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October 14, 2024

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अणुव्रत विश्व भारती द्वारा प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा को दिया गया अणुव्रत पुरस्कार…आर.के.जैन,एडिटर इन चीफ, Key Line Times मुंबई 27-8-2024 *अणुव्रत विश्व भारती द्वारा दिये जाने वाले प्रतिष्ठित ‘‘अणुव्रत पुरस्कार’’ वर्ष 2023 के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति व समाज सेवी श्री रतन टाटा को मुम्बई स्थित उनके आवास पर भेंट किया गया*। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर के साथ वहां पहुंचे प्रतिनिधि मण्डल ने श्री रतन टाटा को पुरस्कार स्वरूप स्मृति चिन्ह, प्रशिस्त पत्र सहित 1.51 लाख की राशि भेंट की। इस अवसर पर अणुविभा के महामंत्री श्री भीखम सुराणा, मुम्बई कस्टम कमिश्नर श्री अशोक कुमार कोठारी, अणुविभा उपाध्यक्ष श्री विनोद कुमार व सहमंत्री श्री मनोज सिंघवी उपस्थित थे। अणुविभा अध्यक्ष श्री नाहर ने श्री रतन टाटा को अणुव्रत पुरस्कार सौंपते हुए मानव जाति को उनके सकारात्मक योगदान की प्रशंसा की एवं दुनिया में मानवीयता का एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए सम्पूर्ण अणुविभा परिवार की ओर से बधाई ज्ञापित की। उन्होंने आगे बताया कि अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने श्री रतन टाटा के प्रति अपनी मंगल कामनाएं प्रेषित की हैं तथा उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है। श्री रतन टाटा ने अणुव्रत अनुशास्ता के प्रति अपना हार्दिक आदर व सम्मान व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि 75वर्षों से गतिमान अणुव्रत आंदोलन मानवीय एकता, नैतिकता, अहिंसा व सद्भावना के क्षेत्र में विशद कार्य कर रहा हैं। आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत यह आंदोलन संयुक्त राष्ट्र तक अपनी विशेष पहचान स्थापित कर चुका है। अणुव्रत पुरस्कार की श्रृंखला में अभी तक देश के गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया है, जिनमें – श्री आत्माराम, श्री जैनेन्द्र कुमार, श्री शिवाजी भावे, श्री शिवराज पाटिल, श्री नीतिश कुमार, डॉ. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. मनोहन सिंह, श्री टी.एन. शेषन, श्री प्रकाश आमटे इत्यादि शामिल है। इस अवसर पर अणुविभा प्रतिनिधि मण्डल ने श्री रतन टाटा को अणुव्रत साहित्य, ‘अणुव्रत’ व ‘बच्चों का देश’ पत्रिकाओं के विशेषांक भेंट किये एवं अणुव्रत की प्रवृत्तियों चुनावशुद्धि अभियान, अणुव्रत डिजिटल डिटॉक्स, एलिवेट, पर्यावरण जागरूकता अभियान, नशामुक्ति अभियान, जीवन विज्ञान आदि के बारे में जानकारी प्रदान की। श्री रतन टाटा ने मनाव समाज की भलाई के लिए अणुव्रत आंदोलन द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। समाचार प्रदाता.. कुसुम लुनिया राष्ट्रीय संगठनमंत्री अणुविभा

