🌸 महातपस्वी महाश्रमण के मंगल चरणरज से पावन हुआ नेरुल 🌸
-स्वागत में उमड़े नेरुलवासी, भव्य स्वागत जुलूस संग युगप्रधान आचार्यश्री पहुंचे एनआरबी कॉलेज
-धनवान, विद्वान व बलवान के साथ चरित्रवान बनने का हो प्रयास : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-महापौर सहित नेरुलवासियों ने आचार्यश्री के स्वागत में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति
02.02.2024, शुक्रवार, नेरुल, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : नवी मुम्बई की धरा को अपनी चरणरज से पावन बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी शुक्रवार को अपनी धवल सेना के साथ नेरुल में पधारे। अपने आराध्य को अपने आंगन में पाकर नेरुल की जनता निहाल हो उठी। वर्षों के संजोए सपने फलीभूत होता देख जन-जन के नयन सजल बन रहे थे। श्रद्धा, आस्था, विश्वास की तरंगे हिलोरें ले रही थीं। जब इन्हें उनके आराध्य के करकमलों से होनी वाली आशीषवृष्टि का साथ मिला तो आस्था रूपी हिलोरें अपने चरम को छूने लगीं। अपने आराध्य के अभिनन्दन में नेरुल का जन-जन प्रणत नजर आ रहा था। विभिन्न झाकियों के रूप में सजे बच्चे हों या कन्याएं अथवा महिलाएं, युवक परिषद के सदस्य हों अथवा सभा संस्थाओं से जुड़े लोग सभी ऐसे दुर्लभ अवसर को प्राप्त कर धन्यता की अनुभूति कर रहे थे। उनके मुख से उच्चरित होने वाले जयघोष से पूरा नेरुल महाश्रमणमय बन रहा था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री नेरुल में स्थित एन.आर.बी. कॉलेज परिसर में पधारे। इसके पूर्व प्रातःकाल की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी कोपरखैरना में द्विदिवसीय प्रभावक सुसम्पन्न कर मंगल प्रस्थान किया। कोपरखैरना की धरती पर वर्ष 2024 का प्रथम दीक्षा प्रदान करने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी के प्रति श्रद्धालु प्रणत बन रहे थे। दूसरी ओर अपने आराध्य के शुभागमन को लेकर उत्साहित नेरुलवासी पलक-पांवड़े बिछाए इंतजार में खड़े थे। आचार्यश्री जन-जन को आशीष बांटते हुए लगभग ग्यारह बजे नेरुल की सीमा में पधारे व भव्य स्वागत जुलूस के साथ निर्धारित प्रवास स्थल में प्रवृष्ट हुए। प्रवास स्थल से कुछ सौ मीटर दूर स्थित तेरना कॉलेज ग्राउण्ड में बने श्री समवसरण के विशाल पण्डाल में उपस्थित जनता को महामानव, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व होता है। यथार्थपरक ज्ञान हो तो बहुत अच्छी बात होती है। स्वाध्याय, अध्ययन अच्छा होता है तो आदमी का ज्ञानात्मक विकास होता है। ज्ञान की देवी सरस्वती हैं। तीन प्रकार की शक्तियों की कामना सभी मानव को होती है। आदमी धनवान होना चाहता है, धन की देवी लक्ष्मी हैं, आदमी ज्ञान चाहता है, ज्ञान की देवी सरस्वती हैं और आदमी बलवान होना चाहता है तो शक्ति की देवी दुर्गा हैं। वह इन तीनों को प्राप्त करने का प्रयास भी करता है, किन्तु एक ही जन्म में यह तीनों शक्तियां अपार रूप में किसी एक को ही प्राप्त हो जाए, ऐसा कोई विरल ही होगा। कोई धनवान है तो विद्यावान नहीं है, कोई विद्यावान है तो धनवान नहीं है, कोई धनवान है तो बलवान नहीं है। इस प्रकार किसी न किसी एक या दो कमी रहती है। इन तीन के साथ-साथ आदमी को चरित्रवान भी बनने का प्रयास करना चाहिए। आदमी धनवान हो या न हो, आदमी विद्यावान हो या न हो तथा आदमी बलवान हो या न हो, किन्तु आदमी को चरित्रवान अवश्य बनने का प्रयास करना चाहिए। आदमी का चरित्र अच्छा होता है तो जीवन अच्छा बन सकता है। मानव जीवन में चरित्र की प्रधानता है। चोरी, झूठ, कपट, हिंसा, बेईमानी व असंयम से आदमी बचा रहे और जीवन में सच्चाई, ईमानदारी, अहिंसा, संयम हो तो उसका जीवन अच्छा हो सकता है। इसके अलावा आदिमी के पास यदि तीनों शक्तियां हों तो आदमी को उनका सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने नेरुलवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि यहां के लोगों में भी सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की चेतना का विकास होता रहे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी नेरुलवासियों को उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्री आनंद सोनी, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री कांति कोठारी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। नवी मुम्बई के महापौर श्री जयवंत सुतार ने कहा कि महाराष्ट्र संतों की भूमि है। मैं नवी मुम्बई की समस्त जनता की ओर से आपका हार्दिक स्वागत करता हूं। मैं इस अविस्मरणीय अवसर को प्राप्त कर धन्यता की अनुभूति कर रहा हूं। एन.आर.बी कॉलेज के संस्थापक श्री नामदेव भगत ने कहा कि आपके आगमन से हमारा कॉलेज परिसर धन्य हो गया। श्री रविन्द्र ठाकरे ने भी आचार्यश्री ने स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी।