🌸 महातपस्वी महाश्रमण के मंगल शुभागमन से उल्हासनगर में छाया उल्लास 🌸
-उल्हासनगरवासियों ने अपने आराध्य के अभिनंदन में बिछाए पलक-पांवड़े
-58 घड़ी काम की 2 घड़ी राम की : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-परम सुख की प्राप्ति के आचार्यश्री ने बताए अनेक सूत्र
-अपने आराध्य के स्वागत में उल्हासनगरवासियों ने व्यक्त किए अपने हृदयोद्गार
23.01.2024, मंगलवार, उल्हासनगर, मुम्बई (महाराष्ट्र) : मुम्बई महानगर की उपनगरीय यात्रा के दौरान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग मंगलवार को उल्हासनगर में पधारे तो आचार्यश्री के मंगल शुभागमन से उल्हासनगर में मानों उल्लास का वातावरण छा गया। जन-जन महातपस्वी के लालायित नजर आ रहा था। बुलंद जयघोष से वातावरण महाश्रमणमय बन गया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री उल्हासनगर प्रवास के लिए जे.एम. जैन के ऑफिस में पधारे। मंगलवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सरवली से मंगल प्रस्थान किया। मुम्बई के बाहरी क्षेत्र में स्थित समूचा औद्योगिक क्षेत्र है। जहां अनेकानेक प्रकार की कम्पनियां अपने सामानों का प्रोडक्शन आदि करती हैं। ऐसे औद्योगिक क्षेत्र में अध्यात्म की गंगा प्रवाहित करने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन से उन विभिन्न औद्योगिक संस्थानों में कार्य करने वाले लोगों और उनके ऑनरों आदि को दर्शन और मंगल आशीर्वाद का लाभ प्राप्त हो रहा था। उल्हासनगर में उल्लास का वातावरण था। तेरापंथी श्रद्धालुओं की संख्या भले यहां कम थी, किन्तु अन्य लोगों की उपस्थिति से पूरा मार्ग श्रद्धालुओं से अटा-पटा था। जन-जन को आशीर्वाद बांटते हुए आचार्यश्री लगभग बारह बजे प्रवास स्थल में पधारे और अल्पकालिक प्रवास के बाद पुनः प्रवचन पण्डाल की ओर पधार गए। कुर्लाकैम्प कालीबारी मन्दिर परिसर में बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालु जनता को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि इस संसार में सभी प्राणी सुख को प्राप्त करना चाहते हैं। दुःख से सभी घबराते हैं और सुख की प्राप्ति के लिए अनेक प्रयास भी किए जाते होंगे। शास्त्रों में सुखी बनने की कुछ बातें बताई गयी हैं। इसमें सबसे प्रथम बात बताई गई कि आदमी को सुकुमारता का त्याग कर कुछ कठोर जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए और अपने आपको तपाने का प्रयास करना चाहिए। सुविधावादी विचारधारा से निकलकर कठिनाइयों के आने पर उनका सामना करने का प्रयास होना चाहिए। दूसरा सूत्र बताया गया कि भौतिक आकांक्षाओं को कम करने का प्रयास हो। आकांक्षाएं जितनी कम होंगी, आदमी सुखी रह सकता है। तीसरी बात बताई गई कि द्वेष और ईर्ष्या के भावों को छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। दूसरों को सुखी देखकर दुःखी नहीं होना चाहिए और दूसरों को दुःखी देखकर प्रसन्न नहीं होना चाहिए। इस प्रकार द्वेष-ईर्ष्या को छिन्नकर आदमी सुखी बन सकता है। राग भाव के समान कोई दुःख नहीं होता है और त्याग के समान सुख नहीं होता है। इसलिए आदमी को रागी नहीं त्यागी बनने का प्रयास करना चाहिए। ममत्व और आसक्ति का परित्याग कर सुखी बना जा सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात बताई गई कि अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। उसके लिए आदमी पूरे दिन में मिलने वाली 60 घड़ियों में से 58 घड़ी काम की दो घड़ी राम की रखे, 58 घड़ी जीव की तो दो घड़ी शिव की हो। आदमी को 24 घंटों में से कुछ समय धर्म, ध्यान, साधना, आराधना, जप व सामायिक आदि में लगाने का प्रयास करना चाहिए। इससे आदमी अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है तथा अपने जीवन को सुखी बना सकता है और परम सुख की प्राप्ति की दिशा में भी आगे बढ़ सकता है। उल्हासनगरवासियों को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी मंगल अभिप्रेरणा प्रदान की। स्थानीय सभा अध्यक्ष श्री जितूभाई व श्री जीतमल चोरड़िया ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल की स्थानीय सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने भी गीत का संगान किया।