अणुव्रत विश्व भारती द्वारा प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा को दिया गया अणुव्रत पुरस्कार…आर.के.जैन,एडिटर इन चीफ, Key Line Times मुंबई 27-8-2024 *अणुव्रत विश्व भारती द्वारा दिये जाने वाले प्रतिष्ठित ‘‘अणुव्रत पुरस्कार’’ वर्ष 2023 के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति व समाज सेवी श्री रतन टाटा को मुम्बई स्थित उनके आवास पर भेंट किया गया*। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर के साथ वहां पहुंचे प्रतिनिधि मण्डल ने श्री रतन टाटा को पुरस्कार स्वरूप स्मृति चिन्ह, प्रशिस्त पत्र सहित 1.51 लाख की राशि भेंट की। इस अवसर पर अणुविभा के महामंत्री श्री भीखम सुराणा, मुम्बई कस्टम कमिश्नर श्री अशोक कुमार कोठारी, अणुविभा उपाध्यक्ष श्री विनोद कुमार व सहमंत्री श्री मनोज सिंघवी उपस्थित थे। अणुविभा अध्यक्ष श्री नाहर ने श्री रतन टाटा को अणुव्रत पुरस्कार सौंपते हुए मानव जाति को उनके सकारात्मक योगदान की प्रशंसा की एवं दुनिया में मानवीयता का एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए सम्पूर्ण अणुविभा परिवार की ओर से बधाई ज्ञापित की। उन्होंने आगे बताया कि अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने श्री रतन टाटा के प्रति अपनी मंगल कामनाएं प्रेषित की हैं तथा उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है। श्री रतन टाटा ने अणुव्रत अनुशास्ता के प्रति अपना हार्दिक आदर व सम्मान व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि 75वर्षों से गतिमान अणुव्रत आंदोलन मानवीय एकता, नैतिकता, अहिंसा व सद्भावना के क्षेत्र में विशद कार्य कर रहा हैं। आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत यह आंदोलन संयुक्त राष्ट्र तक अपनी विशेष पहचान स्थापित कर चुका है। अणुव्रत पुरस्कार की श्रृंखला में अभी तक देश के गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया है, जिनमें – श्री आत्माराम, श्री जैनेन्द्र कुमार, श्री शिवाजी भावे, श्री शिवराज पाटिल, श्री नीतिश कुमार, डॉ. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. मनोहन सिंह, श्री टी.एन. शेषन, श्री प्रकाश आमटे इत्यादि शामिल है। इस अवसर पर अणुविभा प्रतिनिधि मण्डल ने श्री रतन टाटा को अणुव्रत साहित्य, ‘अणुव्रत’ व ‘बच्चों का देश’ पत्रिकाओं के विशेषांक भेंट किये एवं अणुव्रत की प्रवृत्तियों चुनावशुद्धि अभियान, अणुव्रत डिजिटल डिटॉक्स, एलिवेट, पर्यावरण जागरूकता अभियान, नशामुक्ति अभियान, जीवन विज्ञान आदि के बारे में जानकारी प्रदान की। श्री रतन टाटा ने मनाव समाज की भलाई के लिए अणुव्रत आंदोलन द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। समाचार प्रदाता.. कुसुम लुनिया राष्ट्रीय संगठनमंत्री अणुविभा

कांदिवली (मुंबई) मे साध्वी डा. मंगलप्रज्ञा ने अपने प्रवचनों मै कहा कि स्वरविज्ञान से होता है अनेक समस्याओं का समाधान….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times समाचार प्रदाता विकास धाकड़ ! तेरापंथ भवन कांदिवली में साध्वीश्री डॉ मंगल प्रज्ञा जी के सानिध्य में एवं तेरापंथ युवक परिषद कांदिवली और मलाड के तत्वावधान में स्वर विज्ञान कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर उपस्थित विशाल धर्मपरिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- स्वरविज्ञान जेनपरम्परा का प्राचीन महत्त्वपूर्ण उपक्रम है। यह साधना प्राणशक्ति की साधना है। स्वरविज्ञान की साधना करना व्यक्ति पर निर्भर है। यह एक ऐसी साधना है, जिसका सम्यकज्ञान हो तो अनेक समस्याओं से निजात पा सकते हैं। हठयोग की भाषा में चंद्र स्वर को ईड़ा, सूर्यस्वर को पिंगला और दोनों स्वर की संयुक्ति को सुषुम्ना कहा जाता है। तिथि, वार और दिशा के साथ स्वरों का सही नियोजन करके करनीय और अकरणीय कार्य का निर्णय किया जा सकता है। सोमवार, बुधवार और शुक्रवार – ये तीनों चन्द्र स्वर से संबंधित है, जबकि मंगलवार, शनिवार और रविवार- ये तीनों सूर्यस्वर से जुड़े हैं। गुरुवार सब के साथ जुड़ा है,जिसका गुरु प्रबल होता है वहां समस्याएं हावी नहीं होती। साध्वी श्री डॉ मंगल प्रज्ञा जी ने कहा- व्यक्ति कोई भी कार्य करता है, वह सफल होना चाहता है, इसके लिए स्वरों का ज्ञान आवश्यक है। हर सौम्य कार्य, या किसी भी कार्य के स्थायित्व के लिए चन्द्र स्वर का होना आवश्यक है। पृथ्वी जल, वायु, अग्नि और आकाश – इन पांच तत्वों के साथ भी स्वर संयोजन किया जाता है। किसी कार्य को इच्छानुसार सम्पादित करने के लिए स्वरों को बदला भी- जा सकता है। गर्मी के समय चन्द्रस्वर की साधना करने से और सर्दी में सूर्यस्वर की साधना करने से अत्यधिक सर्दी या गर्मी का अहसास नहीं होता। भोजन करते समय सूर्य स्वर चले तो पाचन सही होता है। स्वस्थता के लिए स्वरों का संतुलन आवश्यक है। साध्वी सुदर्शन प्रभा जी, साध्वी अतुलयशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी,साध्वी चेतन्य प्रभा जी और साध्वी शौर्य प्रभा जी ने”अद्भूत स्वर विज्ञान का ज्ञान”गीत का सामूहिक संगान किया। साध्वी सुदर्शन प्रभा जी ने ध्यान का प्रयोग करवाया। साध्वी राजुल प्रभा जी ने प्रवचन से पूर्व आगम वाणी का रसास्वादन करवाया।

कांदिवली (मुंबई) मे साध्वी डा. मंगलप्रज्ञा ने अपने प्रवचनों मै कहा कि स्वरविज्ञान से होता है अनेक समस्याओं का समाधान….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times समाचार प्रदाता विकास धाकड़ ! तेरापंथ भवन कांदिवली में साध्वीश्री डॉ मंगल प्रज्ञा जी के सानिध्य में एवं तेरापंथ युवक परिषद कांदिवली और मलाड के तत्वावधान में स्वर विज्ञान कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर उपस्थित विशाल धर्मपरिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- स्वरविज्ञान जेनपरम्परा का प्राचीन महत्त्वपूर्ण उपक्रम है। यह साधना प्राणशक्ति की साधना है। स्वरविज्ञान की साधना करना व्यक्ति पर निर्भर है। यह एक ऐसी साधना है, जिसका सम्यकज्ञान हो तो अनेक समस्याओं से निजात पा सकते हैं। हठयोग की भाषा में चंद्र स्वर को ईड़ा, सूर्यस्वर को पिंगला और दोनों स्वर की संयुक्ति को सुषुम्ना कहा जाता है। तिथि, वार और दिशा के साथ स्वरों का सही नियोजन करके करनीय और अकरणीय कार्य का निर्णय किया जा सकता है। सोमवार, बुधवार और शुक्रवार – ये तीनों चन्द्र स्वर से संबंधित है, जबकि मंगलवार, शनिवार और रविवार- ये तीनों सूर्यस्वर से जुड़े हैं। गुरुवार सब के साथ जुड़ा है,जिसका गुरु प्रबल होता है वहां समस्याएं हावी नहीं होती। साध्वी श्री डॉ मंगल प्रज्ञा जी ने कहा- व्यक्ति कोई भी कार्य करता है, वह सफल होना चाहता है, इसके लिए स्वरों का ज्ञान आवश्यक है। हर सौम्य कार्य, या किसी भी कार्य के स्थायित्व के लिए चन्द्र स्वर का होना आवश्यक है। पृथ्वी जल, वायु, अग्नि और आकाश – इन पांच तत्वों के साथ भी स्वर संयोजन किया जाता है। किसी कार्य को इच्छानुसार सम्पादित करने के लिए स्वरों को बदला भी- जा सकता है। गर्मी के समय चन्द्रस्वर की साधना करने से और सर्दी में सूर्यस्वर की साधना करने से अत्यधिक सर्दी या गर्मी का अहसास नहीं होता। भोजन करते समय सूर्य स्वर चले तो पाचन सही होता है। स्वस्थता के लिए स्वरों का संतुलन आवश्यक है। साध्वी सुदर्शन प्रभा जी, साध्वी अतुलयशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी,साध्वी चेतन्य प्रभा जी और साध्वी शौर्य प्रभा जी ने”अद्भूत स्वर विज्ञान का ज्ञान”गीत का सामूहिक संगान किया। साध्वी सुदर्शन प्रभा जी ने ध्यान का प्रयोग करवाया। साध्वी राजुल प्रभा जी ने प्रवचन से पूर्व आगम वाणी का रसास्वादन करवाया।

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