🌸 अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमण के चरणरज से पावन हुआ भिवण्डी 🌸
-भिवण्डीवासियों ने अपने आराध्य का किया भव्य स्वागत-अभिनंदन
-स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पहुंचे श्री हलारी विसा ओसवाल स्कूल एण्ड कॉलेज
-स्थानीय वर्तमान व पूर्व विधायक सहित अनेक गणमान्यों ने किए शांतिदूत के दर्शन
-भिवण्डीवासियों ने अर्पित की अपनी भावांजलि, पाया मंगल आशीर्वाद
21.01.2024, रविवार, भिवण्डी, मुम्बई (महाराष्ट्र) : भौगोलिक स्थिति से मायानगरी मुम्बई के बाहरी, किन्तु व्यावसायिक रूप से मुम्बई के मेरुदण्ड के समान स्थान रखने वाला भिवण्डी उपनगर रविवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरणस्पर्श से पावन हो उठा। आम तौर व्यावसायिक कार्यों से ओतप्रोत भिवण्डी रविवार को महाश्रमणमय बना हुआ था। चहुंओर मानवता के मसीहा के जयकारे गुंजायमान हो रहे थे। न केवल तेरापंथी समाज, अपितु भिवण्डी का सकल जैन समाज सहित अन्य संप्रदायों के लोग भी राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमणजी के अभिनंदन में पलक-पांवड़े बिछाए खड़े थे। रविवार को प्रातः महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ठाणे के तेरापंथ भवन से मंगल प्रस्थान किया। वर्तमान में एक ओर भारत के कई राज्य ठंड से ठिठुर रहे हैं तो दूसरी ओर भारत के पश्चिम छोर पर बसी भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई में सूर्य की रश्मियां दिन चढ़ने के साथ ही लोगों को पसीने से तर-बतर बनाने वाली प्रतीत हो रही हैं। ऐसे मौसम में भी मुम्बई महानगर की उपनगरीय यात्रा के दौरान आचार्यश्री महाश्रमणजी जनकल्याण के लिए तेरह किलोमीटर से भी अधिक विहार के लिए गतिमान हो चुके थे। आचार्यश्री जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, सूर्य की किरणों की तीव्रता भी बढ़ती जा रही थी। दूसरी ओर अपने अराध्य के आगमन से हर्षित भिवण्डीवासियों का मानों मन मयूर नृत्य कर रहा था। सभी अपने सुगुरु के अपने आंगन में दर्शन पाने को लालायित नजर आ रहे थे। उनके आंतरिक भाव सभी के मुखाकृति पर स्पष्ट दिखाई दे रही थी। जन-जन पर आशीषवृष्टि करते हुए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने जैसे ही भिवण्डी उपनगर की सीमा में प्रवेश किया, श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री भिवण्डी के श्री हलारी विसा ओसवाल स्कूल एण्ड कॉलेज परिसर में पधारे। प्रलम्ब विहार, सूर्य किरणों का तीव्र आतप से अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी मानों अप्रभावी थे। अल्प समय के उपरान्त ही आचार्यश्री पुनः मंगल प्रवचन के लिए प्रवचन पण्डाल में पधारे। स्कूल परिसर में ही बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन दर्शन में अनेक सिद्धांत हैं। उनमें एक प्रमुख है आत्मवाद। आत्मा शाश्वत है। आत्मा का कभी नाश नहीं होता। इसी कारण आत्माएं अब तक करोड़ों बार जन्म-मृत्यु कर चुकी है। पुनर्जन्म होता है तो पूर्वजन्म भी होता है। इस सिद्धांत के साथ ही जुड़ा हुआ एक और सिद्धांत है कर्मवाद। आदमी के जन्म-मृत्यु का कारण उसके कर्म होते हैं। आदमी अपने किए कर्मों का फल भोगता है अथवा तपस्या के द्वारा उसका निर्जरण कर ले तो जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो सकता है। आदमी को कर्मों के प्रतिफल को जानकर आगम में वर्णित 18 पापों से बचने का प्रयास करना चाहिए। पाप कर्मों से बचाव हो जाता है तो आदमी उसके बुरे परिणामों से भी बच सकता है। सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की चेतना जागृत हो तो आदमी बुरे कर्मों से बच सकता है। आचार्यश्री ने भिवण्डीवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि यहां की जनता में भी सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना बनी रहे। भिवण्डीवासियों को साध्वीप्रमुखाजी ने भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। तदुपरान्त आचार्यश्री के दर्शन व अभिनंदन में पहुंचे भिवण्डी पश्चिम के विधायक श्री महेश प्रभाकर चोंगले ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि परम सौभाग्य की बात है कि आप जैसे राष्ट्रसंत का शुभागमन हमारे क्षेत्र में हुआ है। आपका आशीर्वाद सभी को प्राप्त होता रहे। वहीं वहीं भिवण्डी पूर्व के विधायक श्री रईस शेख ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र बाफना व समग्र जैन समाज के अध्यक्ष श्री मिठालाल जैन ने भी अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ युवक परिषद ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी रोचक प्रस्तुति देते हुए आचार्यश्री के समक्ष ग्यारह संकल्पों का उपहार अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।