🌸 तेरापंथ के वर्तमान अधिशास्ता ने प्रदान की वर्ष 2024 की प्रथम दीक्षा 🌸
-कोपरखैरना में मंगल प्रवेश के साथ ही शांतिदूत ने दीक्षार्थी मुकेश को प्रदान की मुनि दीक्षा
-मोक्ष रूपी एकांत सुख की प्राप्ति का माध्यम है वीतराग की साधना : सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण
-कोपरखैरनावासियों ने अपने आराध्य का किया भावभीना अभिनंदन
-आर.एफ. नाईक विद्यालय एण्ड जूनियर कॉलेज में हो रहा है पावन प्रवास
31.01.2024, बुधवार, कोपरखैरना, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : मायानगरी मुम्बई के बाहरी भाग में विकासशील नवी मुम्बई की धरा को पावन बनाने को निरंतर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ बुधवार को नवी मुम्बई क्षेत्र के कोपरखैरना की धरती पर पधारे तो महामानव के चरणरज को प्राप्त कर यह धरा भी धन्य हो गई। यहां की जनता अपने आराध्य के द्विदिवसीय प्रवास सहित जैन भगवती दीक्षा समारोह जैसे महनीय आयोजन को प्राप्त कर आनंद से आप्लावित नजर आ रही थी। जन-जन अपने आराध्य की अभिवंदना में करबद्ध नजर आ रहा था। कोपरखैरना में प्रवेश के साथ ही आचार्यश्री महाश्रमणजी ने वर्ष 2024 में प्रथम जैन भगवती दीक्षा प्रदान कर दीक्षार्थी मुकेश चिप्पड़ (उधना-सूरत) को वीतरागता के पथ पर अग्रसर कर दिया। आचार्यश्री की ऐसी कृपा उपस्थित जनता को भावविभोर बना रही थी। बुधवार को प्रातः की मंगल बेला में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ऐरोली से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री अपने दो दिवसीय प्रवास के लिए कोपरखैरना की ओर गतिमान थे। इस प्रवास के प्रथम दिन ही आचार्यश्री द्वारा पूर्व में घोषित जैन भगवती दीक्षा समारोह में भी समायोजित था। यह दीक्षा समारोह वर्ष 2024 में आचार्यश्री द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रथम दीक्षा समारोह भी था। ऐसी कृपा को प्राप्त कर कोपरखैरना की जनता अतिशय आह्लाद का अनुभव कर रही थी। उत्साही श्रद्धालु अपने आराध्य की अभिवंदना में पहले ही पहुंच गए थे, जो अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करते हुए आ रहे थे। वहीं अपने क्षेत्र की सीमा पर अपने सुगुरु के स्वागत को उत्सुक, उत्साहित, उल्लसित कोपरखैरनावासी पलक-पांवड़े बिछाए थे। आचार्यश्री जैसे ही अपनी धवल सेना के साथ कोपरखैरना की सीमा में प्रवृष्ट हुए, मानों वहीं से भव्य स्वागत जुलूस का भी शुभारम्भ हो गया। जन-जन ऐसे महामानव के दर्शन को प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बना रहा था। आचार्यश्री अपने दोनों करकमलों से आशीष प्रदान करते हुए ठाणे के पूर्व सांसद श्री संजीव नाईक परिवार से जुड़े स्थान आर.एफ. विद्यालय एण्ड जूनियर कॉलेज में पधारे। जहां नाईक परिवार के अनेक सदस्यों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का दोदिवसीय प्रवास यहीं निर्धारित है। विद्यालय परिसर में ही बने विशाल संयम महाश्रमण समवसरण के विशाल प्रांगण में उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ के मध्य मंच पर तेरापंथ के सरताज आचार्यश्री महाश्रमणजी देदीप्यमान हो रहे थे। