🌸 अणुव्रत अनुशास्ता की मंगल सन्निधि में ‘अणुव्रत गीत महासंगान’ का भव्य आयोजन 🌸
-महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री सहित अनेक गणमान्यों ने आचार्यश्री के साथ अणुव्रत गीत का किया महासंगान
-मुम्बई के 17 स्कूल व कॉलेजो के छात्रों ने भी महातपस्वी संग किया अणुव्रत गीत का महासंगान
-मानवीय आचार संहिता से पूरे विश्व का कल्याण हो : अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण
-आचार्यश्री से प्रेरणा प्राप्त कर विद्यार्थियों ने स्वीकार की संकल्पत्रयी
-आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन कर जीवन हुआ धन्य : महाराष्ट्र शिक्षामंत्री श्री दीपक केसरकर
18.01.2024, गुरुवार, ठाणे (वेस्ट), मुम्बई (महाराष्ट्र) : जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के नवमें अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी द्वारा प्रणित अणुव्रत आन्दोलन वर्तमान में अपने 75वें वर्ष में चल रहा है। जिसे वर्तमान अणुव्रत अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अणुव्रत का अमृत महोत्सव वर्ष घोषित कर रखा है, तथा साथ ही वर्तमान में अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी की अणुव्रत यात्रा भी चल रही है। इस अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष में गुरुवार को ठाणे प्रवास के तीसरे दिन जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा आयोजित ‘अणुव्रत गीत महासंगान’ का भव्य आयोजन किया गया। अणुव्रत गीत महासंगान को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री श्री दीपक केसरकर सहित कई अन्य गणमान्यों, उपस्थित श्रद्धालुओं व 17 विद्यालयों से हजारों की संख्या में उपस्थित बच्चों ने अपने स्थान पर एक साथ अणुव्रत गीत का महासंगान किया तो कीर्तिधारी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में इस आयोजन ने भी मानों एक नवीन कीर्तिमान की रचना कर दी। महासंगान के उपरान्त उपस्थित गणमान्यों व विद्यार्थियों को आचार्यश्री ने पावन पाथेय भी प्रदान किया और साथ ही आचार्यश्री के आह्वान पर उपस्थित विद्यार्थियों ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को भी स्वीकार कर अपने जीवन को उन्नत बनाने की दिशा में मानों प्रस्थान कर दिया। गुरुवार को रेमण्ड मिल कम्पाउण्ड के निलगिरी उद्यान में बना प्रवचन पण्डाल आज ठाणे महानगरपालिका माध्यमिक स्कूल- किशननगर, उथळसर, बाळकुम, सावरकरनगर, ढोकाळी, मानपाड़ा, यऊर, टेंभिनाका, ज्ञानसाधना, वर्तकनगर, पातलीपाड़ा, एन.के.टी. यूनियर कॉलेज, ज्ञानसाधना कॉलेज, मॉर्डन इंग्लिश स्कूल, संकल्प स्कूल, ज्ञानोदय स्कूल व श्रीमती सुलोचनादेवी सिंघानिया स्कूल के विद्यार्थियों की विराट उपस्थिति से मानों छोटा साबित होने लगा तो विद्यार्थियों को प्रवचन पण्डाल के पास स्थित दो अन्य उद्यानों में भी व्यवस्थाएं करनी पड़ीं। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी निर्धारित समय प्रवचन पण्डाल में पधारे तो जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ ‘अणुव्रत गीत महासंगान’ के कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। अणुव्रत विश्वभारती सोसायटी के अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर ने स्वागत वक्तव्य दिया। एक डाक्यूमेंट्री की प्रस्तुति हुई। तदुपरान्त महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री ने अपना मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि धर्म को उत्कृष्ट बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप मंगल धर्म हैं। समस्त मनुष्य साधुत्व की साधना न भी कर सकें तो अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों को स्वीकार कर अपने गृहस्थ जीवन को भी धर्म से भावित बना सकते हैं। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन का व्यापक कार्य किया जो आज भी निरंतर गतिमान है। आज का मूल कार्यक्रम अणुव्रत गीत का संगान है। इसके संगान को मैं खड़े होकर गाना चाहता हूं। ऐसा कहते हुए आचार्यश्री पट्ट से नीचे उतरे तो उपस्थित श्रद्धालु, विद्यार्थी व गणमान्य लोग भी आचार्यश्री के आसपास खड़े हो गए और फिर आचार्यश्री के संग आरम्भ हुआ अणुव्रत गीत का महासंगान। जिसे पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। कीर्तिधर आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में इतने लोगों द्वारा एक साथ अणुव्रत गीत के महासंगान का एक मानों कीर्तिमान ही स्थापित हो गया। गीत के उपरान्त आचार्यश्री अणुव्रत उद्घोष का उच्चारण भी कराया। आचार्यश्री के आह्वान पर उपस्थित विद्यार्थियों ने सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। आचार्यश्री ने पुनः उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व है। ज्ञान जीवन को प्रकाशित करने वाला है। शिक्षा का पहला कार्य लर्निंग और फिर अर्निंग हो, किन्तु इसके साथ-साथ अच्छे संस्कार भी जीवन में आएं तो जीवन का सम्पूर्ण विकास हो सकता है। अणुव्रत गीत में कितनी-कितनी प्रेरणाएं समाहित हैं। शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी आदि सभी प्रभुमय बनें, अहिंसा कायरतापूर्ण नहीं, अहिंसा बलवती हो। मानवीय आचार संहिता से पूरा विश्व अच्छा बने, इसके लिए प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री के मंगल पाथेय के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी, मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी व साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने भी जनता को उद्बोधित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के शिक्षामंत्री श्री दीपक केसरकर ने कहा कि परम पूज्य स्वामी आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन कर हमारा जीवन धन्य हो गया। आप जो विचार समाज तक पहुंचा रहे हैं, वह समाज में शांति स्थापित करने वाली है। इस कार्य के लिए मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं। आप विराट पदयात्रा करते हुए यहां पधारे हैं, इसके लिए मैं आपका हार्दिक स्वागत भी करता हूं। आपके शांति के संदेश से पूरे विश्व को शांति मिले, ऐसी कामना करता हूं। महाराष्ट्र सरकार के मित्रा योजना के उपाध्यक्ष श्री अजय अशर ने कहा कि मैं ठाणे की धरती पर राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक स्वागत करता हूं। कार्यक्रम में अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री मननकुमारजी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम के संयोजक श्री महेन्द्र बागरेचा, महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व पूर्व न्यायाधीश श्री के.के. तातेड़, अणुविभा के मुख्य न्यासी श्री तेजकरण सुराणा, अणुविभा के महामंत्री श्री भीखमचंद सुरणा व तेरापंथी सभा ठाणे के उपाध्यक्ष श्री पवन ओस्तवाल ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।