🌸 ज्योतिचरण का स्पर्श पा पावन हुई मुम्ब्रा की धरा 🌸
-मुम्ब्रावासियों ने अपने आराध्य का किया भावभीना अभिनंदन
-मुम्ब्रा के बाबाजी सखाराम पाटिल विद्या मन्दिर में हुआ मंगल प्रवास
-धरती के तीन रत्न – जल, अन्न और सुभाषित : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-मुम्ब्रावासियों ने अपने आराध्य के अभिवंदना दी अपनी भावांजलि
29.01.2024, सोमवार, मुम्ब्रा, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) : डोम्बिवली में त्रिदिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में प्रस्थान किया। डोम्बिवलीवासियों ने अपने आराध्य के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित की। मुम्बई की बाहरी भाग की यात्रा में मार्ग के आसपास पहाड़ियां भी नजर आ रही हैं। आचार्यश्री जन-जन को अपने आशीष आच्छादित करते हुए मुम्ब्रा की ओर गतिमान थे। आज मुम्ब्रावासियों की प्रसन्नता का कोई पारावार नहीं था, क्योंकि उनके आराध्य स्वयं उनके आंगन पधार रहे थे। कुछ कच्चे मार्ग से विहार करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे ही मुम्ब्रा की सीमा में मंगल प्रवेश किया, पहले से ही अपने सुगुरु की राह देख रहे श्रद्धालु हर्षोल्लास से भर उठे। बुलंद जयघोष के साथ पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। मुम्ब्रा के अन्य लोग भी आचार्यश्री के आशीर्वाद से लाभान्वित हो रहे थे। स्थान-स्थान पर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा झाकियां भी प्रस्तुत की गईं थी। सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री मुम्ब्रा में एकदिवसीय प्रवास हेतु बाबाजी सखाराम पाटिल विद्यामंदिर में पधारे। विद्यालय परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्रों में ज्ञान का भण्डार भरा हुआ है। कुछ-कुछ सूक्त, श्लोक, दोहा आदि बड़े ही जीवन में उपयोगी होते हैं। जिन्हें सुभाषित भी कहा जाता है। इस धरती पर तीन रत्न बताए गए हैं- जल, अन्न और सुभाषित। जल के बिना जीवन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। उसी प्रकार अन्न है भी जीवन जीने में सहायक है। तीसरा रत्न सुभाषित को दो भागों में व्याख्यायित किया जा सकता है। पहला कि अच्छा और मीठा बोलना और दूसरा अच्छे सूक्त, दोहे, श्लोक आदि भी सुभाषित होते हैं। पृथ्वी के तीनों रत्नों के समक्ष तो दुनिया के बेसकीमती आभूषण भी मानों फिके पड़ जाते हैं। आदमी को जल के महत्त्व को समझ कर जल का संचय व सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने जल के महत्त्व को वर्णित करते हुए एक कथानक के माध्यम से प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को पानी के अपव्यय से बचने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने मुम्ब्रावासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज मुम्ब्रा में आना हुआ है। यहां की जनता में भी धार्मिक-आध्यात्मिक चेतना बनी रहे। तदुपरान्त मुम्ब्रावासियों को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी अभिप्रेरित किया। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री नवरतनमल चोरड़िया, स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्री कैलाश बोहरा, नगरसेवक श्री राजन किणे, नगरसेवक श्री सानूभाई पठान, स्थानकवासी समाज के श्री राजेश मेहता व बाबाजी सखाराम पाटिल स्कूल के अध्यक्ष श्री कुणाल पाटिल ने भी अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद व तेरापंथ महिला मण्डल ने संयुक्त रूप से स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल की कन्याओं ने भी गीत के माध्यम से अपने आराध्य के चरणों की अभ्यर्थना की। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।