगी। इस प्रकार आदमी को अपनी चेतना को उन्नत बनाने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त कहा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े हुए स्थान में आना हुआ है। उनके गुरु समर्थ गुरु रामदासजी को समर्पित है। सभी के जीवन में शक्ति का अच्छा विकास होता रहे।