🌸 महातपस्वी महाश्रमण की चरणरज से पावन हुई ऐरोली की धरा 🌸
-ऐरोलीवासियों ने अपने आराध्य का किया भावभीना स्वागत-अभिनंदन
-जेनीथ इण्टरनेशनल एण्ड पेट्टी किड्स में पधारे शांतिदूत
-पांचों इन्द्रियां हैं ज्ञान की संवाहक : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-तुर्की-यूएसए की महिला बिरजां अनवर को गुरु सन्निधि में मिला ‘अणुव्रत अहिंसा अवार्ड’
-ऐरोलीवासियों ने दी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति, प्राप्त किया आशीर्वाद
30.01.2024, मंगलवार, ऐरोली, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : जन-जन के मन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जलाने वाले, लोगों को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंगलवार को नवी मुम्बई के प्रवेश क्षेत्र ऐरोली में पधारे तो ऐरोलीवासी हर्षोल्लास से अभिभूत हो उठे। अपने आराध्य के अभिनंदन में मानों पूरी ऐरोली की जनता उमड़ आई थी। अनेक झाकियों, भव्य स्वागत जुलूस व बुलंद जयघोष जनता के हर्षोल्लास को प्रदर्शित करने के साधन बन रहे थे। जन-जन पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी एकदिवसीय ऐरोली प्रवास के लिए सरस्वती विद्यावर्धिनी शिक्षण संस्था के अंतर्गत संचालित जेनीथ इण्टरनेशनल एण्ड पेट्टी किड्स के परिसर में पधारे। इसके पूर्व शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मुम्ब्रा से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री का विहार ऐरोली की ओर हो रहा था। नवी मुम्बई का यह क्षेत्र आचार्यश्री के शुभागमन से पावनता को प्राप्त हो रहा था। मार्ग में अनेक स्थानों पर एकत्रित लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए जैस-जैसे ऐरोली की ओर बढ़ते जा रहे थे, ऐरोलीवासी श्रद्धालुओं का उत्साह भी बढ़ता जा रहा था। आचार्यश्री ने जैसे ही ऐरोली की सीमा में प्रवेश किया, ऐरोलीवासी श्रद्धालुओं की आस्था अपने चरम पर पहुंच गई। बुलंद जयघोष के साथ स्वागत जुलूस के रूप में ऐरोली की जनता अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने लगी। जन-जन को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री जेनीथ इण्टरनेशनल एण्ड पेट्टी किड्स में पधारे। इस विद्यालय परिसर के मैदान में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य पांच इन्द्रियों वाला प्राणी होता है। इन पांचों इन्द्रियों को ज्ञानेन्द्रियां भी कहा जाता है। पांचों इन्द्रियां ज्ञान प्राप्ति का माध्यम बनती हैं, किन्तु इनमें भी विशेष रूप से श्रोत्र और चक्षुरेन्द्रिय ज्ञान प्राप्ति के सशक्त माध्यम हैं। मनुष्य अपने जीवन में कितनी-कितनी बातों का श्रवण कर ज्ञान का अर्जन करता है। गुरु की वाणी, अपने अध्यापक की वाणी, माता-पिता की वाणी, किसी धर्माचार्य की वाणी आदि-आदि का श्रवण कर कितना-कितना ज्ञान अर्जन किया जाता है। इसी प्रकार आंखों के माध्यम से कितने-कितने पुस्तकों और धर्मशास्त्रों का पठन कर ज्ञान का विकास किया जाता है। मनुष्य सुनकर कल्याण को भी जानता है और बुराइयों को भी जानता है, किन्तु जीवन के लिए जो कल्याणकारी ज्ञान को उसको ही अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने ऐरोलीवासियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति को अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए अभिप्रेरित किया। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को उद्बोधित किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री छोगालाल सोनी, स्थानीय स्वगताध्यक्ष श्री धर्मेश-किशनलाल तातेड़ की ओर से परिवार की बालिका तथा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र चण्डालिया ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने भी गीत का संगान किया। तेरापंथ किशोर मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल द्वारा प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा ‘अणुव्रत अहिंसा अवार्ड फॉर इण्टरनेशनल पीस- वर्ष 2023 का पुरस्कार तुर्की-यूएसए की रहने वाली सुश्री बिरजां अनवर को प्रदान किया। इस संदर्भ में अणुविभा के उपाध्यक्ष श्री मनोज सिंघवी ने जानकारी दी तो इण्टरनेशनल अणुव्रत कॉन्फ्रेंस के सहसंयोजक श्री दीपक डागलिया ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। अणुविभा के ट्रस्टी श्री सुमतिचंद गोठी ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। पुरस्कार प्राप्त करने वाली सुश्री बिरजां अनवर ने अंग्रेजी भाषा में आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया तो आचार्यश्री ने भी अंग्रेजी भाषा में उनके प्रति मंगलकामना की। वे आचार्यश्री का आशीर्वाद प्राप्त कर आह्लादित नजर आ रही थीं।