🌸 ज्ञानेन्द्रियों का सदुपयोग जीवन के लिए कल्याणकारी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-कोपरखैरना में प्रवास का दूसरा दिवस, नवी मुम्बई स्तरीय नागरिक अभिनंदन का हुआ समायोजन
-ऐरोली के विधायक श्री गणेश नाइक, पूर्व महापौर आदि गणमान्य भी रहे उपस्थित
-कोपरखैरनावासियों ने भी अपने आराध्य के अभिनंदन में दी भावनाओं को प्रस्तुति
01.02.2024, गुरुवार, कोपरखैरना, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : जनमानस के कल्याण के लिए निरंतर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का द्विदिवसीय प्रवास नवी मुम्बई के कोपरखैरना में हो रहा है। प्रवास के प्रथम दिन ही आचार्यश्री ने नवी मुम्बई की धरा पर पहली दीक्षा तथा वर्ष 2024 में भी पहली दीक्षा प्रदान की। ऐसा सौभाग्य प्राप्त कर कोपरखैरनावासी उत्फुल्ल नजर आ रहे थे। ऐसे महामानव के प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान नवी मुम्बई स्तरीय नागरिक अभिनंदन समारोह भी समायोजित किया गया। नागरिक अभिनन्दन समारोह से पूर्व उपस्थित जनता को अध्यात्म जगत के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि दुनिया में अनेक प्राणी ऐसे होते हैं जो एकेन्द्रिय होते हैं। उनमें मात्र स्पर्शनेन्द्रिय होती है। कुछ प्राणी स्पर्श और रस दो इन्द्रियों से युक्त होते हैं। कुछ प्राणी तीन इन्द्रियों अर्थात स्पर्श, रस के साथ घ्राण की क्षमता से युक्त होते हैं। चतुरेन्द्रिय प्राणी में स्पर्श, रस, घ्राण के साथ चक्षु (आंख) भी होती है। अनेकानेक पंचेन्द्रिय प्राणी भी होते हैं। जिनमें स्पर्श, रस, घ्राण, चक्षु और कर्ण (कान) शक्ति होती है। मनुष्य एक पंचेन्द्रिय प्राणी है। इन पांचों इन्द्रियों को ज्ञानेन्द्रिय भी कहा जाता है। पांचों इन्द्रियां ज्ञान प्राप्ति का साधन बनती हैं। मनुष्य अपने जीवन में इन इन्द्रिय शक्तियों का सुदपयोग करे और इनके दुरुपयोग से बचने का प्रयास करे। जीवन में ज्ञान के विकास के लिए मुख्य रूप से कर्णेन्द्रिय और चक्षुरेन्द्रिय शक्ति सहायक सिद्ध होती है। आदमी को अपनी इन्द्रियों के माध्मय से ज्ञान प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। वर्ष 2024 के शुभारम्भ के अवसर पर तेरापंथी जनों को चौबीसी रूपी ग्रन्थ को पढ़ने व उसे कंठस्थ करने की बात बताई गई है। जिसको जितना संभव हो सके, चौबीसी को आंखों से पढ़ेगा अथवा उसे सुनेगा तो ज्ञान का और अच्छा विकास हो सकता है। चौबीस न भी याद हों तो एक, दो, तीन, चार, पांच आदि-आदि जितना कंठस्थ हो सके, मुखस्थ हो सके, करने का प्रयास करना चाहिए। यह आध्यात्मिक ज्ञान के विकास का अच्छा माध्यम बन सकती है। इसी प्रकार मनुष्य अपने जीवन में साधु, संत, सज्जनों आदि की सत्संगति करें व उनकी वाणियों का श्रवण करने का प्रयास करे। उनके श्रवण कितने-कितने ज्ञान का अर्जन हो सकता है। अच्छा सुनना, अच्छा बोलना, अच्छा देखना और सोचना भी अच्छा हो जाए तो जीवन भी अच्छा बन सकता है। इन्द्रियों का सदुपयोग हो तो जीवन कल्याणकारी हो सकता है। तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री महावीर लोढ़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री के नागरिक अभिनंदन समारोह में सर्वप्रथम स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। ऐरोली के विधायक व इस विद्यालय के ऑनर श्री गणेश नाईक ने आचार्यश्री के दर्शन के उपरान्त अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपनी धरती पर हार्दिक स्वागत करता हूं। यह अवसर प्राप्त कर मैं स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। इस दौरान आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पूर्व सांसद श्री संजीव नाईक, भाजपा नवी मुम्बई के जिलाध्यक्ष श्री संदीप नाईक, नवी मुम्बई के पूर्व महापौर श्री सागर नाईक आदि भी उपस्थित थे। स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्री भगवती पगारिया ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। तदुपरान्त सभी महानुभावों द्वारा आचार्यश्री को अभिनंदन पत्र समर्पित किया। महाश्रमण भजन मण्डली व तेरापंथ किशोर मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। मुम्बई प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मदनलाल तातेड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने पुनः अपनी मंगलवाणी से जनता को अभिप्रेरणा प्रदान की।