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से दीक्षा समारोह का शुभारम्भ हुआ। मुमुक्षु सुरेन्द्र ने दीक्षार्थी मुकेश चिप्पड़ का परिचय प्रस्तुत किया। उपासक श्री जयंतीलाल सुराणा ने आज्ञा पत्र का वाचन किया। दीक्षार्थी के पिता श्री प्रकाश चिप्पड़ ने आज्ञापत्र आचार्यश्री के करकमलों में समर्पित किया। दीक्षार्थी मुकेश ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने दीक्षा के महत्त्व को व्याख्यायित किया। तदुपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने वर्ष 2024 की प्रथम दीक्षा प्रदान करने से पूर्व पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि सभी प्राणियों के भीतर सुख प्राप्ति की कामना होती है। मनुष्य के भीतर सुख प्राप्ति की विशेष कामना होती है। आदमी सुख की प्राप्ति की बहुत प्रयास भी करता है। भौतिक पदार्थ व बाह्य परिस्थिति से प्राप्त सुख अस्थाई और अल्पकालिक होते हैं। एकांत सुख की प्राप्ति कर्मों की निर्जरा से भीतर में प्राप्त होती है, जो मोक्ष की अवस्था में होती है, किन्तु मोक्ष प्राप्ति के लिए सर्वज्ञान का प्रकाशन होना आवश्यक होता है। सर्वज्ञान के प्रकाशन के लिए राग-द्वेष का सम्पूर्ण विनाश होना आवश्यक होता है तथा राग-द्वेष से मुक्त वीतरागता के लिए अज्ञान का विवर्जन करना होता है। आज दीक्षा समारोह भी है। एकांत सुख की प्राप्ति दिशा मंे आगे बढ़ने के लिए ही मुनि दीक्षा होती है। मुनित्व की प्राप्ति भी बड़े सौभाग्य की बात होती है। आचार्यश्री ने मंगल उद्बोधन के दौरान दीक्षा प्रदान करने को तत्पर हुए और दीक्षार्थी के परिजनों से मौखिक आज्ञा लेने के लिए साथ ही दीक्षार्थी के भावनाओं का अंतिम परीक्षण किया। तदुपरान्त महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने पूर्वाचार्यों का स्मरण कर आर्षवाणी का उच्चारण करते हुए दीक्षार्थी मुकेश चिप्पड़ को मुनि दीक्षा प्रदान कर दी। नवदीक्षित मुनिजी ने आचार्यश्री को सविधि वंदन किया। आचार्यश्री ने आर्षवाणी का उच्चारण करते हुए नवदीक्षित मुनिजी को अतित की आलोचना कराई। तीन करण तीन योग से सर्व सावद्य योगों का त्याग कराया। आचार्यश्री ने आर्षवाणी का उच्चारण करते हुए नवदीक्षित मुनिजी के केशलोच तथा रजोहरण प्रदान उपक्रम को भी सम्पन्न किया। तत्पश्चात आचार्यश्री ने नवदीक्षित मुनि को नया नाम प्रदान किया- मुनि मुकेशकुमार। आचार्यश्री द्वारा नवदीक्षित मुनि के नए नाम की घोषणा होते हुए पूरा पंडाल जयघोष से गूंज उठा। उपस्थित जनता ने नवदीक्षित मुनिजी को वंदन किया। आचार्यश्री ने नवदीक्षित मुनिजी को पुनः विविध प्रेरणाएं प्रदान कीं तथा उन्हें मुनि ऋषभकुमारजी की देखरेख में मुनि वर्धमानकुमारजी के पास शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए सौंपा। कोपरखैरनावासी ऐसा शुभ अवसर प्राप्त कर हर्षविभोर थे। स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्री भगवती पगारिया, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री जसराज छाजेड़, व ठाणे के पूर्व सांसद श्री संजीव नाईक ने भी अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने नाईक परिवार को मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। तेरापंथ युवक परिषद व तेरापंथ महिला मण्डल ने संयुक्त रूप से स्वागत गीत का संगान किया।