🌸 तेरापंथ के नाथ आचार्यश्री महाश्रमण के पावन पदार्पण से पावन हुआ अंबरनाथ 🌸
-अंबरनाथवासियों ने मानवता के मसीहा का किया भावभीना अभिनन्दन
-केवीओ जैन मन्दिर में पधारे तेरापंथ के सरताज आचार्यश्री महाश्रमण
-सम्यक् ज्ञान और सम्यक् आचार के आराधन का हो प्रयास : समता के साधक आचार्यश्री महाश्रमण
-अंबरनाथ के विधायक आदि ने भी किए शांतिदूत के दर्शन, प्राप्त किया पावन पथदर्शन
25.01.2024, गुरुवार, अंबरनाथ, मुम्बई (महाराष्ट्र) : 68 वर्षों बाद मायानगरी मुम्बई को पावन बनाने के लिए पधारे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रथमतया मुम्बई के मीरा-भायंदर महानगरपालिका के अंतर्गत स्थित नन्दनवन में पचंमासिक चतुर्मास सुसम्पन्न किया। तदुपरान्त आचार्यश्री ने मुम्बईवासियों पर विशेष कृपा बरसाते हुए मर्यादा महोत्सव तक प्रवास भी प्रदान कर दिया। अपने आराध्य का ऐसा विशेष अनुग्रह प्राप्त कर मुम्बई की जनता आह्लादित हो उठी। चतुर्मासकाल की सम्पन्नता के बाद मायानगरी मुम्बई की उपनगरीय यात्रा के दौरान वर्तमान आचार्यश्री मुम्बई जिले की सीमा के बाहर ठाणे जिले में मंगल विहार कर रहे हैं। गुरुवार को प्रातः आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बदलापूर से मंगल प्रस्थान किया। उल्हास नदी की निकटता पर पहाड़ों पर छायी हरियाली के कारण यहां रात में ठंड-सी महसूस हो रही है जो प्रायः सूर्योदय के कुछ समय बाद तक बनी रहती है। आज का विहार मार्ग में स्थित आरोह-अवरोह इसे पूर्णतया पहाड़ी भाग ही दर्शा रहे थे। फिर भी श्रद्धालु जनता पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर गतिमान थे। अंबरनाथवासी राष्ट्रसंत के स्वागत-अभिनंदन के उल्लसित नजर आ रहे थे। आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ जैसे ही अंबरनाथ की सीमा में मंगल प्रवेश किया। उपस्थित श्रद्धालु जनता ने बुलंद जयघोष के साथ आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। जनता की विशाल उपस्थिति इस बात को नकार रही थी कि इस एरिया में मात्र तीन तेरापंथी परिवार ही निवासित हैं। भव्य स्वागत जुलूस के साथ शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अंबरनाथ (पूर्व) में स्थित केवीओ जैन मंदिर में पधारे। प्रवास स्थल से लगभग चार सौ मीटर दूर स्थित सूर्योदय हॉल में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् चारित्र को मोक्ष का मार्ग कहा गया है। आदमी के जीवन में सम्यक् ज्ञान का परम महत्त्व होता है। ज्ञान अपने आपमें परम पवित्र और प्रकाश करने वाला तत्त्व है। जिस प्रकार अंधेरे में दीपक का प्रकाश मार्ग प्रशस्त करता है, उसी प्रकार जीवन के अंधकारों को दूर कर ज्ञान जीवन का सम्यक् मार्ग प्रशस्त करता है। ज्ञानार्जन के लिए दुनिया में कितने-कितने विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि खुलते हैं। उनके माध्यम से विभिन्न विषयों के ज्ञान प्रदान किए जाते हैं। इन सभी विषयों के ज्ञान के साथ-साथ छात्रों को आध्यात्मिक ज्ञान भी प्रदान किया जाए तथा साथ ही सम्यक् आचार की शिक्षा भी जाए तो सम्पूर्णता की बात हो सकती है। ज्ञान और आचार दोनों का विकास हो। इस दुर्लभ मानव जीवन का सदुपयोग हो। सभी में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना का विकास हो। जीवन में सम्यक् ज्ञान और सम्यक् आचार की आराधना का प्रयास हो। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को उद्बोधित किया। अंबरनाथ के विधायक डॉक्टर बालाजी कीणीकर ने आचार्यश्री के दर्शन तथा मंगल प्रवचन श्रवण करने के उपरान्त उन्होंने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल मार्गदर्शन प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में अंबरनाथ-बदलापूर सभा के मंत्री श्री हितेश कोठारी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद व तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने अपनी प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने उन्हें उनकी धारणाओं के अनुसार संकल्पों का त्याग कराया। जैन समाज वासुपूज्य महिला मण्डल की सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया।